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सितारिया-सिधाना सितारिया-पु० सितार बजानेवाला ।
सिद्धता-स्त्री०, सिद्धत्व-पु० [सं०] सिद्ध होनेका भाव; सिताश्व-पु० [सं०] अर्जुन, चंद्रमा।
सिद्धि पूर्णता प्रामाणिकता। सितासित-वि० [सं०] सफेद और काला; भला और सिद्धांगना-स्त्री० [सं०] सिद्ध जातिके देवोंकी स्त्री; वह
बुरा । पु० बलदेव शुक्र और शनि प्रयाग । | स्त्री जिसे सिद्धि प्राप्त हो गयी हो। सिति-वि० [सं०] बाँधनेवालादे० 'शिति' (समास भी)। सिद्धांजन-पु० [सं०] एक अंजन (कहा जाता है इसके सितुई, सितुही-स्त्री० सुतुही, सीपी ।
प्रयोगसे भूगर्भकी चीजें दिखाई देने लगती है)। सितापल-पु० [सं०] सफेद कमल ।
सिद्धांत-पु० [सं०] अंतिम उद्देश्य या अभिप्रायः पूर्वपक्षके सितोद्भव-पु० [सं०] चंदन । वि० चीनीका; चीनीसे | खंडनके बाद सिद्ध मत; निश्चित मत जिसको सत्यके बना हुआ।
रूपमें ग्रहण किया जाय, उसूल; पक्की राय; निर्धारित सितोपल-पु० [सं०] बिल्लौर, स्फटिक; खरिया, दुद्धी । मतके आधार पर लिखित शास्त्रीय ग्रंथ । -कोटि-स्त्री० सितोपला-स्त्री० [सं०] चीनी; मिस्री खरिया। तर्कका वह स्थल या बिंदु जो निर्णायक हो ।-कौमुदीसिथिल*-वि० दे० 'शिथिल'।
स्त्री० भट्टोजिदीक्षित-रचित संस्कृत व्याकरणका एक प्रसिद्ध सिदना-सक्रि० कष्ट पहुँचाना ।
ग्रंथ ।-ज्ञ-वि० सिद्धांत जाननेवाला, तत्त्वज्ञ । -पक्षसिदामा-पु० दे० 'श्रीदामा'।
पु० तर्कसंगत पक्ष । -वाद-पु० मतवाद। सिदिक-स्त्री० दे० 'सिद्' । * वि० सच्चा।
सिद्धांती (तिन)-पु० [सं०] आपत्तियोंका निराकरण सिदौसी*-अ० शीघ्रतापूर्वक ।
कर अनुमानकी स्थापना करनेवाला; मीमांसका वह जो सिदक-स्त्री० [अ०] सचाई, निष्कपट भाव, दिलकी सफाई। सिद्धांतग्रंथोंका जानकार हो । सिद्ध-वि० [सं०] पूरा किया हुआ; प्राप्त, लब्ध; निश्चित; सिद्धांतीय-वि० [सं०] सिद्धांत-संबंधी ।
प्रमाणित; दृढ़, पक्का (नियम); सत्य माना हुआ; निर्णीत, | सिद्धांबा-स्त्री० [सं०] दुर्गा । जिसका फैसला हो गया हो (व्यवहार); चुकाया हुआ; सिद्धान-पु० [सं०] पक अन्न । पकाया हुआ (भोजन); पका हुआ (फलादि); अच्छी तरह | सिद्धापगा-स्त्री० [सं०] दे० 'सिद्धसिंधु'। तैयार किया हुआ प्रस्तुत (रुपया); पराभूतवशीकृत सिद्धार्थ-वि० [सं०] जिसकी कामनाएँ पूरी हो गयी हों, (मंत्रादि द्वारा); दक्ष, विशेषश; शुद्ध किया हुआ (तप- सफलमनोरथ, लक्ष्यतक ले जानेवाला; जिसका अभिप्राय श्चर्या आदिसे); मुक्त; अलौकिक शक्तिसे संपन्न धर्मात्मा शात हो। पु० गौतम बुद्ध; एक मारपुत्र; स्कंदका एक पवित्रा अमर प्रसिद्ध दीप्तिमान् । ठीक घटा हुआ । पु० अनुचर; महावीर के पिता दशरथका एक मंत्री; सफेद या संत या योगी जिसे सिद्धि प्राप्त हो गयी हो; संत; ऋषि; पीली सरसों; एक संवत्सर ।। एक देवयोनि; जादूगर, मुकदमा, व्यवहार; एक योग | सिद्धासन-पु० [सं०] एक योगासन । (ज्यो०)। -काम-वि० जिसकी इच्छाएं पूरी हो गयी सिद्धि-स्त्री० [सं०] सफलता, अभ्युदयः निष्पत्ति; अनुहों। -कार्य-वि० कृतकार्य, सफल । -गुटिका-स्त्री. मान; निश्चय; (ऋणका) परिशोध; पाक-क्रिया प्रश्नका एक मंत्रसिद्ध वटिका जिसे मुहँ में रखनेपर मनुष्य अदृश्य हल; पूर्ण शुद्धि; अणिमा, गरिमा आदि अलौकिक हो सकता है। -जल-पु० पकाया हुआ पानी; शक्तियाँ दक्षता, निपुणता; सुपरिणाम; मोक्ष, योगका माँड़ । -तापस-पु. अलौकिक शक्तियुक्त साधु । एक प्रकार; दक्षकी एक कन्या; गणेशकी एक पत्नी । -नर-पु० दैवश; वह व्यक्ति जिसे सिद्धि प्राप्त हो गयी -कर-वि० सफल बनानेवाला, समृद्ध करनेवाला । हो।-नाथ-पु० महादेव । -पक्ष-पु० किसी प्रतिज्ञा- -कारक-वि० लक्ष्य प्राप्ति करानेवाला; प्रभावकर । - का वह पक्ष जो प्रमाणित हो गया है। -पुरुष-पु० वह
कारी(रिन्)-वि०किसी बातकी सिद्धि करानेवाला। व्यक्ति जिसे योगादिमें सिद्धि प्राप्त हो गयी हो।-प्राय- -द-वि० मोक्ष देनेवाला; सिद्धि देनेवाला । -दातावि० जो करीब-करीब सिद्ध हो चुका हो । -भूमि-स्त्री० | ()-पु० गणेश । -प्रद-वि० सिद्धि देनेवाला । - सिद्धोंका स्थान; वह स्थान जहाँ योगादिकी सिद्धि शीघ्र ! भूमि-स्त्री. वह स्थान जहाँ सिद्धि जल्द मिले । -मार्ग होती हो । -मंत्र-पु० सिद्धिप्राप्त मंत्र । -योगी- -पु० सिद्धलोकमें पहुँचानेवाला रास्ता । -यात्रिक-पु० (गिन्)-पु. शिव । -रस-पु. पारा; वह जिसने | सिद्धिकी प्राप्तिके लिए यात्रा करनेवाला व्यक्ति । -लाभ पारा सिद्ध कर लिया है। कीमियागर; धातुप्रभृति । -पु० सिद्धिकी प्राप्ति । -वाद-पु० ज्ञानगोष्ठी। -- -रसायन-पु० दीर्घायु बनानेवाला रस। -लक्ष-वि० विनायक-पु० गणेशकी एक मूर्ति । -स्थान-पु० तीर्थ जिसने निशाना ठीक-ठीक लगाया है। जिसका निशाना | स्थान; मोक्षप्राप्तिका स्थान ।। न चूके। -लोक-पु० सिद्धोंका लोक। -विनायक-सिद्धीश्वर-पु० [सं०] महादेव; एक तीर्थ । पु० गणेशकी एक मूर्ति । -संकल्प-वि० जिसका संकल्प सिद्धेश्वर-पु० [सं०] योगिराज; शिव; गुलतुर्रा । पूरा हो गया हो।-सारस्वत-वि० जिसे सरस्वती सिद्ध | सिद्धेश्वरी-स्त्री० [सं०] देवीविशेष । हो।-सिंधु-स्त्री० मंदाकिनी, स्वर्गगंगा ।-स्थाली-स्त्री० | सिध*-वि० दे० 'सिद्ध'।। सिद्ध पुरुषकी बटुई जिससे इच्छानुसार भोजन प्राप्त किया। सिधाई-स्त्री० सरलता, सीधापन । जा सकता है। -हस्त-वि० जिसका हाथ मँजा हो, सिधाना-अ० क्रि० चला जाना, प्रस्थान करना; आना, दक्ष, कार्यकुशल ।
-'तब कर जोरि कह्यो कोशलपति हे प्रभु भले सिधायो'
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