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सांपत्तिक-साइबान सर्प । -धरण*-पु० शिव । मु०-उतारना-साँपका सांव्यवहारिक-वि० [सं०] प्रचलित, जो व्यवहारमें आता जहर दूर करना । -कलेजे या छातीपर लोटना-बहुत हो । पु० साझे में व्यापार करनेवाला व्यक्ति । व्याकुल होना; भारी सदमा पहुँचना। -का पाँव | सांशयिक-वि० [सं०] संदिग्ध; संदेह करनेवाला । देखना-असंभव बातके लिए प्रयत्न करना । का बच्चा- साँस-स्त्री० नाक या मुँह से अंदर खींची और बाहर निकाली दुष्ट, जालिम । -की तरह जमीन पकड़ना-जरा भी जानेवाली हवा गुंजाइश; फुरसत; दमा। मु०-अंदरकी न हिलना । -की तरह फन झाड़ या मारकर रह अंदर, बाहरकी बाहर रह जाना-भयसे स्तब्ध रह जाना-वश न चलना, प्रयत्नमें विफल होना । जाना । -उखड़ना-हाँफना, साँस छूटना । -उड़ना -कीलना-मंत्र द्वारा साँपको काटनेसे रोकना।-की सी -दम रुकना । -उलटी चलना-उपरको चढ़नाकेंचुली झाड़नाया डालना-साफ-सुथरा होना; आरोग्य
आसन्न-मृत्यु होना। -ऊपर-नीचे होना-बहुत व्यस्त लाभ करना । -के मुँहमें-खतरेमें । -खेलाना-मंत्रके
होना; साँस स्कना। -खींचना-जोरसे साँस लेना बलसे साँप पकड़ना। -छछूदरकी गति या दशा- दम साधना। -गिनना-आसन्नमृत्युकी साँस देखकर द्विविधाकी स्थिति। -लहराना-साँपकी तरह आचरण
हालतका निश्चय करना । -चढ़ना-हॉफना, सॉस करना; बहुत व्याकुल होना; ईर्ष्यासे जलना। -सा
फूलना । -चढ़ाना-दम साधना, मुर्दा बन जाना। लोटना-बहुत व्याकुल होना । -सूघ जाना-साँपका -चलना-जिंदा होना । -टूटना-साँसका नियमित काटना या काटनेसे मर जाना। -से खेलना-खतर
रूपसे न चलना ।-डकार न लेना-भाल पचा जाना और नाक आदमीसे मेल-मिलाप करना।
पता न लगने देना। -तक न लेना-बिलकुल मौन सांपत्तिक-वि० [सं०] संपत्ति संबंधी, आर्थिक ।
रहना, कुछ न बोलना । -न निकालना-चुप रहना । सांपद-वि० [सं०] संपत्ति-संबंधी;"के उपकरण-संबंधी।
-फूलना-दम चढ़ जाना, हाँफना । -भरना-ऊपरसाँपा-पु० सियापा।
का दम लेना, हाँफना आह भरना । -रहते-जीते जी। साँपिन-स्त्री० सर्पिणी, साँपकी मादा; धोड़े, बैलके शरीर- -रुकना-दम बंद होना; सांस लेने में तकलीफ होना । परकी एक तरहकी भौरी जो बुरी मानी जाती है।
-लेना-साँस फेफड़ों में ले जाना और बाहर निकालना; साँपिया-पु० साँपके रंगसे मिलता हुआ रंग।
आह भरना दम लेना, रुक जाना, सुस्ता लेना । (उलटी) सांप्रत-अ० [सं०] तत्काल, अभी, इस समय ।
-लेना-बड़ी तकलीफ होना। -लेनेकी फुरसतसांप्रतिक-वि० [सं०] आधुनिक, वर्तमानकाल-संबंधी |
थोडीसी फुरसत । -सीनेमें अड़ना-साँस रुकना, मर(करेंट); उपयुक्त, ठीक ।
णासन्न होना। सांप्रदायिक-वि० [सं०] किसी संप्रदायसे संबंध रखनेवाला। साँसत-स्त्री० साँस रुकने जैसी तकलीफ; बहुत बड़ा कष्ट; सांप्रदायिकता-स्त्री० [सं०] सांप्रदायिक होनेका भाव; | यंत्रणा बखेड़ा। -घर-पु. कालकोठरी, जेलके अंदर वह केवल अपने संप्रदायका हित चाहना और दूसरे संप्रदायोंके छोटीसी कोठरी जिसमें कैद-तनहाईकी सजावाला आदमी हितोंकी उपेक्षा करनेको तैयार रहना।
अकेले रखा जाता है। सांबर-पु० पाथेय; [सं०] साँभर हिरन; साँभर नमक । | साँसति*-स्त्री० दे० 'साँसत'। साँभर-पु० राजपूतानेकी एक झील; उस झीलसे प्राप्त सांसद-वि० [सं०] जो संसद या उसके सदस्योंकी मर्यादा नमक; एक तरहका हिरन; * संबल, पाथेय-'साँभर सोइ के अनुकूल हो। गाँठि जो होई'-प० ।
साँसना*-सक्रि० शासन करना,दंड देना; पीड़ा देना। सामुही-अ० सामने ।
साँसा-पु० फिक्र, चिंता; अंदेशा, शंका; डर सोच-विचार, साँवत-पु. एक राग; * योद्धा ।
सॉस पीड़ा । मु०-पड़ना-संदेह होना; फिक पड़ना। सांवत्सर-वि० [सं०] वार्षिक । पु० गणक, ज्योतिषी, -रहना-अंदेशा रहना। पंचांग बनानेवाला; चांद्रमास । -रथ-पु० सूर्य। सांसारिक-वि० [सं०] संसार-संबंधी, लौकिक, ऐहिक । सांवत्सरिक-वि० [सं०] वार्षिक वार्षिक यश-संबंधी। सांस्कारिक-वि० [सं०] संस्कार संबंधी अंत्येष्टि या अन्य -श्राद्ध-पु० हर साल किया जानेवाला श्राद्ध ।
संस्कारोंके लिए आवश्यक । सांवत्सरी-स्त्री० [सं०] मृत्युके एक साल बाद होनेवाला | सांस्कृतिक-वि० [सं०] संस्कृति-संबंधी। श्राद्ध ।
सांस्पर्शिक-वि० [सं०] (कंटेजस) संस्पर्श या छूतसे होने, साँवरी-वि० साँवला।
फैलनेवाला (रोग); छूतका, छूतवाला (रोग)। साँवलताई।-स्त्री० साँवलापन ।
सा-पु० सप्तकके प्रथम स्वर-'षडज'का सांकेतिक रूप । साँवला-वि० श्याम वर्णका । पु. कृष्ण; पति प्रेमी। अ० सदृश, समान, जैसा एक मानसूचक शब्द ( फारसी--पन-पु. श्यामता।
में यह 'साँ' और 'आसा'का संक्षिप्त रूप है और तुल्य साँवलिया-वि० श्याम रंगका । पु० कृष्ण ।
आदि अर्थोंका ही द्योतक है)। साँवाँ-पु. बॅगनी जैसा एक कदन्न ।
साइक*-पु० दे० 'शायक'; संध्याकाल । सांवादिक-वि० [सं०] संवाद या समाचार-संबंधी। पु० | साइत-स्त्री० [अ० 'साअत'] पल, छन; मुहूर्त, लग्न, समाचार भेजनेवाला पत्रकार ( न्यूजमैन) सड़कपर घूम- (टलना, देखना; बिचारना इ०)। धूमकर समाचार-पत्र बेचनेवाला।
| साइबान-पु० दे० 'सायबान'।
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