Book Title: Gyan Shabdakosh
Author(s): Gyanmandal Limited
Publisher: Gyanmandal Limited

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Page 845
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सात साध्यता-साफ़ी ८३६ करने योग्य निष्पाद्य वशमें करने योग्य; अच्छा करने | सापत्न्य-पु० [सं०] सपत्नीभाव, सौतपन, सौतेलापन; योग्य (रोग); वध्यः शोधनीय । पु० एक देववर्ग; देवता; सौतका पुत्र सौतेला भाई; शत्रुता प्रतिद्वंद्वी शत्रु । एक मंत्र सिद्धि, पूर्ति; वह जिसे प्रमाणित करना हो; सापना*-स० क्रि० शाप देना; कोसना। सत्ताईस योगों में से एक; अनुमेय पक्ष । -पक्ष-पु. वह सापवादक-वि० [सं०] अपवादयुक्त, जिसमें अपवाद पक्ष जिसे प्रमाणित करना हो (व्यवहार)। -सिद्धि-| हो सके। स्त्री०जिसे करना है उसका संपादन, निष्पत्ति । | सापिंड्य-पु० [सं०] सपिंडता । साध्यता-स्त्री० [सं०] शक्यता; (रोगका) अच्छा किये सापेक्ष-वि० [सं०] जिसमें किसीकी अपेक्षा हो, जो दूसरेजानेकी स्थितिमें होना।। पर अवलंबित हो। साध्वस-पु० [सं०] क्षोभा भय, त्रास घबड़ाहट; बना- साप्ताहिक-वि० [सं०] सप्ताह-संबंधी; सप्ताह भरका; एक वटी भय (ना.)। सप्ताहके अंतरसे होने या निकलनेवाला। पु. नियत साध्वाचार-पु० [सं०] साधुओंका आचार; शिष्टाचार, दिन हर हफ्ते निकलनेवाला समाचारपत्र । भद्रोचित कार्य। साफ-वि० [अ०] स्वच्छ, निर्मल उज्ज्वल; बेदाग; निदोष, साध्वी-स्त्री० [सं०] पतिव्रता स्त्री धर्मपरायणा स्त्री। खालिस, शुद्ध पवित्र; स्पष्ट; खुला हुआ; पढ़ने, सुनने, सानंद-वि० [सं०] आनंदयुक्त, प्रसन्न । अ० आनंदपूर्वक, समझने में आसान (लिखावट, आवाज); जिसमें मैल, खुशीके साथ। बुराई न हो, बिना छल-कपटका; पका, दोटूका समतल, सान-पु० पत्थरकी वह चक्की जिसपर उस्तुरा, कैची आदि- बराबर; जिसमें कोई पेच-पाच न हो (बात, मामला); की धार तेज की जाती है (चढ़ानादेना,धरना) + स्त्री० जिसमें सफाई हो (मजा हुआ)। अ० खुले तौरपर (साफ शान । -गुमान-पु० सुराग; निशान; खयाल; इशारा। कहना); पूरे तौरपर (साफ छिपना); सफाईसे, कुशलतासानना -स० कि० गूंधना, माँड़ना शरीक करना, भागी पूर्वक (उड़ाना, निकल जाना, इ०); स्पष्ट रूपसे (साफ बनाना; लपेटना। देखना) । -इनकार-पु० स्पष्ट, दोटूक इनकार । सानी-स्त्री० पशुओंका पानीमें साना हुआ चारा; गाड़ीके -गोई-स्त्री. स्पष्टभाषिता । -जवाब-पु. दोटूक पहिये में लगाया जानेवाला गिट्टक; बेतरीके मिलाये हुए | जवाब । वि. दोटक जवाब देनेवाला। -दिल-वि० कई तरहके खाद्यपदार्थ (व्यंग्य); सनई। वि० [अ०] | जिसके दिल में छल-कपट, वैर-बुराई न हो। -साफदूसरा; जोड़ समता करनेवाला । अ० खुले तौरपर, स्पष्टतः । मु०-करना-सफाई करना; सानु-पु० [सं०] पहाड़की चोटी, शृंग । धोना, माँजना मल दूर करना; फिरसे लिखना, कटीसानुकंप-वि० [सं०] दयालु, कोमलचित्त । कुटी लिखावटको ठीक करके लिखना; समतल, मैदान सानुकूल-वि० [सं०] दे० 'अनुकूल' । बनाना (जंगल); विघ्न-बाधा दूर करना, खोलना (रास्ता); सानुक्रम संस्थान-पु०[सं०] (हायरैरकी) क्रमानुगत अधि- चुकाना, निबटाना (हिसाब); कुछ बाकी न छोड़ना, सब कारियोंवाली कोई संस्था। उठा ले जाना (चोरोंने घर साफ कर दिया); सब खा-पी सानुक्रोश-वि० [सं०] दयालु, करुणाशील । डालना; मार डालना; सबको खतम कर देना, किसीको सानुज-वि० [सं०] अनुज, छोटे भाईसे युक्त । जीवित न छोड़ना (हैजेने घरके घर साफ कर दिय); सानुनय-वि० [सं०] विनयशील, शिष्ट । अ० विनय अभ्यास पक्का करना (हाथ साफ करना)। -कहना खरी, बेलाग कहना, सच्ची बात बिना कुछ घटाये-छिपाये सानुनासिक-वि० [सं०] जिस(अक्षर)के उच्चारणमें नाक्रका कहना; खुलकर, स्पष्ट रूपमें कहना। -छटना-बेदाग योग हो; नाकके योगसे गाने या बोलनेवाला। छूटना, निर्दोष सिद्ध होकर रिहाई पाना। -बचनासानुप्रास-वि० [सं०] अनुप्रासयुक्त । बाल बाल बचना, तनिक भी आँच न आना । -बननासान्नहनिक-वि० [सं०] कवच धारण-संबंधी; युद्धार्थ पाक-साफ बनना, सचाई, साधुताका ढोंग करना। प्रस्तुत होनेके लिए प्रोत्साहित करनेवाला । पु. कवच- -बोलना-उच्चारण और लहजा ठीक होना, शुद्ध प्रवाहधारी सैनिक। के साथ बोलना। -मैदान पाना-कोई विघ्न-बाधा न सान्निध्य-पु० [सं०] सामीप्य सन्निकटता; मुक्तिका एक होना; एकांत मिलना । -होना-साफ किया जाना। प्रकार । साफल्य-पु० [सं०] उपयोगिता; लाभ; सफलता। सान्निपातिक-वि० [सं०] जटिल, विषम; त्रिदोषजन्य साफा-पु० एक तरहकी पगड़ी जो कुछ अधिक ऊँची होती विषम रोगवाला। है, मुरेठा; वह कपड़ा जो इस काममें लाया जाय । सान्वय-वि० [सं०] आनुवंशिका वंशजोंसे युक्त सकुल; मु०-देना-शिकारी जानवरोंको इसलिए भूखा रखना अर्थगर्भ; समान कार्य करनेवाला । कि वे शिकारपर ज्यादा तेजीसे टूटें, कबूतरको अधिक साप-पु० दे० 'शाप'। ऊँचे उड़नेके लिए भूखा रखना। सापत्न-वि० [सं०] सौत-संबंधी या सौतसे उत्पन्न । पु० | साफिर-वि० [अ०] सफर करनेवाला । पु० दुबला घोड़ा। सौतेली संतान । साफ्री-स्त्री० छाननेका कपड़ा, खासकर वह कपड़ा जिससे सापत्मक-पु० [सं०] सौतोंकी आपसकी होड़ या दुश्मनी। भंग छानी जाया गाँजेकी चिलमके नीचे लपेटनेका कपड़ा; सापरनेय-वि० [सं०] सौतेला । वह कपड़ा जिससे बाबरची देग आदि पकड़कर चूल्हेसे पूर्वक। For Private and Personal Use Only

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