________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
प्रतिष्ठा, सार
से मुकदमेको फा०] वकीलका
प्रतिनिधि, वाला वकालत कसकी ओरसे मुकदमोही
वंशागत-वच्छ
७१६ -स्थ-पु० एक वृत्त । -हीन-वि० निर्वंश, जिसके । (करना)। -नामा-पु. वह लेख जिसके द्वारा कोई वंशमें कोई न हो; संतानहीन ।
चीज वक्फ की जाय । वंशागत-वि० [सं०] वंशपरंपरासे प्राप्त उत्तराधिकार में प्राप्त। वक्र-वि० [सं०] टेढ़ा, झुका हुआ; तिरछा, चालबाज; वंशावली-स्त्री० [सं०] वंशतालिका।
बेईमान; निर्दय, कार । -गति-वि० उलटी गतिवाला वंशिका-स्त्री० [सं०] बाँसुरी; अगर, पिप्पली ।
(ग्रहादि); बेईमान; कुटिल । स्त्री० उलटी, टेढ़ी चाल । वंशी-स्त्री० [सं०] बाँसुरी। -धर-पु. कृष्ण । -रव- -गामी(मिन्)-वि० दे० 'वक्रगति' । -ग्रीव-पु. पु० वंशीकी ध्वनि ।-वट-पु. वह बरगदका पेड़ जिसके | ऊँट । -चंचु-पु० तोता। -तुंड-पु० तोता; गणेश । नीचे कृष्ण बंसी बजाते थे।-वादन-पु० बंसी बजाना । -दृष्टि-स्त्री० टेढ़ी निगाह; क्रोधपूर्ण दृष्टि; मंद दृष्टि । व-अ० [फा०] और भी (संयोजक अव्यय, द्वंद्व समास -धर*-पु. शिव (जो दूजके वक्र चाँदको धारण करते बनाने में व्यवहृत-पूर्वाक्षरके अकारसे मिलकर 'ओ' हो है)। -नासिक-पु० उल्लू । वि. टेढ़ी नाकवाला । जाता है-जैसे कमोबेश ।)
-पाद-वि० जिसका पैर टेढ़ा हो। -बुद्धि-मतिवक-पु० [सं०] दे० 'बक' (समास भी)।
वि०धूर्त, बेईमान । स्त्री०धूर्तता; बेईमानी ।-रेखा-स्त्री० वक्रअत(वक्रत)-स्त्री० [अ०] इज्जत, प्रतिष्ठा साख । (कर्ल्ड लाइन) वह रेखा जो सरल या सीधी न होकर वकालत-स्त्री० [फा०] वकीलका काम, पेशा दूसरेको ओर- टेढ़ी, घुमावदार हो।
से मुकदमेकी पैरवी करना; प्रतिनिधित्व। -नामा- | वक्रता-स्त्री०, वक्रत्व-पु० [सं०] टेढ़ापन; कुटिलता; पु० किसी मुकदमेमें वकील होनेका प्रमाणपत्र, वह लेख पीछेकी ओर हटना। जिसके जरिये किसी वकीलको किसी मुकदमेकी पैरवीका | वक्री(क्रिन)-वि० [सं०] कुटिल; गरदन टेढ़ी करने, अधिकार दिया जाय ।
झुकानेवाला; पीछेकी ओर गमन करनेवाला (ग्रह); बेई. वकील-पु० [अ०] प्रतिनिधि; दूसरोंकी औरसे मुकदमोंकी | मान; धूर्त । पैरवी करनेवाला; वकालत करनेका अधिकारी, राज-वक्रोक्ति-स्त्री० [सं०] एक अलंकार जिसमें कावु या शेष
के बलपर भिन्न अर्थ किया जाता है; चमत्कारपूर्ण उक्तिः घकीली -स्त्री० वकालत ।
काकु उक्ति। वकुल-पु० [सं०] दे० 'बकुल'।
वक्षःस्थल, वक्षस्थल-पु० [सं०] सीना, हृदय । वक्त-पु० [अ०] समय, काल; अवकाश; मौका; नियत | वक्ष(स)-पु० [सं०] पेट और गलेके बीचका हिस्सा, काल, मौतकी घड़ी; मुसीबतका वक्त, मुश्किल; वर्त- छाती बैल। मानकाल, ऋतु । -का-वर्तमानकालिक, जमानेका । | बक्षश्छद-पु० [सं०] कवच । -का पाबंद-जी सब काम नियत समयपर करता हो; | वक्षोज, वक्षोरुह-पु० [सं०] कुच, स्तन । समयपालक। -की ख़बी-कालका प्रभाव; दुर्भाग्यकी वक्ष्यमाण-वि० [सं०] वक्तव्य जो कहा जा रहा हो, देन ।-की चीज़-सामयिक वस्तु; काल या ऋतु विशेषके जो कथनका विषय हो । अनुरूप राग, रागिनी। -नावक्त-दे० 'वक्त-बेवक्त'। वगला, वगलामुखी-स्त्री० [सं०] दस महाविद्यालयों मेंसे -बेघवत-समय कुसमय किसी समय, हमेशा । मु०- एक। आ जाना-नियतकाल, मौतकी घड़ी आ जाना । | वगैरह-अ० [अ०] इत्यादि । -गुज़ारना-समय नष्ट करना, दिन काटना । -तंग वचन-पु० [सं०] बोलनेकी क्रिया; आदमीके मुँहसे निकले होना-कालका प्रतिकूल होना।-देना-किसीसे मिलने, हुए सार्थक शब्दोंका समूह, बात, वाणी; कही हुई बात बातचीत आदिके लिए समय नियत कर देना। -पड़ना शास्त्रादिका वाक्या आदेश; घोषणा; उच्चारण; शब्दका -मुसीबत आना, कठिनाई में पड़ना।-पड़ेपर-मुसीबतके अर्थ या भाव; राय, शिक्षा; एक, अनेकका बोध करानेवक्त । -पर-मौकेपर; काम पड़नेपर, गाढ़े वक्तपर । वाला व्याकरणका विशेष विधान । -कार-कारी: -बेवक़्त काम आना-जरूरतके समय काम आना। (रिन)-वि० आशापालक । -पटु-वि० बोलने में वक्तन फवक्तन-अ० [अ०] जबतब, समय-समय पर ।। कुशल । -पत्र-पु० (प्रामिसरी नोट) वह ऋणपत्र जिसमें वक्तव्य-वि० [सं०] कहने योग्य निंदनीय । पु० कथन, सरकार प्रजासे कुछ ऋण लेकर यह प्रतिशा करती है कि वचन; किसी विषय में कथनीय बात ।
अमुक व्यक्तिसे इतना ऋण लिया गया और उसका सूद वक्ता(क्त)-वि० [सं०] कहने, बोलनेवाला; भाषणकलामें इस हिसाबसे ऋणदाताको दिया जायगा दे० 'प्रतिशा
प्रवीण, विद्वान् । पु० कथा कहनेवाला पुरुप, व्यास। पत्र-मुद्रा। -बंध-पु० (एंगेजमेंट) किसीसे मिलने या वक्तृता-स्त्री०, वक्तृत्व-पु० [सं०] भाषण वाकौशल, भविष्य में कोई काम करने आदिका आपसी निश्चय या वाग्मिता।
वचन देना । -बद्ध-वि० जिसने कोई वादा किया हो, वक्त्र-पु० [सं०] मुख, थूथन, चोंचा दंत। -ज-पु० | प्रतिश्रत । -विदग्धा-स्त्री० वह परकीया नायिका जो ब्राह्मण दाँत ।
वाक्चातुर्यसे किसीको वशीभूत करे। वक्त्रासव-पु० [सं०] राल, लाला ।
वचसा-अ० [सं०] वचन द्वारा। वक्फ-पु० [अ०] ठहराव; खुदाके नामपर छोड़ी हुई | वचस्वी (स्विन)-वि० [सं०] भाषणपटु । चीज, देवोत्तर संपत्ति लोकोपकारार्थ दी हुई वस्तु | वच्छ *-पु० वक्ष, छाती; वत्स, बच्चा।
For Private and Personal Use Only