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शहद - शांति
I
शहद - पु० [अ०] किंचित् लाली लिये हुए पीले या सफेद रंगका मीठा शीरा जो मधुमक्खियों और कुछ अन्य कीड़ों द्वारा संगृहीत पुष्परसका रूपांतर होता है, मधु वि० अति मधुर । -की छुरी-मीठी छुरी; जबानका मीठा, दिलका खोटा । - की मक्खी - मधुमक्खी; लोभी और पीछा न छोड़नेवाला आदमी । मु० ( जबान में ) - घुलना - मिठास से भर जाना । ( कानों में ) - घोलनाअति मधुर, सुखद वचन बोलना । -लगाकर अलग हो जाना - झगड़ा लगाकर आप अलग हो जाना, दूरसे तमाशा देखना । -लगाकर चाटना-निरर्थक चीजको नसे रखे रहना ।
शहना - स्त्री० [फा०] दे० 'शहनाई' | शहनाई - स्त्री० [फा०] मुँहमे फूँककर बजाया जानेवाला एक प्रसिद्ध बाजा, नफीरी ।
शहर- पु० [फा०] नगर। -ख़बरा - वि० शहरभरकी, घर-घरकी खबर रखनेवाला । - गश्त, -गिर्द - वि० शहरमें घूमनेवाला, पतरौल - दार- पु० शहरका रहनेवाला, शहरी । - पनाह - स्त्री० परकोटा, नगरके रक्षार्थ बनायी हुई चहारदीवारी | बंद - पु० जेलखाना; कैदी । -बदरवि० निर्वासित (करना, होना) । - बशहर - अ० एकसे दूसरे और दूसरे से तीसरे शहरतक, जगह-जगह । - बाशपु० शहरका रहनेवाला, शहरी । यार पु० बादशाह; समकालीन बादशाहोंमें प्रमुख । - यारी - स्त्री० बादशाही; शाहाना दबदबा | मु० - की दाई - घर-घरकी खबर रखनेवाली स्त्री ।
शहवत - स्त्री० [अ०] कामना; भोगेच्छा; संभोगकी इच्छा । शहादत - स्त्री० [अ०] गवाही, साक्ष्यः खुदाकी राह में शहीद होना; धर्मयुद्ध में लड़ते हुए मारा जाना; वध । - नामा - ५० वह पुस्तक जिसमें इमाम हुसैनकी शहादतका वर्णन हो; कपड़ेपर लिखा हुआ शहादतका कलमा जिसे मुसलमान मुर्दे के कफन में रख देते हैं । शहाना - वि० [फा०] ( 'शाहाना' का लघु रूप ) । राजसी, राजोचित; सुंदर, बढ़िया । पु० दूल्हे को पहनाया जाने - वाला लाल जोड़ा; व्याहका एक गीत; एक गत; संपूर्ण जातिका एक राग । कान्हड़ा - पु० कान्हड़ा रागका एक भेद । - जोड़ा - पु० दूल्हेका सुर्ख जोड़ा; सुर्ख पोशाक । - वक्त-पु० शामका वक्त; सुहावना समय । - ( नी ) चूड़ियाँ - स्त्री॰ लाल रंगकी सुंदर चूड़ियाँ । - मँहदीस्त्री० गहरे रंगवाली मेंहदी ।
शहाब - पु० [फा०] गहरा लाल रंग; कुसुमको भिगोकर निकाला जानेवाला गहरा लाल रंग ।
शहाबी - वि० शहाबके रंगका, लाल । शही - स्त्री० वादशाही; मिठाई । शहीद - वि० [अ०] जो धर्म या शुभ कार्यके लिए लड़ते हुए मारा जाय; हत, कतल किया हुआ; अपनेको बलि, कुरबान कर देनेवाला ।
शहीदी - वि० शहीद होनेको तैयार; लाल ! - जत्था - पु० शहीद होने को तैयार जनोंका जत्था । - तरबूज - पु० तरबूजकी एक बढ़िया किस्म जिसका छिलकातक सुर्ख होता है ।
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शांकर- पु० [सं०] शंकराचार्य के मत, संप्रदायका अनु यायी । वि० शिव-संबंधी; शंकराचार्य-संबंधी । शांख-पु० [सं०] शंख ध्वनि । वि० शंख निर्मित, शंखका; शंख-संबंधी ।
शांत - वि० [सं०] शांतियुक्त; मौन, चुप, निःशब्द, सूनसान; धीर, स्थिरमना, अचंचल, अनुद्वेगशील; श्रांत, थका हुआ; स्थित, रुका हुआ; शमित, मिटा हुआ; संतुष्ट; जीवन के लक्षणोंसे दीन, मृत; सांसारिकतासे निवृत्त; इंद्रियोंको दमित करने या जीतनेवाला; उत्साहहीन, अप्रयत्नशील, शिथिल, शिष्ट, सौम्य प्रकृतिवाला, विनम्र; समाप्त, बुझा हुआ; क्रोधादिसे निवृत्त, मनोविकारहीन, स्वस्थमना; किसी घटना, किसी बात, किसी मनोभाव आदिसे प्रभावित न होनेवाला । पु० साहित्यशास्त्रवर्णित नौ रसों में से एक रस (इसका स्थायी भाव 'निवेंद' है) । शांतनु - पु० [सं०] महाराज प्रतीपके पुत्र, भीष्मके पिता (ये चंद्रवंशी थे और द्वापरयुगमें हुए थे) । शांता - स्त्री० [सं०] महाराज दशरथकी कन्या जिसे अंगराज लोमपादने गोद लिया था और जो शृंगी ऋषिको ब्याही गयी थी ।
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शांति-स्त्री० [सं०] निःशब्दता, सूनापन; धीरता, मनकी स्थिरता, अनुद्वेगशीलता; सांत्वना, तसल्ली; काम, क्रोध, रोग, पीड़ा, अग्नि, ताप आदिका शमन; आराम, चैन, सुख; मृत्युः जितेंद्रियता; शिष्टता, सौम्यता; क्रोधादि मनोविकारोंसे निवृत्ति, मनकी स्वस्थता; सांसारिकतासे विराग; युद्धादिका रुक जाना या न होना; अनिष्ट, अमं गल आदिका पूजा, व्रत, यश आदि द्वारा शमन ( जैसे ग्रहशांति आदि) । - कर, - कारी (रिन्) - वि० शांति करने, लानेवाला । - कर्म ( नू ), - कार्य - पु० दे० 'शांतिक' । - कलश-घट - पु० शांति के लिए स्थापित कलश । - गृह- पु० यशके अंत में शांति- जलसे स्नान करनेका घर; विश्रामगृह । -जल-पु० यश, पूजा आदि में सुख, शांतिदायक मंत्रपूत अवशिष्ट जल -ददाता (तृ), - दायक - दायी (यिन् ) - वि० शांति देनेवाला । - निकेतन - पु० शांतियुक्त, शांतिदायक गृह, स्थान; विश्वकवि रवींद्रनाथ ठाकुर द्वारा बंगाल प्रांतके बोलपुर नामक स्थान में स्थापित एक अंतरराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त विद्यासंस्था । - पर्व (न्) - पु० 'महाभारत'का बारहवाँ पर्व (इसमें युद्ध की विभीषिकासे तप्त युधिष्ठिर के मनकी शांति के लिए ज्ञान, उपदेश आदिके प्रसंग वर्णित हैं ) । - पात्र - पु० यश, पूजा आदिके अवसरोंपर ग्रह, अमंगल आद्रिकी शांति के लिए जलयुक्त पात्र । -प्रद - वि० शांतिदायक - प्रिय - वि० ( वह व्यक्ति) जिसे शांति प्रिय हो, शांतिका भभिलाषी । - भंग-पु० शांति-नाश; उपद्रवका होना; शासन, अनुशासन आदिका न माना जाना, विघ्नोत्पादन । -रक्षक- पु० अमन कायम रखनेवाला । - रक्षा - स्त्री० उपद्रव निवारण। -वाद-पु० (पैसिफिज्म) विश्व में शांति बनाये रखने, किसी भी स्थिति में युद्ध न होने देने पर जोर देनेका सिद्धांत या इसके लिए किया जानेवाला आंदोलन। -वादी (दिन) - वि० (पैसिफिस्ट) शांतिवाद के सिद्धांतका अनुयायी । -स्थापन