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सह-सनाथ समाचार |-वृत्त-पु०सुंदर वर्तुलाकार आकृति; सदाचार। सन-स्त्री० किसी चीजके हवामें तेजीसे चलनेसे उत्पन्न वि० सदाचारयुक्त; अच्छे छंदोंवाला । -वृत्ति-स्त्री० शब्द । -सन-स्त्री० हवाकी आवाज, सनसनाहट । सद्व्यवहार, सदाचार।
| सनत-स्त्री० [अ०] कारीगरी; हुनर, पेशा; अलंकार सह-पु० शब्द, ध्धनि । अ० शीघ्र । वि० ताजा, टटका। (सा०)। -गर-पु० कारीगर, पेशावर । सद्म (न)-पु० [सं०] मकान, निवास स्थान; वेधशाला, सनई-स्त्री०सनका एक भेद। युद्ध, संघर्ष, पृथ्वी और आकाश ।
सनक-पु० [सं०] ब्रह्माके चार मानसपुत्रोंमेंसे एक । स्त्री० सद्यः (द्यस)-अ० [सं०] आज ही; उसी दिन; तत्क्षण, [हि०] धुन, झोंक; खन्त, दीवानगी, पागलपन । मु०फीरन तेजीसे हाल में हो, कुछ ही काल पूर्व, अभी-अभी। आना-पागल होना । -चढ़ना,-सवार होना-धुन -(द्यः) कृत-वि. जो तुरंत, उसी समय किया गया सवार होना । -लेना-पागलपनका कोई काम करना । हो । -क्रीत-वि० उसी दिन खरीदा हुआ। पु० एक सनकना-अ० क्रि० उन्मत्त, पागल, झक्की होना। एकाह । -प्रसूता-स्त्री० वह स्त्री जिसने अभी-अभी सनकाना-स० कि. किसीको पागल बनाना । प्रसव किया है। -प्राणकर-वि० तुरंत शक्ति बढ़ाने | सनकारना*-स० क्रि० इशारा करना; इशारेसे बुलानावाला। -फल-वि० जिसका फल तुरंत देख पड़े। 'सनकारे सेवक सकल चले स्वामि रुख पाइ'-रामा०; -स्नात-वि० तुरंतका नहाया हुआ।
किसी कामके लिए संकेत करना । सद्यश्च्छिन्न-वि० [सं०] तुरंतका काटा या काटकर ! सनकियाना-सक्रि० संकेत करना; पागल बनाना । अलग किया हुआ।
अ० क्रि० पागल होना। सद्यस्तन-वि० [सं०] ताजा, नया; उसी समयका । सनत्-पु० [सं०] ब्रह्मा। -कुमार-पु. ब्रह्माके चार सद्योजात-वि० [सं०] जो अभी उत्पन्न हुआ हो। मानस पुत्रों मेंसे एक जैनोंके बारह चक्रवतियों में से एक सद्योजाता-स्त्री० [सं०] वह स्त्री जिसे हाल में ही बच्चा यौवनकीसी अवस्था बनाये रखनेवाला कोई संत; तीसरा पैदा हुआ हो।
स्वर्ग (जैन)। सद्योत्पा-वि० सं०] दे० 'सद्योजात' ।
सनद-स्त्री० [अ०] वह जिसपर पीठ टेकी जाय, तकियासद्योव्रण-पु० [सं०] ताजा घाव ।
गाह प्रमाण प्रमाणपत्र, सर्टिफिकेट; अनुमति-पत्र; तमसद्योहत-वि० [सं०] जो अभी हत हुआ हो।
स्सुक, किबाला; काजी या मुफ्तीकी मुहर । वि० प्रामासद-पु० [अ०] छाती, सीना; सर्वोच्च स्थान; शीर्षभागः णिक, प्रमाणरूप; भरोसा करने योग्य । -याफ्ता-वि०
उच्च पदस्थ जनके बैठनेका स्थान; प्रधान अधिकारीके जिसके पास सनद या प्रमाणपत्र हो। रहनेका स्थान; सदर मुकाम; सभापति; मकानका सहना | सनदी-वि० प्रामाणिक; सनदयाफ्ता । * स्त्री० हाल, सामनेका रुख । -अदालत-स्त्री० सर्वोच्च न्यायालय । वृत्तांत । --(द)आज़म-पु० वजीरे आजम, प्रधान मंत्री प्रधान | सनना-अ० क्रि० जलके योगसे चूर्णादिका एकमें मिलना; जज । -मजलिस-पु० सभापति, मीर मजलिस। लथपथ होना; लिप्त होना, पगना । सधन-वि० [सं०] धनी, धनयुक्त। पु. सम्मिलित धन, | सननी-स्त्री० पानीमें साना हुआ भूसा, सानी । सामान्य धन ।
सनमान*-पु० दे० 'सम्मान'। सधना-अ० क्रि० काम पूरा होना, कार्य सिद्ध होना; सनमानना*-स० क्रि० आदर, सत्कार करना । सँभलना; अपने अनुकूल होना; घोड़ों आदिका सीखकर | सनमुख*-अ० दे. 'सम्मुख' । कामके लायक होना, निकलना अभ्यस्त होना; साधा सनसनाना-अ० कि. गतिशील पदार्थ में हवा लगने, जाना, नापा जाना; निशाना ठीक होना ।
हवा चलने या पानी उबलने आदिसे 'सन-सन' शब्द सधर*-पु० ऊपरी ओठ ।
उत्पन्न होना। सधर्म-वि० [सं०] एक ही धर्म या स्वभाववाला; एक ही | सनसनाहट-स्त्री० हवा चलने, कोरे घड़े में पानी डालने, नियमके अंदर आनेवाला, समान, सश: पुण्यात्मा, सच्चा; जलके उबलने आदिसे उत्पन्न 'सन-सन'की आवाज । एक ही जैसे कर्तव्योंवाला।
सनसनी-स्त्री० झुनझुनी, भय, आश्चर्य आदिके कारण सधर्मा(मन)-वि० [सं०] समान धर्मयुक्त ।
उत्पन्न स्तब्धता; सन्नाटा; खलबली; सनसनाहट । सधर्मी(र्मिन्)-वि० [सं०] समान धर्मका अनुयायी । सनहकी-स्त्रीमुसलमानोंके काममें आनेवाला बड़ी सधवा-स्त्री० [सं०] सुहागिन, सौभाग्यवती।
तश्तरी जैसा मिट्टीका एक बरतन । सधाना-स० क्रि० साधनेके काममें दूसरेको प्रवृत्त करना। सनाढ्य-पु० ब्राह्मणोंकी एक उपजाति । सधावर-पु० गर्भवती स्त्रीको दिया जानेवाला उपहार । सनासन-वि० [सं०] नित्य; अनादि सुनिश्चल, स्थायी सधूम-वि० [सं०] धुएँसे भरा या ढका हुआ।
प्राचीन । पु० ब्रह्मा, विष्णु, शिव । -धर्म-पु. प्राचीन सनंदन-पु० [सं०] ब्रह्माके चार मानस पुत्रोंमेंसे एक।। धर्म; परंपरागत धर्म (जो साधारण हिंदु जनतामें प्रचलित सन-वि० स्तब्ध । * प्र० करणकी विभक्ति। पु० एक पौधा है)। -पुरुष-पु. विष्णु; आदि पुरुष । जिसकी छालसे ररसी आदि बनाते हैं। दे० 'सन' [सं०] | सनातनी-वि० सनातन धर्मका अनुयायी; बहुत पुराना । ब्रह्माके चार मानस पुत्रोंमेंसे एक लाभ, प्राप्ति हाथीका | स्त्री० [सं०] लक्ष्मी; दुर्गा; सरस्वती । कान फटफटाना। -पर्णी-स्त्री० असनपणी ।
सनाथ-वि० [सं०] स्वामियुक्त, जिसका कोई रक्षक हो;
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