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सभार्य-सम है (कभी-कभी यह प्रधान मंत्री या मुख्य मंत्रीसे भिन्न विद्या०।-तोलन-पु० समान करना तराजूके पलड़ाको भी होता है)।
बराबर करना। -त्रिबाहु त्रिभुज-पु० ( ईविलेटरल सभार्य, सभार्यक-वि० [सं०] सपत्नीक ।
ट्राइएंगिल) वह त्रिभुज जिसकी तीनों भुजाएँ बराबर सभेय-वि० [सं०] सभोचित विद्वान् । शिष्ट ।
हों । -त्रिभुज-वि० जिसकी तीनों भुजाएँ समान सभोचित-वि० [सं०] सभाके योग्य ।
हों। पु०ऐसा क्षेत्र (ज्या०)। -दर्शन-वि० एकरूप, सभ्य-वि० [सं०] सभाका सभासे संबद्ध सभाके योग्य; एक जैसी शकलवाला; एक नजरसे देखनेवाला । -दीशिष्ट, संस्कृत नम्र विश्वस्त । पु० सभासद पंच। (शिन्)-वि० सबको एकसा देखने-समझनेवाला । सभ्यता-स्त्री०, सभ्यत्व-पु० [सं०] सभ्य होनेका भाव; | -दृष्टि-वि० दे० 'समदशी'। स्त्री० सबको एक नजरसे सदस्यता; शिष्टता, नम्रता, भद्रता; कुलीनता ।
देखनेकी क्रिया । -द्युति-वि० समान कांतियुक्त । सभ्येतर-वि० [सं०] उजड्डु, बेशऊर ।
-द्विबाहु त्रिभुज-पु० (आइसॉसिलीज ट्राइएं गिल) वह समंजस-वि० [सं०] उचित, उपयुक्तठीक, समीचीन । त्रिभुज जिसकी दो भुजाएँ बराबर हों।-द्विभाग करनासमंत-पु० [सं०] सीमा, हद ।।
स० क्रि० (टु बाइसेक्ट ) दो बराबर भागोंमें बाँटना । समंद-पु० [फा०] बादामी रंगका घोड़ा जिसका अयाल, -द्विभुज-वि० जिसकी दो भुजाएँ बराबर हो । पु० ऐसा दुम और जाँघ या पाँव और जाँधके बाल स्याह हों; चतुर्भुज । -धर्मा(मन)-वि० एक जैसे स्वभावका । (अच्छी नस्लका) घोड़ा।
-परिधान-पु० (यूनीफार्म) दे० 'विपरिधान'।-प्रभसमंदर*-पु० समुद्र ।
वि० समान कांतिवाला । -बहुभुज-पु. (रेगुलर सम-* स्त्री० समता, बराबरी । वि० [सं०] एक ही, पॉलीगान ) वह बहुभुज जो समान भुजिक और समान अभिन्न; सश, एकसा; बराबर चौरस, इमवार, कोणिक, दोनों हो। -बुद्धि-वि० सुख-दुःखादि एकसा जो दोसे पूरा-पूरा बँट जाय, विषम नहीं; पक्षपात रहित। समझनेवाला, उदासीन । स्त्री० वह बुद्धि जो किसी निष्पक्ष; ईमानदार, सच्चा साधु, नेक; मामूली, साधारण; हालतमें विचलित न हो। -भाग-पु० बराबर हिस्सा। कमीना; सीधा; उपयुक्त, सुविधाजनक; उदासीन, वि० बरावर हिस्सा पानेवाला। -भुज (या समानविरक्त सब, समग्र । पु० चौरस मैदान; एक काव्या भुजिक) बहुभुज-पु. (ईकिलेटरल पॉलीगॉन) वह लंकार (१) जहाँ दो वस्तुओं में यथायोग्य संबंधका होना बहुभुज जिसकी सब भुजाएँ आपसमें बराबर हों।-भूमिदिखाया जाय या (२) जहाँ कारणके साथ कार्यका सारूप्य स्त्री हमवार जमीन ।-मित आकृति-स्त्री० (सिमेट्रिकल हो अथवा (३) जिसके लिए प्रयल किया जाय उसकी फिगर) वह आकृति जिसको बीचकी रेखाके बल तह सिद्धिविना अनिष्टके ही होना वर्णित किया जाय; तालका। करनेपर रेखाके एक ओरका भाग ठीक-ठीक दूसरी ओरके एक अंग, संगीतमें वह स्थान जहाँ लयकी समाप्ति और भागको टूक ले । -रस-वि० एक ही, प्तमान भावसे तालका आरंभ होता है। * दे० 'शम'। -कक्ष-वि० युक्त; एक रसवाला; एकसा । -रूप-वि० समान समान वजनका, बराबरीका । कक्ष सरकार-स्त्री० [हिं०] रूपका। -रूप प्रस्ताव-पु० ( आइडें टिकल मोशन) (पैरेलल गवर्नमेंट) दे० 'प्रति-सरकार'। -कालीन- किसी अन्य प्रस्तावसे बिलकुल मिलता-जुलता प्रस्ताव । वि० एक समयमें रहने या होनेवाले (कनटेंपोरेरी), सम- -लंब चतुर्भुज-पु० (ट्रैपीजियम) वह चतुर्भुज जिसकी सामयिक ।-कोण-वि० बराबर कोणोंवाला (क्षेत्र) । पु० केवल एक जोड़ी आमने-सामनेकी भुजाएँ समानांतर हों। (राइट एंगिल) वह कोण जो ९० अंशके बराबर हो । - -लोष्टकांचन-वि. जिसकी दृष्टि में ढेला और सोना कोण त्रिभुज-पु०(राइट एंगिल्ड ट्राइएंगिल) वह त्रिभुज बराबर हों। -वयस्क-वि० बराबर उम्रका, एक ही जिसका एक कोण समकोण हो। -क्षेत्र-पु०,-तला.
उम्रका, हमउम्र । -वर्ण-वि० एक ही रंगका; एक ही कृति-स्त्री० (प्लेन फिगर ) समतलका वह भाग जो एक जातिका । -वर्ती(र्तिन)-वि०किसीके प्रति पक्षपात या अधिक सरल या वक्र रेखाओंसे घिरा हो । -चतुरश्र, न दिखानेवाला; एकसा व्यवहार करनेवाला; समान -चतुरस्र-वि०जिसके चारों कोण बराबर हो । पु०वर्गक्षेत्र दूरीपर स्थित ( कॉनकरेंट) साथ-साथ होने, रहने या (ज्या०)।-चतुर्भुज-पु० वह क्षेत्र जिसकी चारों भुजाएँ चलनेवाला। -वितरण-पु० ( राशनिंग) खाद्यान्न या बराबर हों (ज्या०)। -चतुष्कोण-वि० जिसके चारों वस्त्रादिकी कमी होनेपर नागरिकोंको प्रति दिन या प्रति कोण बराबर हों (ज्या०)। -चर-वि० एकसा व्यवहार मासके लिए निर्धारित समान मात्रा वितरित करनेका
या आचरण रखनेवाला। -चित्त-वि० धीर, शांत; कार्य या व्यवस्था, खुराकबंदी। -विभाग-पु० बराबर । उदासीन; जिसके विचार एक ही विषयपर केंद्रित हों।। हिस्सों में संपत्तिका बँटवारा। -विषम-पु. वह जमीन
-चेता(तस्)-वि० दे० 'समचित्त'। -जातीय- | | जो ऊबड़-खाबड़ हो । -वीर्य-वि० बराबर बलवाला । वि० (होमोजीनिअस) समान जाति या प्रकारका, -वृत्त-पु० वह छंद जिसके चारों चरण समान हों। एक ही प्रकारका। -तल-वि० चौरस, हमवार । पु० वि० बराबर गोलाईवाला । -वृत्ति-स्त्री० धीरता, मनकी (प्लेन सरफेस ) वह तल जिसमें यदि कोई भी दो बिंदु स्थिरता । -वेष-पु० एक जैसी पोशाक । -शीतोष्णले लिये जायँ तो इनको मिलानेवाली सरल रेखा सब वि० (स्थान) जहाँ सदी गर्मीकी मात्रा बराबर रहे, न जगह उसी तलमें रहती है। -तुलित-वि० बराबर वज- अधिक उष्णता हो न शीत । -शीतोष्ण कटिबंध-पु. नका |-तूल*-वि०समान-'सुजनक प्रेम हेम समतूला'- (टेपरेट जोन) उष्ण कटिबंध तथा उत्तरी शीत कटिबंध
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