________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
८१७
- मूल्य - पु० ( सरेंडर वैल्यू ) अवधि पूरी होनेके पहले ही बीमापत्र समर्पित कर देनेपर बीमा करानेवालेको उसके बदले दिया जानेवाला धन ।
समर्पना * - स० क्रि० सौंपना, समर्पण करना । समर्पयिता (तृ) - वि० [सं०] समर्पण करनेवाला । समर्पित - वि० [सं०] समर्पण किया हुआ, दिया हुआ, सौंपा हुआ; निक्षिप्त; रखा या जमाया हुआ; प्रत्यर्पित । समलंकृत - वि० [सं०] खूब सजा हुआ, अलंकारादिसे पूर्णतः विभूषित ।
समल- वि० [सं०] मलयुक्त, गंदा, अशुद्ध; पापी । समवरोध - पु० [सं०] ( ब्लाकेड ) किसी स्थान आदिका शत्रुकी सेनाओं, जहाजों आदि द्वारा इस तरह घेर लिया जाना जिससे आवागमनके मार्ग बिलकुल अवरुद्ध हो जायें, नाकेबंदी |
समवाय- पु० [सं०] संयोग, मेल, राशि, समूह; एकत्र होना; घनिष्ठ संबंध; अभेध संबंध, नित्य संबंध (जैसेपदार्थ और गुण, अंगी और अंगका - वैशेषिक दर्शन ); नियमानुसार गठित वह व्यापारिक संस्था जिसमें कई हिस्सेदारोंकी पूँजी लगी हो, जिन्हें अपने हिस्सोंकी पूँजीके अनुसार लाभांश पानेका हक होता है । समवायी (यिन) - वि० [सं०] घनिष्ठ रूपमें संबद्ध; जिसके साथ अमेध संबंध हो, नित्य संबंधी; राशिमय; बहुल | पु० हिस्सेदार, अंग, अवयव । -कारण-पु० वह कारण जो पृथक् न किया जा सके, अंतर्निहित हो, उपादान कारण (वैशेषिक) ।
समसर* - स्त्री० बराबरी - 'प्रीतम रूप कजाक के समसर कोई नाहि' - रतन० ।
समसेर * - स्त्री० शमशेर, तलवार ।
समस्त - वि० [सं०] जोड़ा हुआ, संयुक्त किया हुआ; समास के रूप में परिणत; सब, संपूर्ण; संक्षिप्त किया हुआ । समस्या-स्त्री० [सं०] पूर्ण करनेके लिए दिया जानेवाला छंदका अंतिम चरण या चरणांश; कठिन विषय, जटिल प्रश्न । - पूर्ति - स्त्री० छंदके चरण या चरणांशके आधारपर उसे अंतमें रखते हुए छंदकी पूर्ति करना । सभा - पु० समय; ऋतु; जमाना, मौका; बहार; दृश्य, नजारा, रौनक, चमक-दमक । मु०- बँधना-रंग जमना; गाने या नाचसे लोगोंका प्रभावित होना । -बदल जाना - स्थिति बदल जाना। - बाँधना - रंग जमाना । समा- पु० दे० 'समाँ'; [अ०] आकाश, आसमान । स्त्री० [सं०] वर्ष, संवत्सर, साल ।
समवेत - वि० [सं०] इकट्ठा किया हुआ, संयुक्त, एकत्र । समवेतन - पु० (रैली) बालचरों, अनुयायियों आदिका एक स्थानपर जमा होना; तितर-बितर हुए सैनिकोंका पुन: एकत्र होना; समागमन ।
समवेत होना - अ० क्रि० ( टु मीट, टु असेंबल ) इकट्ठा | समाजीकरण - पु० [सं०] ( सोशलाइजेशन ) किसी उद्योगहोना, सभा के सदस्योंका सभाके रूपमें एकत्र होना । समष्टि - स्त्री० [सं०] संपूर्णता; एक जैसे अंगों का समूह, व्यष्टिका उलटा ।
व्यवसायादिको ऐसा रूप देना जिससे उसपर सारे समाजका अधिकार हो जाय और उसका लाभ सब लोग समान रूपसे उठा सकें ।
समाज्ञात- वि० [सं०] जाना हुआ; माना हुआ । समादत्त - वि० [सं०] गृहीत; प्राप्त । समादर - पु० [सं०] विशेष आदर, प्रतिष्ठा, सत्कार । समादरणीय- वि० [सं०] विशेष आदर करने योग्य, सम्मान्य ।
समाई - स्त्री० समानेका भाव; सामर्थ्य; औकात; गुंजाइश । समाउ * - पु० गुंजाइश, निर्वाह ।
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
समर्पना- समाधानना
समाकलन- पु० [सं०] ( क्रेडिट) किसी के खाते में उससे प्राप्त कोई रकम या धन जमाकी ओर लिखना । समाख्यान - पु० [सं०] नाम लेना; वर्णन; ब्याख्या । समागत- वि० [सं०] पहुँचा हुआ; कहींसे आया हुआ; जो सामने उपस्थित या विद्यमान हो ।
समागम - पु० [सं०] भेंट, मिलना; भिड़ंत; साथ, संगति; आना, आगमन; (ग्रहोंका) योग; संघ, समूह; मैथुन । समागमन- पु० [सं०] ( रैली ) दे० 'समवेतन' । समाचार - पु० [सं०] वृत्तांत, संवाद, खबर; विवरण । - पत्र - पु० वह कागज जिसमें देश-विदेश की खबरें छपी रहती हैं, अखबार । - प्रेव - पु० ( न्यूज डिस्पैच ) समाचारोंका भेजा जाना; वह सामग्री जो समाचारके रूपमें भेजी जाय, समाचार सामग्री । - सूचना - स्त्री० ( प्रेस (नोट) समाचारपत्रोंके लिए या समाचारके रूपमें प्रकाशित सूचना ।
समाज - पु० [सं०] मिलना, एकत्र होना; समूह; संघ, दल; सभा, समिति; आधिक्य; समान कार्य करनेवालोंका समूह; विशेष उद्देश्यकी पूर्तिके लिए संघटित संस्था; ग्रहोंका एक योग। -वाद- पु० ( सोशलिज्म ) यह सिद्धांत कि उत्पादन के समस्त साधनोंपर समाजका अधिकार हो और उनसे उत्पन्न होनेवाली संपत्तिका यथासंभव समान रूपसे वितरण हो । -वादी ( दिन ) - पु० (सोशलिस्ट) समाजवादका अनुयायी । -शास्त्र- पु० मनुष्यको सामाजिक प्राणी मानकर समाजके प्रति उसके कर्तव्यों आदिका विवेचन करनेवाला शास्त्र । - सेवक - पु० समाजके हितके लिए कार्य करनेवाला । - सेवा - स्त्री०समाजका हित-साधन । समाजी- पु० आर्य समाजके सिद्धांतोंको माननेवाला; वेश्याओं के साथ तबला, मँजीरा आदि बजानेवाला, सपरदाई
समादान - पु० [सं०] पूर्ण रूपसे ग्रहण करना; अपनेपर लेना; * दे० 'शमादान' ।
समाहत - वि० [सं०] सत्कृत, सम्मानित | समादेय - वि० [सं०] ग्रहण करने योग्य | समादेश- पु० [सं०] आज्ञा, आदेश, निर्देश । समाद्रित * - वि० दे० 'समाप्त' ।
समाधान- पु० [सं०] मिलाना; मेल बैठाना; ध्यान; समाधि; संदेहनिवारण, निराकरण; प्रतिपादन; सहमत होना; मुख संधिका एक अंग, बीजस्थापन ( वह घटना जिससे कथानककी उत्पत्ति होती है) । समाधानना* - स०क्रि० संतोष, समाधान करना; सांत्वना देना ।
For Private and Personal Use Only