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संभारना-संयोगी सँभारना -स० दे० 'सँभालना'; स्मरण करना-'यह त्वरामय, स्फूर्तियुक्त; समाहत, सम्मानित । पु० आदरसुनि बोली नारि केकयी अपनो वचन सँभारो'-सू०, णीय व्यक्ति। 'तेहि खल पाछिल बयरु सँभारा'-रामा।
| संभ्रांति-स्त्री० [सं०] घबड़ाहट; उतावली; चकपकाहट । सभाल--स्त्री० देख-भाल; व्यवस्था, प्रबंध; चेत, होश | संभ्राजना*-अ० क्रि० शोभित, शोभायमान होना । पोषणादिका भार ।
संयत-वि० [सं०] रोका हुआ, दमित संयमी, जितेंद्रिय सभालना-स० क्रि० रोक-थाम करना; टेकना, सहारा बद्ध, कैद किया हुआ; व्यवस्थित किया हुआ; उद्यत देना; रक्षा करना; पालन करना; ग्रहण करना; काबूमें | सीमित । -चेता(तस.),-मना(नस)-वि० जिसका रखना; सहायता देना; प्रबंध करना; सहेजना; भार| मन, चित्तवृत्ति नियंत्रित हो। उठाना; अपनेको जब्त करना, संयत करना।
संयतामा(त्मन)-वि० [सं०] दे० 'संयतचेता'। सँभाला-पु० मरनेके पहलेकी चेतनावस्था ।
संयताहार-वि० [सं०] मिताहारी। संभावना-स्त्री० [सं०] पूजा-सत्कार, आदर-भाव; हो संयति-स्त्री० [सं०] तपश्चर्या, निरोध, संयमन । सकना, मुमकिन होना; एक काव्यालंकार-जहाँ किसी | संयम-पु० [सं०] रोक, निग्रह, नियंत्रण, दमन; इंद्रियएक बातके होनेपर दूसरीके होनेकी संभावना वर्णित की निग्रह बाँधना; बंद करना (नेत्र); ध्यान, धारणा और जाय।
समाधि (योग); धार्मिक अनुष्ठान या व्रत; तपस्या; तपस्या संभावनीय-वि० [सं०] पूज्य, सम्मान्य; कल्पनाके योग्य आरंभ करनेके पूर्व किया जानेवाला धार्मिक कृत्य; बुरी जिसकी संभावना हो, मुमकिन ।
| वस्तुओंसे परहेज। संभावित-वि० [सं०] सम्मानित, आहत; स्वाभिमानी; | संयमन-पु० [सं०] निग्रह, दमन, आत्मनिग्रह; बाँधना,
प्रस्तुत किया हुआ; विचारित; कल्पित; मुमकिन । जकड़ना; खींचना, कैद करना । संभावितव्य-वि० [सं०] दे० 'संभावनीय' ।। संयमित-वि० [सं०] नियंत्रित, रोका हुआ दमन किया संभाव्य-वि० [सं०] आदरणीय, सम्मान्य; विचारणीय हुआ, बंधा हुआ; रोक रखा हुआ धार्मिक प्रवृत्तिवाला । मुमकिन उपयुक्त योग्य ।
संयमी(मिन्)-वि० [सं०] निग्रह, निरोध करनेवाला संभाषण-पु० [सं०] बातचीत; कथोपकथन । -निपुण- आत्मनिग्रही, जितेंद्रिय बँधा हुआ। वि० वार्तालाप करने में कुशल ।
संयुक्त-वि० [सं०] जुड़ा, मिला हुआ; संबद्ध; संबंधी; संभाषणीय-वि० [सं०] बातचीत करने योग्य । किसी कामको संयुक्त रूपसे करनेवाला (-संपादक); संभाषी(पिन)-वि० [सं०] बात कहनेवाला; वार्तालाप । संपन्न, अन्वित, सहित । -कुटुंब,-परिवार-पु. वह करनेवाला।
कुटुंब जिसमें माता-पिता, चाचा-चाची, भाई-भतीजे आदि संभाष्य-वि० [सं०] बात करने योग्य ।
मिलकर साथ-साथ रहते हों। -निर्वाचकवर्ग-पु० संभीत-वि० [सं०] बहुत डरा हुआ।
(जॉइंट इलेक्टरेट) निर्वाचकोंका वह समूह जिसमें सभी संभु*-पु० दे० 'शंभु।
संप्रदायोंके लोग हों तथा जिन्हें असांप्रदायिकताके आधारसंभुक्त-वि० [सं०] खाया हुआ; उपभोग किया हुआ पर ही मत देनेका अधिकार हो। -राष्ट्रसंघ-पु० प्रयोगमें लाया हुआ; अतिक्रांत ।
(यूनाइटेड नेशन्स आरगेनिजेशन) अंतरराष्ट्रीय झगड़ों संभूत-वि० [सं०] उत्पन्न; "से निर्मित,रचित;"से मिला और समस्याओंपर विचार करनेवाली विश्वके बहुसंख्यक हुआ, युक्त, संपन्न; उपयुक्त ।
देशोंके आधिकारिक प्रतिनिधियोंकी संस्था । -लेखा-पु० संभूय-अ० [सं०] साथ होकर या आपसमें मिलकर; [हिं०](जॉइंट एकाउंट) एकसे अधिक व्यक्तियोंके नाम संयुक्त साझेमें। -समुत्थान-पु० साझेका कारबार, कारबारमें रूपसे चलनेवाला हिसाब-किताब |- सरकार-स्त्री० [हिं०] साझेदारी।
(कोलीशन गवर्नमेंट) संकट या विशेष आवश्यकताकी संभृति-स्त्री० [सं०] संग्रह; राशि; समूह; साज-सामान, स्थितिमें बनायी गयी दो या अधिक दलोंके सदस्योंकी तैयारी; आधिक्य पूर्णता पालन-पोषण रक्षा ।
सरकार । -स्कंधप्रमंडल-पु० (जॉइंट स्टॉक कंपनी) संभेद-पु० [सं०] टूटना; भिदना ढीला होना; अलगाव; वह प्रमंडल जिसमें एकाधिक व्यक्तियोंकी साझेदारी हो। वियोग, पार्थक्या फूट पैदा करना ।
संयोग-पु० [सं०] मिलन, मेल; घनिष्ठ संपर्क; मिश्रण; संभोग-पु० [सं०] उपभोग; किसी चीजमें आनंद लेना; संबंध, वैशेषिकोंके चौबीस गुणों में से एक विवाहजन्य संबंध रति, मैथुन, शृंगार रसका एक भेद, संयोग-शृगार; युक्त, अन्वित होना; मतैक्य: किसी कार्यमें संलग्न होना; उपयोग, कब्जा।
दो आकाशीय पिंडोंका योग (ज्यो०); जोड़ा योगफल; संभोगी(गिन्)-वि० [सं०] कामुक उपभोग करनेवाला। दो व्यक्तियों, बातों आदिका अचानक एक साथ होना, पु० लंपट, कामी पुरुष ।
इत्तफाक; शृंगार रसका एक भेद, प्रेमी-प्रेमिकाका मिलन संभोजन-पु० [सं०] बहुतोंके साथ खाना; भोज, दावत । (सा०)। -शृंगार-पु० शृंगार रसका वह भेद जिसमें संभ्रम-पु० [सं०] चक्कर खाना; उतावली; जल्दबाजी प्रेमियोंके मिलन आदिसे संबद्ध बातोंका वर्णन होता है। हलचल, घबड़ाहट; उत्साह आदर,सम्मान; भूल, गलती; संयोगिनी-स्त्री० [सं०] वह स्त्री जो अपने पति या प्रियशोभा, सौंदर्य । * अ० उतावलीमें, शीघ्रतापूर्वक । तमके साथ हो, वियोगिनी न हो। संभ्रांत-वि० [सं०] घबड़ाया हुआ क्षुब्ध, उत्तेजित तेज, संयोगी(गिन)-वि० [सं०] मिलनेवाला; जो संपर्क,
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