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संपृष्ट-संभार घोल जिसमें, विशेष तापक्रम हो जानेपर, और घुल्य न संबंध प्रकट करनेवाला शब्द । घुल सके।
संबत्-पु० दे० 'संवत्' । संपृष्ट-वि० [सं०] जिससे प्रश्न किये गये हों, पूछ-ताछ संबद्ध-वि० [सं०] साथ जुड़ा या बँधा हुआ; संलग्न की गयी हो।
संबंधी, विषयक अर्थ-संबंध रखनेवाला। सँपेरा-पु. साँप पकड़ने, पालने या साँपका तमाशा संबद्धीकरण-पु०[सं०] (एफिलियेशन) किसी एक परिवार दिखलानेवाला।
या समाजका सदस्य बना लिया जाना; किसी विद्यालय सं -स्त्री० दे० 'संपत्ति'-'संपै देखि न इर्षिये विपति या महाविद्यालयका संबंध विश्वविद्यालयसे हो जाना। देखि ना रोइ'-कबीर ।
संबर-पु० [सं०] सेतु, पुल; एक तरहका हिरन । संपोला-पु० साँपका बच्चा ।
संबरण*-पु० दे० 'संवरण' । सपीलिया-पु० साँप पकड़नेवाला ।
संबरना*-स० कि० रोकना, नियंत्रण करना । संपोषित-वि० [सं०] भली भाँति पोषण किया हुआ,पालित। संबल-पु० [सं०] जल; दे० 'शंबल'; सहारा । संपोष्य-वि० [सं०] पालन-पोषणके योग्य ।
संबाद*-पु० दे० 'संवाद'। संप्रज्ञात-वि० [सं०] अच्छी तरह जाना हुआ । -योगी-संबुक*-पु. घोंघा। (गिन्)-पु. वह योगी जिसका विषय-बोध बना हुआ | संबुद्ध-वि० [सं०] पूर्णतः जाग्रत् ;ज्ञानी, चतुर, बुद्धिमान्, हो । -समाधि-स्त्री. समाधिका एक भेद जिसमें | पूर्णतः ज्ञात । पु० बुद्धः जिन । विषयोंका बोध बना रहता है।
संबुद्धि-स्त्री० [सं०] पूर्ण-बोध या शान; पूरी चेतना । संप्रति-अ० [सं०] अभी, इस काल, वर्तमान समयमें। संबोध-पु० [सं०] पूर्ण ज्ञान, सम्यक बोध; समझाना,संप्रदान-पु० [सं०] देना, प्रदान करना, हस्तांतरित बतलाना; ढाढ़स भेजना; फेंकना; नाश, बरबादी।
करना; ब्याह देना; दान; भेंट चतुर्थ कारक (व्या०)। संबोधन-पु० [सं०] जगाना; बतलाना, समझाना संबोसंप्रदाय-पु० [सं०] परंपरागत विश्वास या प्रथा; विशेष | धित करना संबोधन करने में प्रयुक्त की जानेवाली उपाधि धार्मिक मत; किसी मतके अनुयायियोंका समूह (कम्यू- वह शब्द जिससे किसीको पुकारने या उससे कुछ कहनेनिटी; स्कूल)।-बाद-पु० केवल अपने संप्रदायको ही की बात सूचित हो, आठवाँ कारक (व्या०); आकाशविशेष महत्त्व देना और अन्य संप्रदायवालोंसे द्वेष करना। | भाधित (ना०)। -वादी(दिन्)-पु. वह कट्टर विचारोंवाला व्यक्ति जो | संबोधना*-स० क्रि० सांत्वना देना; समझाना। केवल अपने संप्रदायको श्रेष्ठता प्रदान करे तथा अन्य संबोधित-वि० [सं०] चिताया हुआ; जिसका ध्यान संप्रदायवालोंको हेय समझे (कम्यूनलिस्ट) ।
आकृष्ट किया गया हो; बोध कराया हुआ। संप्रसारण-पु० [सं०] विस्तार करना; य, व, र् ल् , संबोध्य-वि० [सं०] जिसे बतलाया, समझाया जाय। का इ, उ, ऋ,ल में परिवर्तन (व्या०)।
जिसे संबोधित किया जाय । संप्राप्त-वि० [सं०] अच्छी तरह प्राप्त; जिसने प्राप्त किया। संभर-वि० [सं०] भरण, पोषण करनेवाला दे० 'संभार'। है, पहुँचा हुआ प्रस्तुत (काल); उत्पन्न घटित ।-यौवन- संभरण-पु० [सं०] पालन, पोषण; साथ रखना; रचना । वि० बालिग, युवा। -विद्य-वि० जिसने पूरी विद्या -निधि-स्त्री० (प्रॉविडेंट फंड) दे० 'भविष्यनिधि', प्राप्त कर ली हो।
सुविधायक कोष । संप्रेक्षक-पु० [सं०] दर्शक ।
सँभरना*-अ० क्रि० दे० 'सँभलना। संप्रेक्षण-पु० [सं०] भली भाँति देखना; निरीक्षण, जाँच सँभलना-अ०कि. अपनी बिगड़ती हुई स्थिति ठीक कर करना।
लेना; रुकना, थमना; काबूमें रहना; सावधान होना; संप्रेषण-पु०[सं०] (ट्रांसमिशन) एक स्थान या एक व्यक्तिके टिका रहना; स्वस्थ होना; चोट आदिसे बचाव करना। पाससे दूसरे स्थान या व्यक्तिके पास ( समाचार, रोगाणु, संभव-पु० [सं०] जन्म, उत्पत्ति अस्तित्व; होना, घटित विचारादि) भेजना, पहुँचाना, स्थानांतरित करना। होना; उत्पत्ति और पोषण; कारण, मूल । वि० जिसकी संबंध-पु० [सं०] एक साथ बँधना या जुड़ना, मेल; साथ; सत्ता हो; जो सकता हो। रिश्ता, नाता; विवाहमैत्री; छठा कारक (न्या०)। संभवतः(तस्)-अ० [सं०] संभव है, हो सकता है । -कारक-पु० एक शब्दका दूसरेसे संबंध सूचित करने संभवना*-स० कि० पैदा करना, उत्पन्न करना । अ० वाला कारक, जैसे 'रामका पत्र में 'रामका' संबंध | क्रि० पैदा होना हो सकना, संभव होना ।। कारकमें है।
संभवनीय-वि० [सं०] मुमकिन, हो सकनेवाला। संबंधातिशयोक्ति-स्त्री० [सं०] अतिशयोक्ति अलंकारका संभार-पु० [सं०] इकट्ठा, एकत्र करना; तैयारी;-'भलो भेदविशेष, जहाँ असंबंधसे संबंध दिखलाकर अतिशयोक्ति | विचार कियो नरनायक करहु यश संभारा'-रघु० साजकी जाय।
सामान, उपकरण; संपत्ति पूर्णता; समूह; परिमाण; संबंधी(धिन)-वि० [सं०].."से संबद्ध; संबंध रखने- अतिशयता, आधिक्य पालन-पोषण ।। वाला; प्रसंग, प्रकरण, विषयका; जिसका विवाह आदिके सँभार*-पु०, स्त्री रोक-थाम, देख-भाल-'सूरदास प्रभु कारण संबंध हो। पु० वह जिसके साथ विवाहके कारण | अपने ब्रजकी काहे न करत सँभार'-सू०; पालन-पोषण; संबंध हो; समधी; रिश्तेदार, नातेदार । -शब्द-पु. होश; तैयारी; संपत्ति; राशि, समूह ।
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