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शिकवा-शिखा छोटा होता है। मु०-पालना-बोझ अपने सिर लेना।। शिक्षाके अध्ययन अध्यापनके लिए तत्कालीन शिक्षालय शिकवा-पु० [फा०] शिकायत ।
जहाँ उसके अधिकारी किसी विशेष ऋषिकी शिक्षा-पद्धति शिकस्त-स्त्री० [फा०] हार, मात (खाना, देना, पाना)। चलती थी और जो उसीके नामसे प्रसिद्ध होता था; किसी शिकस्ता-वि०[फा०] टूटा हुआ, भग्न घसीट (लिखावट)। विद्यापीठ( विश्वविद्यालय के अध्यापकों तथा अन्य शिक्षा
-दिल-वि० खिन्न, भग्नहृदय । -नवीस-वि०, पु० विशेषशोंकी वह परिषद् जो पाठ्यक्रम, शिक्षणनीति आदिघसीट लिखनेवाला । -हाल-वि० फटेहाल, गरीब, का निर्णय करती है। -प्रणाली-स्त्री० दे० 'शिक्षापरीशान ।
पद्धति' । -प्रद-वि० शिक्षादायक । -प्रसार-योजनाशिकायत-स्त्री० [अ०] दोषकथन, गिला, निंदा, बुराई; स्त्री० (एजुकेशन एक्सपैंशन स्कीम) बालकों, स्त्रियों, प्रौढों, दुखड़ा; रोग, पीड़ा (पेटकी शिकायत); दोष माननेका अंधों आदिमें अधिकाधिक विस्तारपूर्वक शिक्षा फैलानेकी कारण, शिकायतकी वजह । मु०-करना-गिला करना, योजना ।-मंत्री(त्रिन)-पु.शिक्षा-विभागकी देखरेख दुखड़ा रोना; बुराई करना; उलाहना देना, पीड़ा बताना करनेवाला मंत्री । -विभाग-पु० शिक्षाको व्यवस्था (शिरदर्दकी शिकायत करना)।
तथा उसके सँभालनेके निमित्त बना विभाग। -शास्त्रशिकायती-वि०शिकायत करनेवाला; जिसमें शिकायत पु० शिक्षाविधिका विवेचन करनेवाला शास्त्र । हो (शि० चिट्ठी)।
| शिक्षार्थी(र्थिन् )-पु० [सं०] शिक्षाप्राप्तिके लिए इच्छुक शिकार-पु० अखेट, पशु-पक्षियोंको (क्रीड़ा या आहारके व्यक्ति, विद्यार्थी, छात्र । लिए) मारना; मारा हुआ पशु-पक्षी, शिकारका जानवर; शिक्षालय-पु० [सं०] विद्यालय, स्कूल, कालिज । लूटका माल, दलाल, वेश्या, डाकू आदिके फंदे में आया शिक्षित-वि० [सं०] शिक्षायुक्त; अधीत; मेधावी, निपुण हुआ आदमी । -गाह-पु०, स्त्री० शिकार खेलनेकी विनीता पालतू ; विद्वान् , विश । जगह, जंगल, रमना जंगल में बना हुआ वह मंच जिसपर शिक्षिताक्षर-पु० [सं०] शिक्षक छात्र; लेखक, मुहर्रिर । बैठकर शेर, बनैले सूअर आदिका शिकार किया जाता है। शिक्ष्यमाण-वि०,पु० [सं०] (ऐतंटिस) दे० 'पदशिक्षार्थी। -बंद-पु० वह तसमा जो घोड़ेकी दुमके पास चार- शिखंड, शिखंडक-पु० [सं०] चोटी, कलँगी, शिखा जामेके पीछे शिकार या दूसरी जरूरी चीज बाँध लेनेके मयूरपुच्छ; काकपक्ष, काकुल ।। लिए लगा होता है। -की टट्टी-छोटीसी टट्टी जिस- | शिखंडिनी-वि०, स्त्री० [सं०] शिखंडयुक्ता । स्त्री० मोरनी; पर घास बिछाकर बहेलिये अपने साथ-साथ रखते हैं। यूथिका, जूही; गुंजा, धुंधची; राजा द्रुपदकी कन्या। मु०-करना-आखेट करना; फंदे में फाँसना; मुट्टीमें शिखंडी(डिन्)-वि० [सं०] शिखायुक्त । पु० मोर; करना।-खेलना-आखेट करना। (किसीका)-होना- मोरकी पूँछ, मुर्गा; स्वर्णयूथिका; धुंधची; बाण; द्रुपदका फंदे में फंसना; किसी रोग, दुर्घटना आदिसे मरना या पुत्र जो स्त्रीरूपमें उत्पन्न हुआ था, मगर तपस्या द्वारा पीड़ित होना; किसीके रोषादिकी बलि होना ।
एक यक्षसे अपने स्त्रीरूपको बदलकर पुरुष हो गया था। शिकारी-वि०, पु० शिकार करनेवाला; व्याध ।-कुत्ता- शिख*-स्त्री०शिखा ('नखशिख'में प्रयुक्त)। पु० शिकार पकड़नेवाला, शिकारमें सहायक कुत्ता। | शिखर-पु० [सं०] पर्वताप, पहाड़का सबसे ऊँचा भाग, -जानवर-पु. वह जानवर जो आहारके लिए दूसरे शृंग, कूट; मकानका सबसे ऊँचा हिस्सा, मुड़े मंदिरका पशुओंका शिकार करता है।
सर्वोच्च भाग, कलश, गूरा; वृक्षका सबसे ऊपरी हिस्सा, शिक्य-पु०,-शिक्या-स्त्री० [सं०] छींका,सिकहर। इसका सिरा खड्गका अग्रभाग; किसी भी वस्तुका सिरा, शिक्षक-पु० [सं०] शिक्षा देनेवाला; अध्यापक, गुरु । । अग्रभाग, उसकी चोटी, नोक आदि; शिखा। शिक्षण-पु० [सं०] शिक्षा देने या लेनेका काम; शिक्षा- | शिखरन-पु० दहीमें चीनी, केसर आदि मिलाकर तैयार प्राप्ति । -कला-स्त्री० पढ़ानेकी कला। -शास्त्र-पु० किया गया पेय या लेह्य पदार्थ, श्रीखंड । (पेडेगाजी) छात्रोंको पढ़ाने, शिक्षा देनेकी विद्या। शिखरिणी-स्त्री० [सं०] नारीरत्न, उत्तम कोटिकी नारी; शिक्षणीय-वि० [सं०] शिक्षाके योग्य, पढ़ाने योग्य । रसाला, सिखरन, श्रीखंड; रोमावली जो वक्षस्थलसे चलशिक्षा-स्त्री० [सं०] व्यवस्थित रूपसे किसी शिक्षा-संस्था में __ कर नाभितक जाती है। मलिका; किशमिश एक वर्णवृत्त । या शिक्षक, गुरु आदिसे शान या विद्याकी प्राप्तिः वि० स्त्री० शिखरवाली, शिखरयुक्ता। चारित्रिक तथा मानसिक शक्तियोंका विकास प्रशिक्षण, | शिखरी (रिन्)-वि० [सं०] शिखरयुक्त । पु० पर्वत पहाड़ी ट्रेनिंग (जैसे-'व्यायाम-शिक्षा'); उपदेश; सबक, दंड किला; वृक्ष; अपामार्ग, चिचड़ा; बंदाक; कुंदरुक; कर्कट(व्यंग्य); विद्या, विज्ञान, कला (जैसे-'संगीत-शिक्षा', शृंगी, काकड़ासिंगी; यावनाल, ज्वार सिखरन । 'रण-शिक्षा'); वेदके षडंगोंमेंसे एक अंग जिसमें वेद- शिखलोहित-पु० [सं०] कुकुरमुत्ता। मंत्रों के उच्चारणकी विवेचना है; उच्चारण विज्ञान (फोनेशिखा-स्त्री० [सं०] चूड़ा, चोटी; आगकी लपट, दीयेकी टिक्स) (जैसे-'पाणिनीय शिक्षा'); श्योनाक वृक्ष । लौ प्रकाशकी किरण मोर, मुर्गा आदि जंतुओंके सिरपर-गुरु-पु० शिक्षक; शानदाता गुरु, 'दीक्षागुरु'का की कलँगी; किसी वस्तुकी नोक या नुकीला सिरा पैरके विलोम । -दीक्षा-स्त्री. शिक्षा, उपदेश आदि द्वारा पंजेका अगला हिस्सा; पेड़की जटायुक्त जड़, पेड़(विशेष किसीका बौद्धिक, चारित्रिक, मानसिक विकास ।-पद्धति- रूपसे जड़ पकड़ते हुए)की शाखा, डाली; एक वर्णवृत्त; स्त्री शिक्षा देनेका ढंग। -परिषद-स्त्री० वैदिक दे० 'शिखर'। -तरु-पु० दीपाधार, दीवट । -धर
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