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वाकिआती-वाच्यावाच्य -नवीस,-निगार-पु. खबरें लिखनेवाला, वृत्त- व्यक्ति जो बोलने में विशेष कुशल हो। -वैदग्ध्य-पु० लेखक ।
भाषण, कथोपकथनमें चतुरता; अलंकार और चमत्कारवाकिआती-वि० [अ०] घटनामूलक, परिस्थितिसे प्राप्त । मयी उक्तियों में दक्षता, प्रवीणता ।
-शहादत-स्त्री० (घटनाकी) परिस्थितिसे मिलनेवाली | वाग्मिता-स्त्री०, वाग्मित्व-पु० [सं०] पांडित्य; भाषण(अप्रत्यक्ष) शहादत ।
पटुता। वाकिफ-वि० [अ०] जानकार, जानने, समझनेवाला। वाग्मी(ग्मिन्)-वि० [सं०] भाषण-पटु, अच्छा बोलनेअभिश । -कारी-स्त्री० जानकारी, परिचय ।
वाला; बहुत बोलनेवाला; पंडित । पु० बृहस्पति विष्णु । वाकिफीयत-स्त्री० [अ०] जानकारी, अभिशता, परिचय । | वाङ्मय-वि० [सं०] वाक्यात्मक वाक्य, वचन-संबंधी; वाने(वानेअ)-वि० [अ०] होनेवाला, घटित होनेवाला, | वचन, वाणीसे किया हुआ (जैसे-वाङ्मय पाप); पठनसामने आनेवाला; असली । मु०-होना-घटित होना । पाठन-संबंधी.। पु० गद्य-पद्यरूपमें लिखित वाक्य; वाक्यवाकोचाक्य-पु० [सं०] कथोपकथन, बातचीत; तर्क। । समूह; ग्रंथ, ग्रंथ-समूह; साहित्य । वाक् (च)-स्त्री० [सं०] शब्द; वाणी, वाक्य कथन वाङ्मुख-पु० [सं०] भाषणका आरंभिक अंश, भूमिका । वादा; बोलने की इंद्रिय; सरस्वती । -कलह-पु० झगड़ा, वाचक-वि० [सं०] सूचक, बतानेवाला; मौखिक । पु० कहासुनी। -केलि-स्त्री० हँसी-मजाक । -चपल-वि० पाठक, बोलनेवाला; दूत; महत्त्वपूर्ण शब्द; उपमासूचक बड़बड़िया। -छल-पु. बहाना, टालमटूलवाली बात; शब्द संज्ञा, संकेत, नाम । -धर्मलुप्ता-स्त्री. वह उपमा काकुके सहारे वितंडा खड़ा करना। -पद-वि० बात
जिसमें वाचक और साधारण धर्मका लोप हो। -पदकरने में चतुर । -पति-पु० बृहस्पति पुष्य नक्षत्र
पु० साभिप्राय शब्द, सार्थक शब्द । -लुप्ता-स्त्री. वह भाषणकुशल व्यक्ति, वाग्मी । -पाटव-पु० भाषण
उपमा जिसमें उपमावाचक शब्द न हो। पटुता ! -पारुष्य-पु० कर्कशता, अपशब्द आदि । - वाचकोपमानधर्मलुप्ता-स्त्री० [सं०] वह उपमा जिसमें प्रतोद-पु० ताना । -शलाका-स्त्री० लगनेवाली बात ।। वाचक, उपमान और धर्म लुप्त हों। -स्तंभ-पु० अवाक रह जाना, बोल न निकलना।
वावकोपमानलुप्ता-स्त्री० [सं०] वह उपमा जिसमें वाचक वाक्य-पु० [सं०] पदोंका वह समह जिससे वक्ताका| और उपमान न हों। अभिप्राय स्पष्टतः समझमें आ जाय; कथन; आदेशः वाचकोपमेयलुप्ता-स्त्री० [सं०] वह उपमा जिसमें वाचक साक्ष्य; तर्क। -खंडन-पु० तर्कका खंडन । -पद्धति
__ और उपमेयका लोप हो । स्त्री० वाक्य बनानेका नियम । -रचना-स्त्री० वाक्य वाचन-पु० [सं०] पढ़नेकी क्रिया, पठन; उच्चारण,बाँचना; बनाना, वाक्यका निर्माण । -विन्यास-पु० पदोंका (रीडिंग) विधानसभा या लोकसभामें किसी विधेयकके यथास्थान रखा जाना (व्या०)।-विशारद-वि० भाषण- रखे जानेपर उसका विचार, बहस आदिके लिए पहली, पद।
दूसरी या तीसरी बार पढ़ा जाना, जिसके बाद ही वह वागना*-अ० कि० दे० 'बागना';चलना-'मुकि ठुमुकि । आतम रूपस स्वाकार +
| अंतिम रूपसे स्वीकार किया जा सकता है। वाग कौसिलाके आँगनमें'-रघु०।
वाचनालय-पु० [सं०] वह स्थान जहाँ समाचारपत्र और वागीश-पु० [सं०] कविः वक्ता; ब्रह्मा, बृहस्पति । वि० पत्रिकाएँ पढ़नेके लिए रखी हों। अच्छा बोलनेवाला।
वाचस्पति-पु० [सं०] बृहस्पति विद्वान् सुवक्ता । वागीशा, वागीश्वरी-स्त्री० [सं०] सरस्वती; वाणी। वाचा-अ० [सं०] वचनसे, वचन द्वारा। स्त्री० वचन, वागीश्वर-पु० [सं०] कवि; ब्रह्मा; वृहस्पति एक बोधिसत्त्व । शब्द वाणी; शपथ; सरस्वती। -बंध-वि० प्रतिज्ञावागीसा-स्त्री० दे० 'वागीशा', वाणी-'तदपि देवि मैं देव बद्ध । -वंधन-पु० प्रतिशामें बँधना ।-बद्ध-वि०वादे,
असीसा । सफल होन हित निज वागीसा-रामा। प्रतिशासे विवश ।-विरुद्ध-वि० जो कथनके योग्य नहो। वागुरा-स्त्री० [सं०] फंदा, जाल ।
वाचाट-वि० [सं०] बकवादी, बातूनी; डींग मारनेवाला । वागुरिक-पु० [सं०] हिरन फैमानेवाला व्याधा। वाचाल-वि० [सं०] बोलने में तेज, पटु; बकवादी; डींग वाग-स्त्री० [सं०] 'वाक(च)का समासगत रूप ।-जाल- | मारनेवाला; शब्दमय। पु० बातोंकी लपेट । -दंड-पु. डाँट-फटकार, भर्त्सना। | वाचालता-स्त्री० [सं०] बहुभाषण, बातचीतकी निपुणता। -दत्त-वि० जिसको देनेकी बात कह दी गयी हो । वाचिक-वि० [सं०] वाणी-संबंधी; मौखिक, वाणी द्वारा -दत्ता-स्त्री. वह कन्या जिसके विवाहको ठहरौनी व्यक्त । पु० अभिनयका एक भेद जिसमें केवल वाणीके किसीके साथ हो चुकी हो। -दान-पु० किसीके साथ आश्रयसे अभिनय किया जाता है। कन्याका विवाह संबंध तय करना । -देवता-पु० | वाची(चिन)-वि० [सं०] वाक्ययुक्त, बोलता हुआ; स्त्री० सरस्वती। -देवी-स्त्री० सरस्वती। -दोष-पु० | बोधक, सूचक (पदांतमें)। बोलनेकी त्रुटि; व्याकरण-संबंधी दोष । -युद्ध-पु०वाच्य-वि० [सं०] कहने योग्य; जिसका अभिधाशक्तिसे शब्दोंका युद्ध, झगड़ा। -विदग्ध-वि. पंडित वार्ता- बोध हो; निंद्य। पु०अभिधेयार्थ; क्रियाका एक रूप (व्या०)। कुशल । -विभव-पु० वर्णनशक्ति; भाषाका विशेष वाच्यार्थ-पु० [सं०] मूल अर्थ, शब्दका नियत अर्थ, झान-विरोध-पु० कहासुनी। -विलास-पु० मौज, | अभिधेयार्थ । दिलबहलावके लिए बातचीत करना। -वीर-१० वह वाच्यावाच्य-पु० [सं०] कहने-न-कहने योग्य बात ।
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