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व्यथा-व्यवस्थिति व्यथा-स्त्री० [सं०] पीड़ा, दुःख ।-कर-वि० कष्टदायक । व्यवदात-वि० [सं०] साफ; चमकीला। व्यथाकुल-वि० [सं०] कष्टग्रस्त, व्यथित ।
व्यवदान-पु० [सं०] शुद्धि, संस्कार, सफाई । व्यथाक्रांत-वि० [सं०] दे० 'व्यथित' ।
व्यवदीर्ण-वि० [सं०] खंडित, जो टुकड़े-टुकड़े हो गया हो; व्यथित-वि० [सं०] पीड़ित, दुःखित डरा हुआ। हतबुद्धि । व्यपकर्ष-पु० [सं०] अपवाद ।
व्यवधा-स्त्री० [सं०] वह जो बीचमें आ पड़े, व्यवधान; व्यपगत-वि० [सं०] गया हुआ, प्रस्थित लुप्त;...से गिरा | परदा, आवरण; छिपाव । हुआ; वंचित, रहित; (लैप्स्ड) ढिलाई या भूलसे उचित व्यवधाता(तृ)-वि० [सं० ] पृथक् करनेवाला; बीचमें समयपर काममें न लाये जानेके कारण जो हाथसे निकल | पड़नेवाला; परदा करनेवाला, आड़ करनेवाला । गया हो या बेकार (रद्द) हो गया हो। -रश्मि-वि० व्यवधान-पु० [सं०] बीचमें पड़नेवाली वस्तु; बाधा; जिसकी किरणें विलीन हो गयी हों।
ओटमें हो जाना; आवरण, परदा; पार्थक्य, विभाग; अंत, व्यपगति-स्त्री०, व्यपगमन-पु० [सं०] ( लैप्स) किसी | समाप्ति । अधिकार, सुविधा आदिका उचित समयके भीतर प्रयोग न | व्यवधायक-वि० [सं०] परदा करनेवाला, ओटमें करनेहोनेके कारण हाथसे निकल जाना या रद्द हो जाना। | वाला; ढकनेवाला; खलल डालनेवाला, बाधक । व्यपगम-पु० [सं०] प्रस्थान लोप; बीतना (समय)। व्यवसाय-पु० [सं०] प्रयास, उद्योग; अभिप्राय; व्यापार, व्यभिचार-पु० [सं०] कुमार्ग-गमन; पाप, दुराचार, कारबारः कर्म; अवस्था; कौशल; छल; कोई पेशा करना; दुष्कर्म, अनुचित यौन संबंध, नियमका अपवादा गलत जीविका; वृत्ति, आचरण; डींग; विष्णु, शिव धर्मका एक तर्क, एक तर्क छोड़कर दूसरेका सहारा लेना; गलत हेतु, पुत्र । -प्रशिक्षण-पु. (वोकेशनल ट्रेनिंग) किसी साध्यरहित हेतु (न्या०)।
व्यवसाय या पेशेमें योग्यता प्राप्त करनेके लिए दिया व्यभिचारिणी-स्त्री० [सं०] पुंश्चली, कुलटा ।
जानेवाला प्रशिक्षण । -बुद्धि-वि० हदनिश्चय । -वर्ती व्यभिचारी(रिन)-वि० [सं०] कुमार्गगामी; दुश्चरित्र; (तिन)-वि० हढ़ निश्चयके साथ काम करनेवाला । अनुचित यौन संबंध करनेवाला; जोस्थिर न रहे, अस्थायी -संघ-पु० (ट्रेडयूनियन ) किसी व्यवसाय, कारखाने भंग करनेवाला, उल्लंघन करनेवाला; नियम-विरुद्ध कई आदिमें काम करनेवाले श्रमिकों तथा अन्य कर्मचारियोंकी गौण अर्थोंवाला (शब्द)। -भाव-पु० एक प्रकारके संस्था जो मालिकों या नियोजकोंके सामने कर्मियों के हितभाव जो स्थायी न रहकर सभी रसोंमें सहायकके रूपमें के संबंधकी बातें रखने आदिमें उनका प्रतिनिधित्व करे। संचरण करते है (आचार्योंने इनकी संख्या तैतीस मानी व्यवसायात्मक-वि० [सं०] संकल्प, उत्साहसे पूर्ण । है), संचारीभाव (सा०)।
व्यवसायी(यिन्)-वि० [सं०] उत्साही, उद्यमी, परिव्यय-पु० [सं०] क्षय, लोप, नाश; धन आदिका किसी श्रमी; दृढ़संकल्पः अध्यवसायी; कोई काम करता हुआ, काममें लगना, खर्च (आयका उलटा); त्याग; लग्नसे किसी पेशेमें लगा हुआ। पु. व्यापारी; कारबार करनेबारहवाँ स्थान; एक संवत्सर । -शाली(लिन्),- वाला; शिल्पी। शील-वि० अपव्ययी।।
व्यवस्था-स्त्री० [सं०] प्रबंध, इंतजाम; आपेक्षिक अंतर या व्ययित-वि० [सं०] खर्च, व्यय किया हुआ।
स्थिति; दृढ़ता; अध्यवसाय: निश्चित सीमा; विधान%B व्ययी(यिन् )-वि० [सं०] खूब खर्च करनेवाला; क्षय
अवस्था, स्थिति अवसर; शत; वस्तुओंकी स्थिति या क्रम, होनेवाला।
उन्हें करीनेसे रखना; पार्थक्य । -पत्र-पु० किसी विषयव्यर्थ-वि० [सं०] निरुपयोगी, बेकार; निष्फल; संपत्ति
का लिखित शास्त्रीय विधान; दस्तावेज । हीन; बेमानी; असंगत । अ० यों ही, बिना मतलबके, व्यवस्थान-पु० [सं०] प्रबंध; निश्चय विधान; स्थिरता; नाहक।
हृढ़ता; अध्यवसाय; पार्थक्य अवस्था; विष्णु । -प्रज्ञप्तिव्यर्थन-पु० [सं०] पहलेके किसी आदेश या निर्णयादिको
स्त्री० एक बहुत बड़ी संख्या (बौद्ध)। रद्द कर व्यर्थ बना देना (नलिफिकेशन)।
व्यवस्थापक-पु० [सं०] प्रबंध करनेवाला; करीनेसे रखने व्यलीक-वि० [सं०] असत्य; अप्रिया कष्टकर अनुचित । पु० वाला; निश्चय करनेवाला; किसी विषयपर शास्त्रीय व्यव
अप्रिय वस्तु; दुःखका कारण; अपराध; छल; अप्रियता । स्था देनेवाला; व्यवस्थापिका सभाका सदस्य । व्यवकलन-पु० [सं०] पार्थक्य, जुदाई; एक संख्यामेंसे । व्यवस्थापिका सभा-स्त्री० [सं०] विधान बनानेवाली दूसरी संख्या घटाना, बाकी, घटाब ।
वह सभा जिसके अधिकतर सदस्य जनता द्वारा निर्वाव्यवकलित-वि० [सं०] वियोगिता हीनित; व्यवकलन | चित किये गये होते हैं। किया हुआ, घटाया हुआ।
व्यवस्थापित-वि० [सं०] जिसकी व्यवस्था की गयी हो व्यवच्छिन्न-वि० [सं०] काटकर अलग किया हुआ पृथक | | विधिपूर्वक रखा या रखवाया हुआ; नियमित । किया हुआ; विभक्त भिन्न विशेषित बाधित ।
व्यवस्थित-वि० [सं०] ठीक हालतमें किया हुआ, विधिव्यवच्छेद-पु० [सं०] काटकर अलग करना; विभाजन | पूर्वक रखा हुआ; ब्यूहबद्ध; स्थित; निश्चित; निणीत;
शवच्छेद; पृथक् करना; अंतर दिखलाना; निश्चय । विधान द्वारा निर्दिष्ट अवलंबित, आधृत; जो ठहरा हो; व्यवच्छेदक-वि० [सं०] भिन्न करनेवाला, विशेषता दिख- अविकारी; वर्तमान । लानेवाला, अलग करनेवाला ।
| व्यवस्थिति-स्त्री० [सं०] अलग रखा जाना, भेद किया ४८-क
हेढ़ता
नलिफिकेला निर्णयादि
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