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विकुंठ-विगति विकुंठ-वि० [सं०] तेज धारवाला; जो कुंठित न हो; बेचने के लिए रखा गया कर्मचारी ।
जो रोका न जा सके; बहुत भोथरा । पु० विष्णु; विष्णु- विक्रयी(यिन)-पु० [सं०] विक्रेता, बेचनेवाला। लोक, वैकुंठ।
विक्रिया-स्त्री० [सं०] परिवर्तन, विकार; उत्तेजना क्रोध विकुंठित-वि० [सं०] भोथरा; निर्बल ।
अप्रसन्नता; बुराई अस्वस्थता । विकृत-वि० [सं०] परिवर्तित विकारयुक्त, बिगड़ा हुआ | विक्री-स्त्री० बेचनेकी क्रिया; बेचनेसे मिला हुआ धन । असंस्कृत भद्दा, कुरूप; बीभत्स; अस्वाभाविक अधूरा विक्रीत-वि० [सं०] बेचा हुआ। अपूर्ण अराजक, विद्रोही रोगी; भावाविष्ट । -टंक-पु० विक्रेतव्य, विक्रय-वि० [सं०] बिकनेवाला, बिकने (डिफेस्ड कॉइन) वह सिक्का जो घिसकर बदशकल-सा हो| योग्य ।। गया हो और जिसकी लिखावट पढ़ने में भी कठिनाई हो। विक्रेता(त)-पु० [सं०] बेचनेवाला । -दर्शन-वि०जिसकी सूरत बदल गयी हो। -दृष्टि-विक्रोध-वि० [सं०] क्रोधरहित । वि० ऐंचाताना।
विकांत-वि० [सं०] हतोत्साह; श्रांत, थका हुआ। विकृति-स्त्री० [सं०] विकार, परिवर्तन; असाधारण या | विक्षत-वि० [सं०] आहत, घायल, चोट खाया हुआ।
आकस्मिक घटना; रोग; उत्तेजना, क्षोभ; भावावेश; परि- विक्षिप्त-वि० [सं०] फेंका, बिखेरा हुआ; त्यक्त, छोड़ा वर्तित रूप ।
हुआ पागल; व्यग्र, व्याकुल । पु० योगकी पाँच अवविकृष्ट-वि० [सं०] खींचा हुआ, आकृष्ट; पृथक किया स्थाओंमेंसे एक जिसमें चित्तवृत्ति प्रायः अस्थिर हो हुआ फैलाया हुआ; लुटा हुआ ध्वनित ।
जाती है। विकेंद्रीयकरण-पु. ( डिसेंट्रलिजेशन) केंद्र में प्रस्थापित | विक्षिप्तता-स्त्री० [सं०] पागलपन, उन्माद । सत्ता, अधिकार आदिको आस-पासके अंगों, अधीन राज्यों | विक्षिप्तालय-पु० [सं०] (लूनैटिक असाइलम) पागल या आदि में बाँटना।
विक्षिप्त मनुष्योंके रहनेका वह स्थान जहाँ उनकी देख-रेख विक्टोरिया-स्त्री [अं०] फिटनसे मिलती-जुलती एक तरह- तथा उपचारादिकी व्यवस्था हो। की घोड़ा-गाड़ी।
विक्षुब्ध-वि० [मं०] अशांत; जिसका मन शांत न हो। विक्रम-पु० [सं०] बल, तेज आदिकी अधिकता; वीरता विक्षेप-पु० [सं०] बिखेरना; फेंकना हिलाना; चिल्ला
शक्ति; दे० 'विक्रमादित्य' । * वि० श्रेष्ठ, उत्तम । चढ़ाना; असंयम; वक्त बर्बाद करना; अनवधानता; घबविक्रमाजीत-पु० दे० 'विक्रमादित्य' ।
राहट; भय चित्तकी अस्थिरता; तर्कका खंडन बाधा। विक्रमादित्य-पु० [सं०] उज्जयिनीका एक प्रतापी राजा विक्षेपण-पु० [सं०] फेंकना, बिखेरना; भेजना हिलाना,
(यह विक्रम नामक संवत्का प्रवर्तक माना जाता है)। । झटका देना; धनुष्की डोरी खींचना; विघ्न, बाधा । विक्रमाब्द-पु० [सं०] विक्रमादित्य द्वारा प्रवर्तित संवत्, | विक्षोभ-पु० [सं०] मनका आवेग, क्षोभ; घबराहट विक्रम संवत् ।
आतंक; उथल-पुथल । विक्रमी-वि०विक्रमादित्य-संबंधी।
विखंडन-पु० [सं०] (ऐब्रोगेशन) दे० 'उत्सादन'। विक्रमी(मिन)-वि० [सं०] बल, पराक्रमवाला, वीर । | विखंडित-वि० [सं०] टुकड़ोंमें कटा हुआ विघटित किया पु० शूरः विष्णु; शेर ।
हुआ; अंग-भंग किया हुआ; दो भागोंमें बँटा हुआ, क्षुब्ध विक्रय-पु० [सं०] दाम लेकर कोई चीज देना, बेचना। जिसका खंडन किया गया हो (तक)।
-कला-स्त्री० माल बेचनेकी चतुराई । -धन-पु० | विख*-पु०विष, जहर । -हा*-पु० दे० 'विषहा। (टर्नओवर) व्यापारी द्वारा की गयी एक दिन, एक सप्ताह | विखाद-पु. * दे० 'विषाद'। आदिकी बिक्रीसे प्राप्त कुल धनराशि। -पंजी-स्त्री० विखान*-पु० दे० 'विषाण' । (सेल्स जर्नल ) प्रति दिनकी विक्री आदिका विवरण विखार्यध-स्त्री० जहरकीसी, कड़वी गंध । लिखनेकी पंजी, बिक्री-बही । -पत्र-पु. बह कागज | विख्यात-वि० [सं०] प्रसिद्ध, मशहूर, सर्वविदित । जिसमें किसी चीजका नाम, दाम और ग्राहक तथा विक्रेता- | विख्याति-स्त्री० [सं०] प्रसिद्धि, शोहरत । का विवरण रहता है। नगदी चिट्ठा (कैश मेमो)। - | विख्यापन-पु० [१०] प्रसिद्ध करना; घोषणा करना। प्रपंजी-स्त्री० (सेल्स लेजर) वह खाता-बही जिसमें | विगत-वि० [सं०] अतीत, बीता हुआ; बीते हुएसे पूर्वका; विभिन्न तिथियोंको बेची गयी विभिन्न वस्तुओंका ब्यौरा, | मृत; नष्ट; अनुपस्थित मुक्त, विहीन, रहित (समस्त पदोंप्रत्येकका पृथक्-पृथक्, लिखा रहता है। -लेख-पु० में)। -कल्मष-वि० जो पापमुक्त हो गया हो।-ज्ञान( सेलडीड ) वह कागद या लेख-पत्र जिसमें खेत, घर वि० जिसकी समझ मारी गयी हो। -नयन-वि० जिसके आदिकी बिक्रीका पूरा ब्यौरा (नाम, पता, शर्ते, मूल्य नेत्र न हों, अंधा । -भय,-भी-वि० निर्भीक ।-रागआदि) लिपिबद्ध कर दिया गया हो तथा जिसका विधि- वि० जिसमें राग न रह गया हो। वत् पंजीयन करा दिया गया हो, बैनामा ।
विगतार्तवा-स्त्री० [सं०] वह स्त्री जिसका मासिक विक्रयक-पु० [सं०] बेचनेवाला।
स्राव बंद हो गया हो, जो गर्भधारणकी अवस्था पार कर विक्रयण-पु० [सं०] बिक्री, बेचना।
गयी हो। विक्रयिक-पु०[सं०] बेचनेकी कलामें चतुर व्यक्ति, विक्रता; विगतास-वि० [सं०] मृत । (सेल्समैन) दूकानपर बैठकर ग्राहकोंके हाथ सौदा | विगति-स्त्री० [सं०] दुर्दशा, दुर्गति ।
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