Book Title: Gyan Shabdakosh
Author(s): Gyanmandal Limited
Publisher: Gyanmandal Limited
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७०३
लसी-लहू लसी-स्त्री० लस, चिपक आकर्षण; संसर्ग, संबंध; लोभ उमंग पैदा होना; साँपके काटनेपर बदनमें लहर उठना । दूध या दही और बर्फके मेलसे बना.शरबत ।
-उठना-मौज आना, जोश होना, उमंग उठना । लसीका-स्त्री० [सं०] लाला; मांस और चमड़ेके बीच रहने -देना या मारना-रह-रहकर कष्ट या पीड़ा होना; वाला रस ईखका रस ।
सीधा न चलकर मुड़ते हुए जाना। -लेना-लहर में लसीला-वि० चिपचिपा, लसदार, आकर्षक, सुंदर । नहाना; दरियाका मौज मारना । -(रे) गिननालसुनिया-पु० एक बहुमूल्य पत्थर ।
बकार रहना। लसोड़ा-पु० एक वृक्ष या उसका फल जो झड़बेरी जैसा | लहरना-* अ०क्रि० दे० 'लहराना; परचना । छोटा और लसदार होता है।
लहरा-पु. लहर; मजा, आनंद; बाजोंकी गत जिसमें लसीदा-पु. दे० 'लसोड़ा' ।
ताल-स्वरोंकी केवल लय होती है। बादलोंका कुछ देर लसौटा-पु. बहेलियोंका चिड़िया फँसानेके लिए लासा | जोरसे बरसना, झड़। रखनेका बाँसका चोंगा, गोंददानी ।
लहराना-अ० कि० हवाके झोंकेसे हिलना-डुलना, थरलस्टमपस्टम-अ०किसी-किसी तरह, ज्यों-त्यों करके। थराना; हवाका चलना; पानीका हवाके झोंकेसे हलकोरा लस्त-वि० थका हुआ, ढीला; अशक्त, कमजोर।
लेना; काले-काले बादलोंका उमड़ना; टेढ़ी-मेढ़ी चाल लस्सी-स्त्री० चिपचिपाहट, लस; मठा (पश्चिम); दूध या चलना; उमंग, उल्लासमें हो जाना; उत्कंठित होना, लपदही और बर्फ के योगसे बनाया हुआ शरबत ।
कना (किसी वस्तुके लिए); दहकना, भड़कना (आगका); लहंगा-पु० स्त्रियोंका कमरसे नीचेका घेरादार एक पह- बिराजना, शोभायमान होना । स० क्रि० हिलाना-डुलाना
नावा जो कमरमें नारेसे बाँधा जाता है, घाँघरा । (वायुके प्रवेगमें); टेढ़ा-मेढ़ा चलाना। लहक-स्त्री० आगकी लपट; चमक; शोभा।
लहरिया-पु० टेढ़ी-मेढ़ी रेखाओंका समूह, श्रेणी; गोटे, लहकना-अ० क्रि० हवाका चलना, झोंके देना; लहराना, लचके आदिकी लहरदार टँकाई; रंगीन साड़ी, कपड़ा हिलना-डुलना (हवाके जोरसे पेड़ पौधेका); आगका जिसपर टेढ़ी रेखाएँ बनी हों; जरीके कपड़ेके किनारेपर जगना, जल उठना, धधकना लोभ, चाहसे कोई चीज बने हुए बेल-बूटे; एक कपड़ा। * स्त्री० लहर । -दारपाने, देखनेके लिए बढ़ना, लपकना चाहसे अधीर होना। वि० लहरिया बना हुआ, लहरदार; बेल-बूटोंवाला । लहकाना-स० क्रि० झोका खिलाना; आगे बढ़ाना; बढ़ावा | लहरी-स्त्री० [सं०] लहर, तरंग ।। वि० मनमौजी ।
देना; लपकाना ताव दिलाना, उभाड़ना (किसीके विरुद्ध)। लहलहा-वि० डहटहा, हरा-भरा, प्रफुल्ल भानंदमय । लहकारना-स० क्रि० उभाड़ना, ताव दिलाना; प्रोत्सा- लहलहाना-अ० कि० हरा-भरा, सरसब्ज होना; खुशीसे हित करना; कुत्तेको सनकारना (शिकार आदिपर)। भर जाना; सूखे, मुरझाये पौधे, पेड़में विकासके लक्षण लहकौर, लहकीरि*-स्त्री० दूल्हे और दुलहिनका कोहबर में आना, पनपना मोटाना, हृष्ट-पुष्ट होना। एक दूसरेको अपने हाथ से कुछ खिलाना।
लहसुन-पु० एक पौधा जिसकी जड़ पंक्तिबद्ध जवोंसे लहजा-पु० [अ०] बोलने या शब्दोंके उच्चारणका खास बनी होती है (इसकी गंध प्याजकी तरह उग्र होती है); ढंग बोलचाल; लय ।
माणिकका एक दोष, अशोभक । लहज़ा-पु० [अ०] पल, छन निमेष ।
लहसुनिया-पु० धूमिल रंगका एक कीमती पत्थर जो लहनदार-पु० महाजन, ऋणदाता; पावनेदार ।
लाल, पीले, हरे रंगका भी होता है । लहना-* स० क्रि० पाना; लाभ करना। पु० उधार, लहा*-पु० दे० 'लाह'। ऋण दिया हुआ धन; कामके बदले मिलनेवाला धन; लहाछेह-पु० नाचकी एक गति; नाच, नृत्यकी द्रुत गति । भाग्य, तकदीर । मु०-चुकाना,-पटाना-ऋण दे देना, लहालह*-वि० हरा-भरा, प्रफुल्ल । कर्ज अदा करना।
लहालोट-वि० हँसीसे लोटता हुआ; प्रसन्न; उल्लसित; लहबर-पु. लंबी और ढीली पोशाक, चोगा, लबादा मुग्ध; लुब्ध, लट्टू । एक तरहका तोता; छड़ी; झंडा, निशान ।
लहासी-स्त्री० नाव, जहाज बाँधनेकी मोटी रस्सी रस्सी। लहमा-पु० क्षण, पल, मिनट, अत्यल्प काल ।
लहि*-अ० तक, पर्यंत । लहर-स्त्री० वायुकी गति और स्पर्शसे पानी में होनेवाली लहु*-अ० पर्यंत, तक । वि० लघु, छोटा । चढ़ाव-उतारदार हरकत, हिलकोर, हिलोरा; जोश, उमंग लहुरा*-वि० लघु, छोटा, कनिष्ठ । वेगमयी भावना, मनकी मौज; किसी विजातीय द्रव्यके | लह-पु० खून, रक्त ।-लुहान-वि० खूनसे तर । मु०संसर्गसे शरीर में रह रहकर बेहोशी, पीड़ा आदिका अनु- उबलना-सख्त गुस्सा आना। -उभर आना-किसी भव करना; आनंद, हर्ष, उल्लासका वेग; वायुमें होने जगहसे लहू थोड़ा-थोड़ा करके निकलना। -औंटनावाला स्वरकंप, Dजा मोड़ लेती हुई टेढ़ी चाल; वक्र, कुटिल क्रोध या गमसे जोश पैदा होना। -का चूंट पीकर रह रेखा; हवाका झोंका; कसीदेकी धारी। -दार-वि० जाना-गुस्सा सह लेना। -का प्यासा-जानी दुश्मन । लहरोंवाला; वक्रगतिसे जानेवाला; लहरियादार ।-पटोर -पसीना एक करना-पानी एक करना-सख्त मुसी-पु०,-पटोरी-स्त्री० लहरियादार रेशमी कपड़ा । बत उठाना । -पानी एक होना-गुस्सेके मारे खाना-बहर-स्त्री० आनंद और सुख । मु०-आ जाना-धुन | पीना अंग न लगना । -पी जाना-कत्ल करना।-पीबँधना; इच्छाका जोर मारना। -आना-मौज उठना, पीकर रह जाना-गुस्सा चुपचाप बरदाश्त कर लेना।
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