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लैसंस-लोकायत
७१२ पु० लैला और मजन: आशिक-माशूक ।
लोगोंको प्रिय लगे, रुचे। -बंधु-बांधव-पु. शिव; लैसंस-पु० [अ० 'लाइसेंस'] विशेष अधिकारका प्रमाण- सूर्य । -बाह्य-वि० दुनियासे भिन्न; सनकी, समाजसे पत्र, सनद ।
बहिष्कृत । -भर्ता(त)-पु० संसारका भरण-पोषण करनेलैस-वि० तैयार, कीलकाँटेसे दुरुस्त, सजा हुआ; * वाला । -भावन,-भावी (विन्)-पु० लोककी निमग्न । पु० फीता (कपड़ेपर चढ़ानेका); एक तरहका भलाई करनवाला; लोक-रचना करनेवाला । -मत-पु० सिरका; कमानी; * एक तरहका बाण ।
जनताकी राय । -यात्रा-स्त्री० लोकव्यापार; आचारण, लौं*-अ० समान; तक ।
व्यवहार । -रंजन-पु. जनताको संतुष्ट कर उसका लौंड़ी-स्त्री० कानकी लौ।
विश्वास प्राप्त करना। -रव-पु० अफवाह, जनश्रुति । लौंदा-पु. किसी गीली वस्तुका पिंड ।
-लीक-स्त्री० [हिं०] लोक मर्यादा।-लोचन-पु. सूर्य । लोह*-पु० लोग । स्त्री० चमक लौ, ज्वाला ।
-वचन-पु० अफवाह । -बाद-पु०,-वार्ता-स्त्री. लोइन*-पु० नमकीनपन; नमक, सौंदर्य लोचन, नेत्र ।। अफवाह । -वाहन-पु० ( पब्लिक कैरियर) जनताका लोई-स्त्री. रोटी बनानेके लिए साने हुए आटेकी गोली सामान ढोनेके लिए प्रयुक्त मोटर ट्रक । -विज्ञात-वि० एक तरहका ऊनी कंबल | * पु० लोग।
लोकप्रसिद्ध । -विरुद्ध-वि० जनमतके विरुद्ध; सबसे लोकंजन*-पु० दे० 'लुकंजन'।
भिन्न मत रखनेवाला। -विश्रत-वि. जगद्विख्यात । लोकंदा*-पु. पहली बार ससुराल जानेवाली लड़कीके -व्यवहार-पु. लोकाचार । -शिक्षण-संचालक-पु० साथ दासीका जाना।
(डायरेक्टर ऑफ पब्लिक एजुकेशन) सार्वजनिक शिक्षालोकंदी-स्त्री० पहली बार ससुराल जानेवाली लड़कीके | विभागके प्रधान अधिकारी। -श्रुति-स्त्री० लोकख्याति; साथ जानेवाली दासी।
अफवाह । -संग्रह-पु. लोककल्याण; लोगोंकी भलाई लोक-पु० [सं०] विश्वका एक विभाग, भुवन (साधारणतः चाहनामानवसंपर्कसे प्राप्त अनुभव; लोकोंका संग्रह, स्वर्ग, पृथ्वी और पाताल-ये तीन लोक माने जाते हैं, सारा विश्व । -सत्ता-स्त्री० वह शासन-व्यवस्था जिसमें पर विशेष विभागके अनुसार १४ माने जाते हैं-७ ऊपर, सत्ता जनताके हाथमें हो। -सत्तात्मक-वि. जनता ७ नीचे); संसार पृथ्वी; मानवजाति, समाज; (पब्लिक) | द्वारा संचालित (शासन)। -सभा-स्त्री. (हाउस ऑफ प्रजा, सामान्य लोग, जनता; समूह; भूभाग, प्रांत पीपुल) लोकतंत्रवादी राज्यों में विधान आदि बनानेवाली निवासस्थान; दिशा; सांसारिक व्यवहार । -कंटक,- जनप्रतिनिधियोंकी सभा; भारतीय गणराज्यकी संसदका पौडक-वि० (पब्लिक न्यूसैस) सर्वसाधारणको तंग करने निम्न सदन । -सेवक-पु० (पब्लिक सर्वेट) जनताकी वाला, सतानेवाला, हानि पहुँचानेवाला । -कथा-स्त्री० सेवा-संबंधी कार्यों में नियुक्त सरकारी कर्मचारी ।-सेवाजन-समाजमें प्रचलित कथाएँ। -कर्ता(त)-पु० ब्रह्मा स्त्री० (पब्लिक सर्विस) जनताके हितकी दृष्टिसे किया जानेविष्णु, महेश । -कार्य-पु० (पब्लिक अफेयर्स) लोक वाला कार्य राज्यकी या सरकारकी नौकरी जिससे जनताया सर्वसाधारणसे संबंध रखनेवाले कार्य। -गीत-पु. की सेवा या कष्ट निवारण हो। -सेवा-आयोग-पु. साधारण जनतामें प्रचलित गीत। -घोषणा-स्त्री० (पब्लिक सर्विस कमीशन) प्रशासन कार्य चलानेके लिए (मेनिफेस्टो) दे० 'नीतिघोषणा'। -जित्-वि० लोक- उच्च श्रेणीके लोक-सेवकोंका परीक्षादि द्वारा चुनाव करने में विजयी। पु. ऋषि; बुद्ध । -तंत्र-पु. वह शासन- सहायता देनेवाला आयोग । -सिद्ध-वि० लोक या प्रणाली जिसमें शासनाधिकार जन-प्रतिनिधियोंके हाथमें समाज द्वारा स्वीकृत प्रचलित ।-स्वास्थ्य-पु० (पब्लिक हो। -तंत्रीकरण-पु० (डिमॉक्रेटिजेशन) किसी राज्य, हेल्थ) जनताका स्वास्थ्य । -हित-५० (पब्लिक गुड) शासनपद्धति आदिको लोकतंत्रका रूप देना, उसे लोक- सर्वसाधारणका हित या लाभ । तांत्रिक-सिद्धांतोंके अनुरूप बनाना । -त्रय-पु०,- लोकटी*-स्त्री० लोमड़ी। प्रयी-स्त्री० तीनों लोक-आकाश, पाताल और मर्त्य- लोकना-सक्रि० किसी चीजको गिरनेसे पहिले ही हाथोंसे । लोक ।-धुनि*-स्त्री० लोकध्वनि, अफवाह, जनश्रति ।। पकड़ लेना; रास्तेमें ही उड़ा लेना। -नाथ-पु० ब्रह्मा, विष्णु, शिव; राजा; बुद्ध ।-नायक- लोकांतर-पु० [सं०] परलोक ।-गमन-पु० स्वर्गवास । पु. लोकोंका नयन करनेवाला (सूर्य)। -निर्माण- लोकांतरित-वि० [सं०] परलोक गया हुआ, मृत । विभाग-पु० (पब्लिक वर्स डिपार्टमेंट) सार्वजनिक लोकाचार-पु० [सं०] संसारका व्यवहार, चलन । भवन, सड़कें इत्यादि तैयार करनेवाला विभाग ।-नृत्य- लोकाट-पु० एक वृक्ष या उसका फल जो बेरके बराबर पु. (फोक डांस) सामान्य जनतामें प्रचलित नृत्यकी और पकनेपर पीला और मीठा होता है। प्रथा । -नेता(त)-पु० शिव । -प,-पाल-पु० दिक- लोकाधिप-पु० [सं०] लोकपाल; बुद्ध; नरेश । पालनरेश। -पति-पु० ब्रह्मा, विष्णु; नरेश ।-पथ-लोकाना -सक्रि० कोई चीज उछालना; किसीको कोई पु०,-पद्धति-स्त्री० दुनियाका तरीका। -प्रत्यय-पु० चीज उछालकर देना (जैसे गेंद आदि)। वह जो संसारमें सर्वत्र प्रचलित हो (प्रथा आदि)। लोकानुग्रह-पु० [सं०] लोगोंका कल्याण । -प्रवाद-पु. सर्वसाधारणमें प्रचलित बात । -प्रवाही. लोकापवाद-पु० [सं०] लोकनिंदा, बदनामी । (हिन्)-वि० दुनियाके साथ बहनेवाला ।-प्रसिद्ध- लोकाभ्युदय-पु० [सं०] संसारकी उन्नति । वि०विश्व-विख्यात, सर्वज्ञात । -प्रिय-वि० जो बहुतसे लोकायत-पु० [सं०] इसी लोकपर आस्था, विश्वास
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