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कोश, राजाका खजाना - साहब - पु० संपन्न हिंदू राजभक्तोंको मिलनेवाली ब्रिटिश कालकी उपाधि । राय - स्त्री० [फा०] मत; परामर्श, सलाइ; समझ, विचार; सुझाव, तदवीर । मु० - कायम करना - निर्णय करना, एक निश्चयपर पहुँचना ।
रायता - पु० उपले साग, कद्दू, कुम्हड़ा, चुँदिया को नमक, मिर्च, जीरा आदि मसाले मिलाकर तथा दही, मट्ठेमें डालकर तैयार किया हुआ एक भोज्य पदार्थ । रायल - स्त्री० [अ०] कागजकी २० इंच चौड़ी और २६ इंच लंबी नाप; इस नापका कागज छापनेवाली मशीन । रायसा - पु० डिंगलमें लिखित किसी राजाका चरित्रविषयक काव्य ग्रंथ, रासो (जैसे- पृथ्वीराज रासो) । रार-स्त्री० झगड़ा, तकरार |
राल - स्त्री० दक्षिणी भारतके जंगलों में मिलनेवाला एक सदाबहार पेड़; इस पेड़का निर्यास, गोंद (काला, सफेद), धूप; पतला, लसदार थूक; पशुओंका एक रोग ।
राव - पु० [सं०] शब्द, गुंजार, आवाज; [हि०] राजा; दरबारी सरदार; राजाओं की पदवी ( कच्छ, राजपूताना के कुछ भागों में); धनी, अमीर, बंदीजन भाट, चारण । - - बहादुर - पु० ब्रिटिश कालकी एक उपाधि | रावचाव - पु० राग-रंग, नाच-गाना; प्यार-दुलार । रावटी - स्त्री० कपड़े आदिका घर, छोलदारी; बारहदरी । रावण - वि० [सं०] हाहाकार करानेवाला । पु० लंकाका प्रसिद्ध राजा जिसका वध रामने युद्ध में किया, दशानन । रावणारि - पु० [सं०] राम ।
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रावण - पु० [सं०] रावणका पुत्र ( मेघनाद ) | रावत- पु० सरदार, सामंत; छोटा राजा; शूर, वीर; योद्धा । रावन - पु० दे० 'रावण' । -गढ़ * - पु० लंका । रावना * - स० क्रि० दूसरोंको रुलाना । रावर* - पु० अंतःपुर, रनिवास । सर्व० आपका |
रावरा - सर्व० दे० 'रावर' |
रावल - पु० राजा; कुछ राजाओंकी उपाधि; सरदार; आदर सूचक संबोधन ( संपन्न क्षत्रियों के लिए ); * अंतःपुर, रनिवास ।
राशन- पु० [अ०] रसद, सिपाहियोंकी खुराक; नियंत्रित
मूल्य तथा मात्रा में वस्तुओंके वितरणकी व्यवस्था । राशि - स्त्री० [सं०] समान जातिकी बहुतसी वस्तुओंका ढेर; क्रांतिवृत्त में आनेवाले विशेष तारासमूह (मेष, वृष, मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक, धन, मकर, कुंभ और मीन ) । -चक्र- पु० ग्रहोंके चलनेका मार्ग, वृत्त, राशियोंका चक्र, मंडल । - नाम (न्) - पु० जन्मकालकी राशिके अनुसार रखा हुआ नाम । -पपु० किसी राशिका स्वामी, अधिपति देवता । -भागपु० भग्नांश, किसी राशिका भाग, अंश -भोग- पु० किसी ग्रहकी किसी राशि में स्थिति; किसी ग्रहकी किसी राशिमें स्थितिका काल । मु०-आना - अनुकूल होना । - बैठना - दत्तक पुत्र होना, गोद बैठना । -मिलनामेल मिलना; दो व्यक्तियोंकी एक राशिमें उत्पत्ति होना । राष्ट्र - पु० [सं०] देश; राज्य; जाति, एक राज्यका समस्त जनसमूह ( नेशन) । कूट- पु० एक क्षत्रिय राजवंश
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राय-रासभ
राठौर । पति-पु० राष्ट्रका स्वामी; (प्रेसीडेंट ) गणतंत्रका निर्धारित अवधितक के लिए चुना गया प्रधान (सर्वोच्च पदाधिकारी) । -पति भवन - पु राष्ट्रपतिका ( भारत में दिल्लीस्थित ) सरकारी निवासस्थान । - भाषा-स्त्री० किसी राष्ट्रकी वह मुख्य प्रचलित भाषा जिसका प्रयोग उस राष्ट्रके अन्य भाषा-भाषी नागरिक भी सार्वजनिक कार्यों में करें। -भेद-पु० शत्रुराज्य में विप्लव, विद्रोह उत्पन्न कराने की नीति । - मंडल - पु० (कामनवेल्थ ऑफ नेशन्स) ऐसे राष्ट्रोंका समूह जिसमें सबका पद समान हो और जो सामूहिक हितकी दृष्टिसे ऐक्यबद्ध होकर काम करनेका प्रयत्न करें। -वाद- पु० (नैशनलिज्म) अपने राष्ट्रके हितोंको सर्वाधिक महत्त्व देनेका सिद्धांत; देशवासियोंमें राष्ट्रीयताकी भावना के दृढ़ीकरण, राष्ट्रीय परंपराओंका गौरव अक्षुण्ण बनाये रखने तथा राजनीतिक एकता स्थापित करने या पराधीनतासे मुक्ति आदि के लिए किया जानेवाला आंदोलन | -वादी (दिन) - पु० ( नैशनलिस्ट) राष्ट्रके हितको सर्वाधिक महत्त्व देनेतथा उसकी एकता, सम्पन्नता आदिके लिए प्रयत्न करनेवाला । - विप्लव - पु० समूचे राष्ट्रका बलवा, विद्रोह । - संघ- पु० विश्वके राष्ट्रोंका संघ जो प्रथम महायुद्ध के बाद राष्ट्रों के आपसी झगड़े शांतिपूर्वक हल करनेके उद्देश्य से बनाया गया था (लीग ऑफ नेशन्स) ।
राष्ट्रिक - पु० [सं०] राजा; प्रजा; किसी राष्ट्रका निवासी या सदस्य (नेशनल) | वि० राष्ट्र-संबंधी; राष्ट्रका । राष्ट्रिय, राष्ट्रीय - वि० [सं०] राष्ट्र-संबंधी; राष्ट्रका । राष्ट्रीयकरण - पु० (नैशनैलिज़ेशन) मुआवजा देकर या बिना मुआवजाके देशके विशेष उद्योगों, भूमि आदिपर सरकारका अधिकार कर लेना और समूचे राष्ट्रके हितकी दृष्टिसे उनकी व्यवस्था करना ।
राष्ट्रीयता - स्त्री० [सं०] किसी राष्ट्रका नागरिक होनेका भाव; राष्ट्रप्रेम, देशभक्ति ।
रास-पु० [सं०] शब्द, ध्वनि; कोलाहल, नृत्यक्रीडा (माना जाता है कि इसका प्रवर्तन कार्त्तिको पूर्णिमाको कृष्णने किया); कृष्ण-लीलाका अभिनययुक्त नाटक; एक लोकगान, रसिया; नर्तकोंका समाज । - धारी (रिन् ) - पु० कृष्णचरितका अभिनय करनेवाला व्यक्ति या समाज ( इनका अभिनय गीत, नृत्य, वाद्यसे युक्त रहता है ) । -भूमि- स्त्री० रासक्रीडाका स्थान । - मंडल - पु० रासक्रीडा करनेवालोंका वृत्ताकार समूह; रासधारीजनोंका अभिनय; रासधारियोंका समाज ।-मंडली - स्त्री० रासधारियोंकी टोली । - लीला - स्त्री० कृष्णका गोपियोंके साथ कृत नृत्य, क्रीड़ा; रासधारियोंका कृष्णलीला संबंधी अभिनय । - विहारी (रिन् ) - पु० कृष्ण । रास-स्त्री० लगाम, बाग; ढेर, राशि; मेषादि राशि; चौपायोंका समूह; जोड़; ब्याज । पु० एक छंद; लास्य नामक नृत्य; एक स्थान; गोद, दत्तक । -चक्र- पु० दे० 'राशिचक्र' । - नशीन- पु० वह जो गोद लिया गया हो, मुतबन्ना । सु० - बैठाना, - लेना - गोद लेना । रासक - पु० [सं०] दृश्य काव्यका एक भेद । रासभ - पु० [सं०] गधा ।
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