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रूपक-रेखा -भेद-पु० (माडिफिकेशन) अर्थ या स्वरूप आदिमें | रूरा-वि० अच्छा, उत्तम । आंशिक परिवर्तन करना,इधर-उधर बदल देना ।-माला रूल-पु० [अं०] नियम, कायदा; रेखा, लकीर खींचनेका -स्त्री० एक मात्रिक छंद । -रेखा-स्त्री० किसी कार्य या डंडा; सतर, कागजपर सीधी खींची हुई लकीर । योजनाका स्थूल रूप; वह चित्र जो अभी केवल रेखाओंके रूलर-पु० [अं॰] रेखा, लकीर, सतर खींचनेका डंडा । रूपमें हो; किसी आकृति या चित्रका रेखामय रूप। रूलना-सक्रि० दबा देना । अ० कि० दे० 'रुलना' । -शाली(लिन्)-वि० रूपवान्, सुंदर।।
रूष-पु० दे० 'रूख'। रूपक-पु० [सं०] (रूपका आरोप करना) अभिनय-प्रद- रूपा*-वि० दे० 'रूखा'। र्शन-युक्त दृश्य काव्य (इसके दस भेद और अठारह उप- रूसना-अ० क्रि० रोष करना, नाराज होना, रूठनाभेद उपरूपक हैं); एक अर्थालंकार (अभेद और तद्रपरूपक- 'रूसेउ नागर नाह'-प०। दो भेद, उपमेय उपमान रूपमें हो तो तद्रप और रूसा-पु० असा, वासक वृक्ष (मति०)। अभेदता हो तो अभेद रूपक । ); मूर्ति, प्रति कृति चाँदी; रूसी-स्त्री०सिरपर जमा हुआ मैल; [फा०] रूसकी भाषा । रुपया। -कार्यक्रम-पु० (फीचर प्रोग्राम) आकाशवाणी वि० रूसका; रूसमें उत्पन्न । पु० रूसनिवासी। द्वारा प्रसारित नाटक, प्रहसन आदि-संबंधी कार्यक्रम । रूह-स्त्री० [अ०] आत्मा; दिल, जी; आभ्यंतरिक इच्छा रूपकातिशयोक्ति-स्त्री० [सं०] अतिशयोक्तिका एक भेद सत, सार (जैसे-रूहगुलाब)। जिसमें उपमेय, वाचक धर्मादिका लोप कर केवल उपमान- रूहना*-अ० कि० उमड़ना; चढ़ना; छा जाना, घेरना । का उल्लेख किया जाता है।
रूहानी-वि० आत्मा-संबंधी, आत्मिक । रूपमनी*-वि० स्त्री० रूपवती ।
रेकना-अ०वि० गदहेका बोलना; भद्दे प्रकारसे गाना । रूपमय-वि० [सं०] परम सुंदर ।
रे गटा-पु० गदहेका बच्चा । रूपवंत, रूपव-पु० सुंदर, रूपवान्-'रूपव कौन अधिक रेगना-अ० क्रि० कीड़ों, सरीसृपोंका चलना; धीरे-धीरे सीतातें जन्म वियोग भरे'-सू०।
चलना। रूपवान्-वि० [सं०] सुंदर, खूबसूरत ।
रेगनी-स्त्री० भटकटैया। रूपांकक-पु० [सं०] (डिजाइनर) भावी कार्य या तैयार रेगाना-स० क्रि० पेटके बल या धीरे-धीरे चलाना। की जानेवाली वस्तु आदिकी रूप-रेखा, वनावट-बुनावट रेट-पु० नाकका मल । थादिका ढंग निश्चित करने या सोचनेवाला।
रेड-पु० औषध और जलाने आदिके काम आनेवाला एक रूपांकन-पु० [सं०] (डिजाइनिंग) किसी भावी कार्य या लघु आकारका वृक्ष, एरंड। -खरबूजा-मेवा-पु० तैयार की जानेवाली वस्तु आदिकी रूप-रेखा बनाना, पपीता, रेंड्रफल, अंडकाकुनी। मनमें किसी योजना आदिका रूप निश्चित करना, | रेडी-स्त्री० रेंड़के बीज । बनावट-बुनावट आदिका कोई विशेष ढंग या तर्ज सोचना, रे-अ० [सं०] संवोधनका शब्द, अरे, ए, ओ। निर्धारित करना।
रेउड़ी-स्त्री० दे० 'रेवड़ी'। रूपांतर-पु० [सं०] (ट्रांसफॉरमेशन) किसी वस्तुका बदला रेख-स्त्री० रेखा, लकीर; चिह्न, निशान; गिनती, गणना; हुआ रूप।
मस भीनना; निकलती हुई मूंछे। मु.-आना-भीजना,रूपांतरण-पु० [सं०] (ट्रांसफॉरमेशन) किसी वस्तुके रूप, | भीनना-मूछे निकलना शुरू होना। -खाँचना,आकार आदिका बदल दिया जाना, उनमें परिवर्तन
खींचना-रेखा अंकित करना; कोई बात जोर देकर हो जाना।
कहना। रूपांतरित-वि० [सं०] (ट्रांसफार्ट) जिसका रूप, रेखता-पु० [फा०] अरबी-फारसी-मिश्रित हिंदीका गाना,
आकार आदि बदल गया हो या बदल दिया गया हो। गजल; उर्दू का आरंभिक नाम । रूपा-पु. चाँदी; घटिया चाँदी; सफेद बैल या घोड़ा। रेखना*-स० कि० रेखा, लकीर खींचना; चिह्न करना; रूपाजीवा-स्त्री० [सं०] वेश्या, रंडी।
खरोंचना। रूपाध्यक्ष-पु० [सं०] टकसालका प्रधान अफसर, नैष्ठिक । रेखा-* स्त्री० कण, टुकड़ा [सं०] (लाइन) विंदुकी गति रूपी(पिन्)-वि० [सं०] रूपवाला, रूपधारी; समान, जिसमें लंबाई हो, चौड़ाई, मोटाई न हो, लकीर; सूचक सदृश सुंदर, रूपवान् ।
चिह्न (किसी पदार्थ, वस्तु आदिका-जैसे कर्म, भाग्यरेखा); रूपोपजीविनी-स्त्री० [सं०] वेश्या ।
गणना; आकार, सूरत; हाथ, तलवे आदिकी लकीरें (इनरूपोपजीवी(विन्)-पु० [सं०] बहुरुपिया।
के आधार पर भविष्यकथन, शुभाशुभ-निर्णय किया जाता रूप्यक-पु० [सं०] रुपया।
है); हीरेके बीचकी दोषपूर्ण लकीर । -गणित-पु० रूम-पु० [फा०] तुकी ।
(ज्यामेट्री) वह गणित जिसमें रेखाओं, कोणों, वृत्तों आदिरूमना-स० क्रि० झूमना; झूलना।
का विवेचन होता है। -चित्र-पु० (स्केच) किसी व्यक्ति रूमाल-पु. [फा०] हाथ-मुँह पोंछनेका कपड़ेका चौकोर , या वस्तुका केवल रेखाओंसे बना हुआ चित्र; (चार्ट) दे० टुकड़ा; चिकन, चौकोन शालका टुकड़ा; मियानी, 'रेखापत्र'। -पत्र-पु० (चार्ट) विशेष सूचना या जानपाजामेकी मोहरियोंको जोड़नेवाला चौकोर टुकड़ा। कारी प्रदान करनेवाला, मुख्य रूपसे रेखाओंका बना रूरना*-अ० कि० जोर-जोरसे शब्द करना, चिल्लाना। वह चित्र जिसमें मुख्य-मुख्य बातें यथास्थान दिखायी
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