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रंग-रंगाजीव
गार; रंगमंच सभाभवन, नाचघर; रणभूमि, युद्धक्षेत्र; नृत्य; क्रीडा, वर्ण, किसी पदार्थका वह गुण जिससे वह सूर्य किरणोंके कुछ रंगोंको वर्तित और कुछको परावर्तित कर आँखपर डालता तथा कुछको सोख लेता है; वह बुकनी आदिका घोल जिसमें या जिससे कोई चीज रँगी जाय (दे० 'रंग' - फा० ); मिश्रित रंग; शरीरका वर्ण । - क्षेत्र- पु० अभिनय स्थल; समारोहका स्थान । -गृहपु० नाट्य, अभिनयका स्थान । - जीवक-पु० चित्रकार; अभिनेता । - द्वार - पु० रंगमंचका प्रवेशद्वार; नाटककी प्रस्तावना । - पीठ-पु० नृत्यशाला । - प्रवेश - पु० अभि नय के लिए किसी पात्रका रंगमंचपर आना । -बिरंग, - बिरंगा - वि० [हिं०] अनेक रंगोंवाला, भाँति-भाँतिका । -भरिया - पु० [हिं०] रंगसाज, रंग करनेवाला; किवाड़, दीवार आदिपर चित्र बनानेवाला । - भवनपु० आमोद-प्रमोद, विलास - विहारका स्थान, रंगमहल | -भूमि- स्त्री० अभिनय, नाटक खेलनेका स्थान, नाट्यशाला; युद्धक्षेत्र; क्रीडास्थान, आक्रोड, उत्सवका स्थान । - मंच - पु० वह स्थान जहाँ नाटकादिका अभिनय, नृत्य, खेल, जलसा इत्यादि हो (स्टेज) । - मंडप - पु० रंगभूमि, नाट्यशाला । - महल - पु० [हिं०] भोग-विलासका स्थान, प्रमोदभवन; अंतःपुरः रंगभूमि, रंगशाला; रंगमंच, अभिनयका स्थान । -माता, मातृका - स्त्री० लाख | - रस- पु० आनंद-क्रीडा, आमोद-प्रमोद । - रसियापु० [हिं०] मौजी, विलासी पुरुष । - रूप - पु० सूरत, शकल | - विद्याधर - पु० अभिनेता; नृत्यप्रवीण, कुशल व्यक्ति; तालके मुख्य साठ भेदोंमेंसे एक ( संगीत ) । - शाला - स्त्री० वह स्थान जहाँ नाटक खेला जाय, नाट्यशाला; (स्टूडियो) उद्यान, जलाशय, ध्वन्यभिलेखनयंत्रादिसे सज्जित प्रकोष्ठ तथा अन्य उपकरणोंसे युक्त वह लंबा-चौड़ा छाता जहाँ चित्रपटके लिए चलचित्र तैयार किये जाते हैं; आकाशवाणी केंद्रका वह प्रकोष्ठ जहाँसे किसी ध्वनिक्षेपक यंत्र द्वारा भाषण, सामयिक वार्ता, रूपक, कविसम्मेलन आदिका प्रसारण होता अथवा जहाँ उनका ध्वन्यभिलेखन किया जाता है। मु०-आना, - चढ़ना - भली भाँति रंग लग जाना, रंग खुलना । - उड़ना, - उतरना - धूल, जल आदिके कारण रंगका हल्का पड़ना, उड़ जाना । - खेलना, - डालना, - फेंकना - पानी में घुला रंग हाथ, पिचकारी आदिसे किसीपर डालना । - निखरना - रंग चटकीला होना । - फीका पड़ना या होना - दे० 'रंग उतरना' । - भरना - चित्र में रंग पूरना; रँगना । - मचना - रणक्षेत्र में उत्साह पूर्वक भीषण युद्ध करना । - मचाना - खूब युद्ध करना; धूम मचाना | रंग-पु० शोभा, सौंदर्य; धाक, आतंक, यौवन; आनंद, मौज, ठाट-बाट, साज-सामान, टीम-टाम; चाल, ढब - ‘तिनको दान लेत हैं हमसों, देखहु इनको रंग' - सू० प्रकार, तरह; असर, प्रभाव; यौवन; सौंदर्य; हालत; अद्भुत दृश्य; व्यापार (विशेषतः समृद्धि आदि के प्रदर्शन में ईश्वर स्वामी के प्रति कृतज्ञता के लिए - जैसे लक्ष्मीकी यह अतुल कृपा उन्हींका रंग है ); प्रेम, राग, अनुरागः तरंग, मौज -ढंग - पु० हाल, दशा, स्थिति; तौरतरीका; व्यवहार,
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चलावा; चिह्न, लक्षण । - तरा-पु० बड़ी मीठी नारंगी, संतरा । - रली - स्त्री० आनंद, मौज, खेल । मु० आनाआनंद आना । - उखड़ना - दूसरों पर प्रभाव, रोव, धाक न रहना; प्रतिकूल स्थिति होना; आनंदका घट जाना, नाश हो जाना । — उजड़ना, - उतरना - शोभा, रौनक, घटना । - काछना * - चाल चलना, ढंग पकड़ना, ग्रहण करना । - चढ़ना - हर्षित होना; रंजित होना; प्रभाव, असर पड़ना । - चूना, - टपकना - जवानी आना, जवानी उमड़ना, यौवनका विकास होना । -जमना - धाक, रोब प्रभाव, अनुकूल स्थिति होना; खूब आनंद, मजा होना । - जमाना - प्रभाव स्थापित करना, धाक बैठाना, बाँधना । - पकड़ना, - पर आना - रौनक, बहारपर आना । - बँधना - रोब जमना, धाक बँधना । - बदलना - स्थिति में परिवर्तन होना; अच्छी दशा में होना । -बरसनारौनक, शोभाकी वृद्धि होना । - बाँधना - महत्त्व, प्रभाव स्थापित करना; रोब गाँठना । - बिगड़ना - रोब, प्रभाव कम होना, नष्ट होना । - बिगाड़ना - रोग, महत्त्व घटाना, नष्ट करना; शेखी किरकिरी करना । - मेँ ढलनाकिसी के प्रभाव, असर में आना; किसीके अनुकूल चलना, आचरण करना । - मेँ भंग करना-बना-बनाया खेल बिगाड़ना; आनंद, हर्पके क्षण में उपद्रव करना । - मेँ रँगना - तन्मय होना; अनुकूल होना; किसीका अनुकरण करना । - रचाना-उत्सव, जशन करना । - रलना - क्रीडा, प्रमोद करना । - लाना-असर दिखाना; विशेषता प्रकट करना; स्थिति, अवस्था उत्पन्न करना ।
रंग-पु० [फा०] वर्ण; वह बुकनीदार चीज जो बाजारों में मिलती और कपड़ा, लकड़ी आदि रँगने के काम आती है; किरणों का रंग ( इसका प्रभाव आँखोंपर पड़ता है, और जो रंग किसी पदार्थ द्वारा परावर्तित होता है वही उसमें दिखाई देता है); दृश्य ढंग तरीका; खेल; उल्लास, आनंद, दशा, हालत; रौनक, खूबसूरती; ट्रंप, तुरुप (ताशके खेल में ); चौपड़की खास रंगकी आठ गोटियाँ । - पाशी-स्त्री० होलीका उत्सव -मारपु० ताशका एक खेल । -साज़-पु० रंग बनानेवाला; दीवार, मेज आदिपर रंग चढ़ानेवाला । - साज्ञी - स्त्री० रंगसाजका काम |
रंगत - स्त्री० हालत, दशा; आनंद, मजा; रंग । रँगना-स० क्रि० रंग देना (दीवार, चित्र आदि में ); रंगमें डुबोना ( कपड़ा ) |
रंगबाति* - स्त्री० सुगंधित द्रव्यकी बनी बत्ती (मति० ) । रंगरूट - पु० [अ०] 'रिक्रूट' ] नया सिपाही; नौसिखिया । रँगरेज़ - पु० [फा०] कपड़ा रँगनेका काम करनेवाला | रँगरेली - स्त्री० दे० 'रंगरली' । रँगवाई - स्त्री० दे० 'रँगाई' । रँगवाना-स० क्रि० दे० 'रंगाना' । रंगांगण - पु० [सं०] रंगभूमि |
रँगाई - स्त्री० रँगनेका काम या भाव; रँगनेकी मजदूरी । रंगाजीव, रंगाजीवी (विन्) - पु० [सं०] रँगाईसे गुजर करनेवाला, रंगसाज |
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