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रजवाड़ा-रतनावली रजवाड़ा-पु० देशी रियासत, राज्य राजा ।
वि० जिसके गले में रस्सी लगी या बंधी हो। रजवार*-पु० राजद्वार; राजाका दरबार ।
रटंत-स्त्री० रटनेकी क्रिया या भाव, रटाई। रजस्वला-वि० स्त्री० [सं०] ऋतुमती । स्त्री० वह स्त्री रट-स्त्री०किसी शब्दका बार-बार उच्चारण करना; कौवोंजिसका रज प्रवाहित हो रहा हो।।
की बोली। रजा-स्त्री० [अ०] मर्जी; इजाजत, अनुमति खुशी, प्रस- | रटन-स्त्री० रटनेकी क्रिया या भाव । * पु० जोर-जोरसे नताकी स्थिति; खुशनूदी; रुखसत, छुट्टी; स्वीकृति । | कहना, वोलना। -कार-वि० खुश । पु० स्वयंसेवक, वालंटियर । रटना-स० क्रि० किसी शब्द, पद, वाक्यकी बार-बार -जोई-स्त्री० दूसरेको खुश करनेकी कोशिश । -पट्टी- | आवृत्ति करना; कंठाग्र करनेके लिए किसी अंश, पद, स्त्री० वर्षकी छुट्टियोंकी सूची। -मंद-वि० राजी, वाक्यका बोलकर पाठ करना, घोखना । अ० कि० बारसहमत । -मंदी-स्त्री० राजी-खुशी मंजूरी।
बार दाद करना; बजना । स्त्री० रटनेकी क्रिया,धुन,रट । रजाइस, रजायस, रजायसु-स्त्री० आशा,हुक्म अनुमति । रढना*-स० क्रि० दे० 'रटना' । रजाई-स्त्री० राजापन, राजा होनेका भाव; *दे० रजाय' ।। रण-पु० [सं०] युद्ध, लड़ाई, संग्राम । -कर्म(न)रजाई-स्त्री० [फा०] रंगीन कपड़ेकी रुईदार दुलाई, छोटा पु० युद्ध, संघर्ष । -कामी( मिन्)-वि० युद्धलिप्सु, लिहाफ।
संग्राम चाहनेवाला । -कारी(रिन्)-वि० युद्ध करनेरजाना*-स० क्रि० राज्यसुख भोग कराना (राज्य, राजके वाला। -कोष-पु० युद्ध-कोष, युद्धकी सहायताके लिए साथ ही प्रयुक्त होता है)।
विशेष रूपसे इकट्ठा किया गया धन । -क्षेत्र-पु० युद्धरजाय*-स्त्री० आशा,हुक्म; मजी, इच्छा; दे० 'रजा'। का स्थान, मैदान, स्थल । -खेत*-पु० दे० 'रणक्षेत्र' । रजिया-स्त्री० डेढ़ सेरका एक मान जिससे अनाज नापा | -छोड़-पु० [हिं०] कृष्ण (जरासंधकी लड़ाई में रणक्षेत्र जाता है काठका बरतन जिसमें डेढ़ सेर अनाज आता है। छोड़कर द्वारका जानेसे यह नाम पड़ा)। -दुंदुभी,रजिस्टर-पु० [अं॰] सादे पन्नोंकी बड़ी किताब, बही भेरी-स्त्री० लड़ाईका विशेष बाजा तुरही।-नीति-स्त्री० जिसपर खानेवार, सिलसिलेवार किसी मदका आय-व्यय, (स्ट्रैटेजी) आक्रमण करने, युद्ध चलाने तथा सेनाका व्यूहन किसी विषयका ब्योरेवार विवरण लिखा जाता हो; करने आदिका ढंग या नैपुण्य ।-पंडित-विकरणमें कुशल, दफ्तर, याददाश्त, हाजिरीकी किताब-पंजी।
प्रवीण, दक्ष । -पोत-पु० (वारशिप) युद्धके काम आनेरजिस्टर्ड-वि० [अं॰] दे० 'रजिस्ट्रीशुदा'; पंजीबद्ध । वाला जहाज । -प्रिय-वि० युद्धप्रेमी । -भू-भूमिरजिस्ट्रार-पु० [अं॰] वह व्यक्ति जो रजिस्टर में दर्ज करे, स्त्री० युद्धस्थल । -मत्त-पु० हाथी। -रंग-पु० युद्धजो रजिस्ट्री करे वह (पंजीयक); सरकारी कर्मचारीका एक क्षेत्र युद्ध, संग्राम; लड़ाईका उत्साह । -लक्ष्मी-स्त्री० पद दे० 'पीठस्थविर' ।।
युद्धकी देवी जो विजय देनेवाली मानी जाती है, विजयरजिस्ट्री-स्त्री० [अं०] डाकघरमें महसूल देकर पत्र आदि लक्ष्मी । -वंदी(दिन)-पु० (कैप्टिव) युद्ध में पकड़ा रजिस्टर में दर्ज कराकर भेजनेका कार्य; इस नियमसे भेजी गया शत्रुका सैनिक, युद्धवंदी। -वाद्य-पु० युद्धका जानेवाली चिट्टी रजिस्ट्रारके रजिस्टर में कोई बात दर्ज बाजा। -शिक्षा-स्त्री० युद्ध-विद्या या युद्ध-कौशलकी कराना; कोई लिखित प्रतिज्ञापत्र कानूनके अनुसार शिक्षा। -संकुल-पु० तुमुल युद्ध, घनघोर युद्ध । सरकारी रजिस्टरों में दर्ज करानेका काम । -शुदा-वि० -सज्जा-स्त्री० युद्धकी तैयारी। -सहाय-पु० युद्ध में जिसकी रजिस्ट्री करायी गयी हो; रजिस्टर में दर्ज किया। सहायक, मित्र । -सिंघा,-सिंहा-पु० [हिं०] तुरही, हुआ, पंजीबद्ध पको लिखा-पढ़ीवाला ।
नरसिंघा। -स्थल-पु० रणक्षेत्र । रजिस्ट्रेशन-पु० [अं०] रजिस्टर में दर्ज करना (करना, रणकार-पु० [सं०] झनझनाहट, शब्द, गुंजन । कराना, होना), पंजीयन ।
रणांगण-पु० [सं०] युद्धक्षेत्र, लड़ाईका मैदान । रज़ील-वि० [अ०] कमीना, पाजी; छोटी जातिका । रत-वि० [सं०] अनुरक्त, प्रेममें पड़ा हुआ; लीन, लगा रजु-स्त्री० दे० 'रज्जु'।
हुआ। पु० संभोग; लिंग; योनि प्रेम । रजोकुल*-पु० राजपरिवार, राजवंश।
रतजगा-पु० रात्रिजागरण; वह उत्सव जो रातभर जागरजोगुण-पु० [सं०] प्रकृतिका धर्मविशेषतीन गुणोंमेंसे कर होः भाद्र कृष्णा द्वितीया जब स्त्रियाँ कजली गाती है । एक जिसके कारण भोग, विलास, प्रदर्शनकी रुचि पैदा रतन-पु० दे० 'रत्न'। -जोत-स्त्री० मणिविशेष; एक होती है (सांख्य)।
औषधोपयोगी पौधा, बृहहती। रजोदर्शन, रजोधर्म-पु० [सं०] रजस्वला होना, स्त्रियोंका रतनाकर*-पु० दे० 'रत्नाकर', 'रतनजोत'। मासिक धर्म ।
रतनागर-पु० समुद्र, सागर । रजोविरति-स्त्री० [सं०] (मेनोपॉज) स्त्रीके जीवनका वह रतनार-वि० दे० 'रतनारा'। परिवर्तन जिसमें रजःस्राव अंतिम रूपसे बंद हो जाता है। रतनारा-वि० किंचित् लाल, ललछू लाल । रज्जाक-वि० [अ०] रोजी, खूराक देने, पहुँचानेवाला। रतनारी-पु० एक विशेष धान । स्त्री० लाली, ललाई, पु० ईश्वर, खुदा।
सुखी । वि० स्त्री० दे० 'रतनारा'। रज्जु-स्त्री० [सं०] रस्सी, डोर, जेवरी वागडोर, लगामकी रतनालिया*-वि० दे० 'रतनारा' । डोरी; स्त्रियोंके सिरकी चोटी । -कंठ-पु० एक आचार्य । | रतनावली-स्त्री० दे० 'रत्नावली' ।
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