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युद्धोतर अर्थव्यवस्था-योग
युद्धोत्तर अर्थव्यवस्था - स्त्री० [सं०] (पोस्टवार एकॉनॉमी) युद्धसमाप्ति के बादकी स्थिति देखकर उसके अनुरूप तैयार की गयी आर्थिक समस्याओंके निपटारेकी व्यवस्था या योजना |
युद्धोत्तेजक - वि० [सं०] (वारमंगर) ऐसी नीतिका अनुसरण करनेवाला जिससे युद्ध छिड़ जाने की संभावना हो । युद्धोत्तेजन - पु० [सं०] (वारमंगरिंग) अपने भाषणों, वक्तव्यों, नीति आदिसे युद्धको उत्तेजन देनेका कार्य | युद्धोन्मत्त - पु० [सं०] एक राक्षस, महोदर । वि० युद्धके लिए पागल युद्ध में आत्मविस्मृत । युद्धोपकरण- पु० [सं०] (आरमेमेंट्स) गोला-बारूद, तोपें आदि युद्धकी सामग्री ।
युधिष्ठिर - पु० [सं०] कुंती से उत्पन्न पांडुके सबसे बड़े पुत्र, धर्मराज, धर्मपुत्र ।
युध्य - वि० [सं०] युद्ध के योग्य, जिससे युद्ध किया जा सके। युयुत्सा - स्त्री० [सं०] युद्धकी इच्छा; शत्रुता । युयुत्सु - वि० [सं०] युद्धका इच्छुक, लड़ने की इच्छा रखनेवाला ।
युवक - पु० [सं०] तरुण, जवान, सोलहसे तीस वर्षकी अवस्थाका पुरुष |
वि०
युवति, युवती - स्त्री० [सं०] जवान स्त्री; हलदी । स्त्री० प्राप्त यौवना, जवान (स्त्री) । युवा (न्) - वि० [सं०] तरुण, जवान । -गंड - पु० हाँस । - पिडिका- स्त्री० मुँहासा । - राई * - स्त्री० युवराजका पद । पु० दे० 'युवराज' । -राज-पु० राज्यका उत्तराधिकारी राजकुमार । - राजी - स्त्री० [हिं०] युवराजका पद । - राज्ञी - स्त्री० युवराजकी पत्नी । - रानी * - स्त्री० 'युवराज्ञी' ।
युष्मदीय - वि० [सं०] तुम लोगोंका | यूँ - अ० दे० 'यो' ।
यूथ - पु० [सं०] सजातीय जीवोंका समूह, समुदाय, झुंड; सेना, फौज । - चारी (रि) - वि० झुंडमें चलनेवाले (बंदर, हाथी, हिरन आदि) । - नाथ- पु० झुंडका स्वाभी, नेता; सेनाध्यक्ष | -प, पति-पु० सेनापति; सरदार | - पाल - ५० दे० 'यूथपति' । - बंध-पु० सेनाकी एक टुकडी, समूह । - भ्रष्ट - वि० यूथसे निकला या निकाला हुआ । - मुख्य- पु० सेनाकी किसी टुकड़ीका प्रधान । यूथक - पु० [सं०] दे० 'यूथ' ।
यूथिका, यूथी - स्त्री० [सं०] जूही (फूल, पौधा) । यूनानी - पु० यूनानका नागरिक । स्त्री० यूनानकी भाषा; यूनानकी चिकित्सा प्रणाली, हकीमी । वि० यूनान देशका; यूनान -संबंधी ।
यूनियन - स्त्री० [अ०] संघ, सभा । यूनिवर्सिटी - स्त्री० [अ०] विविध विषयोंके शिक्षण, परीक्षण या दोनोंकी व्यवस्था के लिए स्थापित शिक्षा-संस्था जो प्रायः कालेजों आदिका भी नियमन करती है, विद्यापीठ, विश्वविद्यालय |
यूप- पु० [सं०] यशका खंभा जिससे बलिपशु बाँधा जाता है; स्तंभ जो यज्ञकी समाप्तिका चिह्न हो, विजयस्तंभ | यूरेनियम - पु० [अ०] एक भारी और शुभ धातु-तत्त्व ।
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यूरोप- - पु० [अ०] पूर्वी गोलार्द्धका सबसे छोटा महाद्वीप जिसके उत्तर आर्कटिक, पश्चिम अतलांतक, दक्षिण भूमध्यसागर तथा पूर्व में काकेशस और यूराल पर्वत हैं । यूरोपियन - पु० [अ०] यूरोपके किसी देशका नागरिक । वि० यूरोपका यूरोप-संबंधी । यूरोपीय - वि० यूरोपका; यूरोप-संबंधी । यूष-पु० [सं०] दाल इत्यादिका पानी, जूस, शोरबा; शहतूतका पेड़ ।
यूह * - पु० समूह, झुंड, सेना । ये सर्व ० 'यह' का बहुवचन । येई* - सर्व० यही ।
येऊ * - सर्व० यह भी । येतो। - वि० इतना |
येन सर्व० [सं०] जिससे । केन प्रकारेण - जिस किसी भी तरह से ।
येहू* - अ० यह भी ।
याँ - अ० इस प्रकार ।
यो। सर्व० यह ।
-
योक्तव्य - वि० [सं०] जोड़ने योग्य; नियुक्त करने योग्य । योक्ता (तृ) - पु० [सं०] जोड़ने, मिलाने या बाँधने वाला; गाड़ीवान; उभाड़नेवाला, उत्तेजक ।
योक्त्र- पु० [सं०] रस्सी; वह रस्सी जिससे गाड़ीका बैल जूएमें बँधा हो; रस्सी बाँधनेका पेच, औजार |
योग - पु० [सं०] जोड़नेका कार्य (गणित); संयोगः मिलाना, संबंध, संपर्क, युक्ति, उपाय; लाभ; घन; व्यवसाय; औषध; ध्यान; संगति; छल, विश्वासघात; शत्रुनाशके लिए आयोजित यंत्र, मंत्र, पूजा, छल, कपट आदि युक्तियाँ; दूत; सुभीताः सुयोग; चित्तवृत्तिका निरोध; मोक्षका उपाय; प्रेम; प्रयोग; मेल-मिलापः वैराग्य; शुभ काल; साम आदि चार प्रकार के उपाय; सहयोगिता; ज्योतिष में प्रधान नक्षत्र, युक्ति, प्रयोग, आभिचारिक अनुष्ठान जो बारह हैं, जोग, उतारा पतारा; उत्सव, पर्व (स्नान आदिका); संपत्तिलाभ और वृद्धि; एक छंद; युक्ति; चंद्र-सूर्यकी विशेष स्थिति के कारण होनेवाले फलित ज्योतिषके विशिष्ट काल; विशिष्ट तिथियों, वारों और नक्षत्रोंका निश्चित नियमसे पड़ना; अष्टांग योग जिसमें यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार धारण, ध्यान और समाधिका अंतर्भाव है; हठयोग । - कन्या- स्त्री० यशोदाकी कन्या । -क्षेम - पु० अलब्ध वस्तुका लाभ और लब्ध वस्तुकी रक्षा करना; राष्ट्रका सुप्रबंध; लाभ; कल्याण, मंगल; निर्वाण, शांति; दूसरेकी धन-संपत्तिकी रक्षा; वह वस्तु जो उत्तराधिकारियोंमें न बँटे । - गामी ( मिनू ) - वि० योगबल से जानेवाला (वायुमार्ग से ) । - दर्शन - पु० महर्षि पतंजलिकृत योगसूत्र । - दान-पु० सहयोग करना, हाथ बँटाना। - निद्रा - स्त्री० समाधि-निद्रा, अर्द्ध समाधि और निद्रा; योगकी समाधि; युद्ध क्षेत्र में वीरोंकी: मृत्यु । - फलपु० जोड़नेसे प्राप्त फल । -बल-पु० तपोबल; योगसाधनसे अर्जित अलौकिक शक्ति । भ्रष्ट- पु० वह योगी जिसका योग पूर्ण न हुआ हो, योगमार्ग से च्युत । - माया - स्त्री० सूक्ष्म समाधिकी अलौकिक शक्तिः विष्णुकी शक्ति,
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