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प्रभुता-प्रमाप वफादार । -शक्ति-स्त्री० कोश और सेनाका बल, पूर्ण- रोकी श्रेणी या वर्ग; वाद-विवादमें वह युक्ति जो प्रमाण प्रभुत्व, परम सत्ता। -सत्ता-स्त्री० (साव्हरेनटी) देश मानी जाती है। -ज्ञ-वि० प्रमाण-अप्रमाणको जाननेया राज्य पर ऐसी अखंड सत्ता जिसके ऊपर और किसीकी वाला पंडित। -पत्र-पु० वह पत्र या लेख जो किसी सत्ता या अधिकार न हो, पूर्ण सत्ता।
बातका प्रमाण माना जाय ।-भूत-वि० जो किसी बातप्रभुता-स्त्री०, प्रभुत्व-पु० [सं०] प्रभुका भाव; गौरव, ! का प्रमाण हो या माना जाय, प्रमाणरूप । -वचन,महत्त्व अधिकार, स्वामित्व वैभव, ऐश्वर्य ।
पाक्य-पु. न्यायसंगत वाक्य । -शास्त्र-पु० न्यायप्रभुताई*-स्त्री० दे० 'प्रभुता'।
शास्त्र, तर्कशास्त्र । -सूत्र-पु. वह सूत जिससे कोई वस्तु प्रभू*-पु० दे० 'प्रभु'।
नापी जाय । प्रभूत-वि० [सं०] जो हुआ हो, भूत; उत्पन्न, उद्गत; | प्रमाणक-वि० [सं०] (समासांतमें)......परिमाण या बहुत अधिक, प्रचुर उन्नत पूर्ण पक्क ।
विस्तारका । पु० (वाउचर) किसी रकमके आय-व्ययके प्रभूति-स्त्री० [सं०] उत्पत्ति स्थान; आधिक्य, प्रचुरता।। खातेमें चढ़ाये जानेकी संपुष्टि या प्रमाणके रूप में साथमें प्रभृति-अ० [सं०] इत्यादि, वगैरह ।
नत्थी किया गया हिसाबके ब्यौरेका पुरजा प्रमाणपत्र । प्रभेद-पु० [सं०] भेद, प्रकार, अंतर; स्फोटन; विभाग। प्रमाणतः(तस्)-अ० [सं०] प्रमाणके अनुसार । प्रभेदक-वि० [सं०] फाड़ने, चीरनेवाला; अंतर करने- प्रमाणन-पु० [सं०] (सर्टिफिकेशन) किसी लेख, कथन या वाला।
बातका ठीक और प्रामाणिक होनालिखकर स्वीकार करना । प्रभेव*-पु० दे० 'प्रभेद'।
प्रमाणना*-स० कि० दे० 'प्रमानना'। प्रमंडल-पु० [सं०] पहियेके बाहरी हिस्सेका खंड, चक्के प्रमाणिक-वि० [सं०] जिसके लिए कोई प्रमाण हो, प्रमाण का खंड (कंपनी) मिल-जुलकर कोई काम करने, विशेष- सिद्ध; जो किसी बातका प्रमाण हो, प्रमाणरूप (दि०)। कर व्यापारादिके लिए बनाया गया व्यक्तियोंका संघ या प्रमाणित-वि० [सं०] प्रमाण द्वारा सिद्ध, प्रमाणसिद्ध । समूह ।
प्रमाणीकरण-पु० [सं०](आथेंटिकेशन)किसी बातकी सत्यता प्रमत्त-वि० [सं०] नशे में चूर, मतवाला; पागल, विक्षिप्त प्रमाणित करना, किसीकी विश्वसनीयताकी पुष्टि करना । असावधान, प्रमादयुक्त संध्या-पूजा न करनेवाला; भूल- प्रमाणीकृत-वि० [सं०] जो प्रमाण ठहराया गया हो।
चूक करनेवाला । -चित्त-वि० लापरवाह, प्रमादी। प्रमाता(त)-पु० [सं०] प्रमारूप शानको प्राप्त करनेवाला, प्रमत्तता-स्त्री० [सं०] प्रमत्त होनेका भाव, मतवालापन; वह जो प्रमाण द्वारा किसी वस्तुका ज्ञान प्राप्त करे द्रष्टा । पागलपन; लापरवाही।
प्रमातामह-पु० [सं०] परनाना । प्रमथ-पु० [सं०] शिवके एक प्रकारके अनुचर; घोड़ा। प्रमातामही-स्त्री० [सं०] परनानी । -नाथ,-पति-पु० शिव ।।
प्रमात्रा-स्त्री० [सं०] (क्वानटम) यथेष्ट मात्रा, उतनी मात्रा प्रमथन-पु० [सं०] मथना; मार डालना, वध; नष्ट करना; जितनी आवश्यक हो; हिस्सा, भाग, राशि जो आवश्यक, कष्ट देना, उत्पीडन, क्षति पहुँचाना।
वांछित या स्वीकृत हो। प्रमथित-वि० [सं०] अच्छी तरह मथा हुआ; जिसे कष्ट प्रमाथ-पु० [सं०] मथना, मथन; बलपूर्वक हरण करना; पहुँचाया गया हो, उत्पीडित रौंदा हुआ।
बलात्कार; बहुत अधिक दुःख देना, उत्पीडन । प्रमद-वि० [सं०] प्रमत्त; जिसमें बहुत मद हो; उग्रः प्रमाथी(थिन् )-वि० [सं०] मथनेवाला; बलपूर्वक हरण लापरवाह; विवेकहीन । पु० धतूरेका फल; हर्ष, मोद; एक करनेवाला; पीडा पहुँचानेवाला; मारने, नष्ट करनेवाला; दैत्य । -कानन,-वन-पु. वह उद्यान जिसमें राजा | क्षुब्ध करनेवाला । पु० एक राक्षस; एक संवत्सर । अपनी रानियोंके साथ विहार करता है, क्रीडोद्यान, प्रमाद-पु० [सं०] कर्तव्यको अकर्तव्य समझकर उससे प्रमोदवन ।
निवृत्त होना और अकर्तव्यको कर्तव्य समझकर उसमें प्रमदा-स्त्री० [सं०] रूपवती युवती सुंदर स्त्री-कानन,/ प्रवृत्त होना, अनवधानता; भूल-चूक, गफलत; नशा -वन-पु० दे० 'प्रमदकानन'।
उन्माद । प्रमदित-वि० [सं०] नष्ट ध्वस्त; रौंदा हुआ।
| प्रमादवान (वत्)-वि० [सं०] प्रमाद करनेवाला, प्रमादप्रमा-स्त्री० [सं०] चेतना, बोध; किसी वस्तुका यथार्थ युक्त बिना बिचारे काम करनेवाला; मतवाला; पागल । ज्ञान (न्याय०); माप ।
प्रमादिका-स्त्री० [सं०] वह कन्या जिसका कौमार्य किसीप्रमाण-पु० [सं०] वह साधन जिसके द्वारा किसी वस्तुका ने नष्ट कर दिया हो; लापरवाह स्त्री । यथार्थ शान हो, प्रमाका साधन (न्या०); वह साधन प्रमादी(दिन)-वि० [सं०] जो बराबर प्रमाद करे, जिसके सहारे कोई बात सिद्ध की जाय,सबूत; वह जिसका प्रमादशील; मत्त विक्षिप्त । वचन या निर्णय यथार्थ या आप्त माना जाय; माप; परि- प्रमान*-पु० दे० 'प्रमाण' । माण, मात्रा, इयत्ता, सीमा; एक अर्थालंकार धर्मशास्त्र प्रमानना*-स० क्रि० प्रमाण मानना, ठीक माननाः मूल धन; मर्यादा; हेतु, कारण नियमः [हि०] यथार्थता, । प्रमाणित करना, सिद्ध करना । सत्यता; निश्चय, पक्का इरादा ठिकाना, भरोसा; मानने प्रमानी*-वि० प्रामाणिक, मान्य । या आदर करने योग्य वस्तु; आज्ञापत्र, आदेश । १० प्रमाप-स्त्री. (स्टैंडर्ड) वह स्थिर की हुई एवं बहुमान्य तक, पर्यत । -कोटि-स्त्री०प्रामाणिक वस्तुओं या आधा- माप या मान जिसके आधारपर अन्य माप) या मानाका
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