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(बात)। [मु.बेतुकी हाँकना-असंगत, बेतुकी बात वि० बेमजा, बेलुत्क । -रहम-वि० जिसमें रहम न हो, बकना।] -दखली-बी० कब्जेका हटाया जाना, निर्दय । -रहमी-स्त्री० निर्दयता, बेददी । -राह-वि० असामीका खेतसे बेदखल कर दिया जाना। -दम-वि० पथभ्रष्ट कुचाली।-रुख-वि० बेमुरौवत रुष्ट, प्रतिकूल । बेजान, मुर्दा; शिथिल । -दर्द-वि० निठुर, निर्दय, -रुखी-स्त्री० उपेक्षा प्रतिकूलता; बेमुरौवती । -रोकजालिम । -दर्दी-स्त्री० निर्दयता, बेरहमी। * वि० टोक-अ० बिना किसी रुकावटके, बेखटके।-रोज़गारदे० 'बेदर्द' -दाग़-वि० निष्कलंक, निर्दोष ।-दाना- वि० जिसके पास जीविकाका साधन न हो; नौकरीसे वि० बिना दानोंका; मूर्ख। पु० अनारका एक बढ़िया भेद अलग किया हुआ, बेकार । -रोज़गारी-स्त्री० बेरोजगार जिसके दाने में नामकी ही सीठी होती है। एक तरहका होनेका भाव, बेकारी । -रौनक-वि० जिसकी शोभा, शहतूत बिहीदाना। -दानिशी-सी० नासमझी, बे- चहल-पहल चली गयी हो, उदास । -लगाम-वि० मुँहअकली। -दाम-वि० मुफ्त, बिना दामका। -दिल- जोर, सरकश, दाब न माननेवाला। -लज्जत-वि० वि० उदास, भग्नहृदय । -धड़क-अ० निर्भय होकर, बेमजा, स्वादरहित; निष्फल । -लाग-वि० किसीकी बिना सोचे-अटके। वि० निर्भय । -धीर*-वि० धैर्य- रू-रिआयत न करनेवाला, खरा; दोटूक (बात)। रहित । - नज़ीर-वि० बेजोड़, अनुपम । -नाम-वि० -लिहाज़-वि० बेसुरौवत; निर्लज्ज । -लुफ-वि० गुमनाम । -नामोनिशान-वि० बेपता । -निमून*- बेमजा, रसरहित। -लुत्फ्री -स्त्री० रसभंग, बदमजगी, वि० अद्वितीय, बेजोड़। -नियाज़- वि० जिसे किसी आनंद न आना । -लौस-वि० खरा; किसीका लिहाज, चीजकी चाह या आवश्यकता नको, बेपरवा।-नूर-वि० मुरौवत न करनेवाला । -लौसी-स्त्री० खरापन, निष्पजिसकी ज्योति चली गयी हो (आँख)।-पता चिट्ठीघर क्षता । -वाक्षत,-वक़त-वि० प्रतिष्ठारहित, तुच्छ, -पु. (डेड लेटर ऑफिस) दे० 'लापता 'चिट्रीघर' । नगण्य । -वकूफ़-वि०निर्बुद्धि, नासमझ । -वक्त-पनाह-वि० जिससे वचाव न हो सके; निराश्रय । अ० असमय, बेमौके, कुसमयमें। -वततकी रागिनी -परदगी,-पर्दगी-स्त्री० परदेका हट जाना; भेदका (शहनाई)-बेमौका बात । -वना-वि० वचनका प्रकट हो जाना; बेइज्जती। -परदा-वि० परदेसे बाहर पालन, प्रीतिका निर्वाह न करनेवाला; कृतघ्न; मित्रको जिस(स्त्री)का मुँह खुला हो; प्रकट, खुला। -परवा- धोखा देनेवाला । -वफ़ाई-स्त्री० बेवफा होनेका भाव; परवाह-वि० जिसे किसी बातकी फिक्र न हो, निर्द्वद्व । बेमुरोवती; कृतघ्नता। -शऊर-वि० बेसलीका, फूहड़, -परवाई, परवाही-स्त्री० बेफिक्री, लापरवाई ।-पाइ* बेअकल ।-शक-अ० निस्संदेह, जरूर । -शरम,-शर्म-वि०निरुपाय, भौचक । -पीर-वि० निर्दय, दूसरोंका वि०निर्लज्ज ।-शर्मी-स्त्री० निर्लज्जता ।-शुमार-वि० दुख-दर्द न समझनेवाला; निगुरा। -फसल,-फस्ल- अगणित; बेहिसाब । -सँभर*-वि० बेहोश।-सबबवि० बेमौसम बेवक्त । -फायदा-वि० जिससे कोई अ० अकारण, बिलावजह । -सबरा-वि० दे० 'बसन' । लाभ, फल न हो, बेकार । -फ़िक्र-वि० चितारहित, -सबरी-स्त्री० अधैर्य ।-सब्र-वि० जिसमें सब, धीरज बेपरवा, निर्दछ । -फ्रिक्री-स्त्री० निश्चितता। -बस- न हो, अधीर । -सबी-स्त्री० अधीरता। -समझवि० विवश, असहाय ।-बसी-स्त्री०विवशता, लाचारी। वि० नासमझ । -सर*-वि० आश्रयरहित । -सरा,-बाक-वि० निडर, ढीठ । -बान-वि० जिस(हिसाब- सिरा-वि० जिसके सिरपर कोई न हो, स्वच्छंद । खाते)में कुछ बाकी न हो, चुकाया हुआ; जिसने पूरा | -सरोसामान-वि० जिसके पास कोई सामग्री न हो। पावना चुका दिया हो।-बाकी-स्त्री० निर्भयता,धृष्टता । -सलीका-वि० बेशऊर, फूहड़ । -सामान-वि० -बाकी-स्त्री० बेबाक होना, चुकता, पूरी सफाई ।-बुनि- जिसके पास माल-असबाब या जरूरी औजार आदि न याद-वि० बिना जड़का, निर्मूल; मनगढ़ंत । -ब्याहा- हो, उपकरणहीन । -सिलसिला-वि० क्रमरहित, वि० अविवाहित ।-मज़ा-वि० स्वादरहित; बदजायका । अव्यवस्थित ।-सिलसिले-अ० बिना क्रम, सिलसिलेके । -मतलब-अनिष्प्रयोजन, बेकार । वि. निरर्थक । -सुध-वि० अचेत, बेहोश; आत्मविस्मृत । -सुर-वि० -मनका-जिसमें मन न लगता हो। -मरम्मत-वि० जिसका स्वर ठीक न हो। -सरा-वि० जो शुद्ध स्वर में जिसकी मरम्मत न हुई हो, टूटा-फूटा। -मसरा- न गा सके; स्वरदोषयुक्त, अशुद्ध स्वर में गाया जानेवाला वि. अनुपयोगी, निकम्मा। -मानी-वि० अर्थरहित (गाना)।-सूद-वि० बेफायदा, व्यर्थ ।-सोचे समझेबेकार । -मालूम-वि० जिसका पता न लगे, अशात । अ० बिना सोच-विचार किये, झट । -स्वाद-वि० स्वाद-मिलावट-वि० खालिस, शुद्ध । -मुनासिब- रहित, बदजायका । -हकीकत-वि० तुच्छ, उपेक्षणीय । वि० अनुचित । -मुरीवत-वि. जिसमें लिहाज, -हद-वि० असीम; बहुत अधिक ।-हया-वि० निर्लज्ज, मुरौवत न हो, तोताचश्म । -मुरौवती-स्त्री० बेशर्म । -हयाई-स्त्री० निर्लज्जता। [मु०-हयाईका बेमुरौवत होना, तोताचश्मी। -मेल-वि० जो मेल न जामा पहन लेना या बुरका ओढ़, मुँहपर डाल खाता हो, अनमिल, बेजोड़। -मौका-वि० जिसका लेना-नितांत निर्लज्ज हो जाना।। -हाल-वि० कष्टसे अवसर न हो; अयुक्त, नामुनासिब । -मौत-अ० अस- व्याकुल, जिसका हाल बुरा हो। -हिजाबी-स्त्री. मय, बिना अवसरके। -मौत-अ० बिना मौत आये, बेपर्दगी; निर्लज्जता । -हिम्मत-वि० जिसमें हिम्मत न बिना कालके (मरना)।-मौसिम-वि० जिसका मौसिम | हो, डरपोक । -हिसाब-वि० बेहद, अमित; बहुत न हो, असामयिक । अ०बिना उचित समयके ।-रंग- ज्यादा। -हुनर,-हुनरा-वि० जिसे कुछ आता न हो,
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