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महा
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सबसे बड़ा बेटा, युवराज ।-कोशल-पु० दक्षिण कोशल, __ महाब्राह्मण महामंत्री । -पाप-पु० महापातक ।-पुरआधुनिक मध्यप्रदेशका हिंदीभाषी भाग। -क्रतु-पु० । पु० दुर्ग आदिसे रक्षित नगर। -पुराण-पु० व्यासबड़ा यश-अश्वमेध, राजसूय आदि । -खर्व-पु० १०० रचित अठारह महापुराणों मेंसे कोई एक । -पुरुष-पु० खर्वकी संख्या ।-गणनाध्यक्ष-पु० (अकाउंटेंट-जनरल) श्रेष्ठ जन, महिमाशाली पुरुष; नारायण; दुष्ट, हजरत दे० 'महा-लेखापाल' ।-जन-पु० श्रेष्ठजन, बड़ा आदमी (व्यंग्य)। -प्रज्वलन-पु० (कानफ्लेग्रेशन) विशाल जाति या श्रेणी-विशेषका मुखिया; जनसमूह, जनता; और भयावह अग्निकांड जिसमें आगकी लपटें बहुत दूरदेन-लेन करनेवाला, साहूकारः ऋणदाता, पावनेदार । दूरतक पहुँचें और जिससे भारी क्षति होनेकी संभावना -जनी-स्त्री० [हिं०] दे० क्रममें । -ज्ञानी हो। -प्रभ-पु० परमेश्वर; राजा; इंद्रा चैतन्य महाप्रभु (निन्)-वि० बहुत बड़ा ज्ञानी। -तत्त्व -पु० वल्लभाचार्य; कोई बड़ा साधु-संन्यासो। -प्रलय-पु० दे० :'महत्तत्त्व'। -तपा(पस)-वि० कठोर तप ब्रह्माकी आयु शेष होनेपर होनेवाला संपूर्ण सृष्टिका नाश । करनेवाला। पु० विष्णु । -तल-पु० नीचेके सात -प्रसाद-पु. भगवान् या किसी बड़े देवताका प्रसाद लोकोंमेंसे पाँचवाँ। -तिक्त-पु० नीम । -त्याग,- जगन्नाथजीको चढ़ाया हुआ भात; देवीको बलि किये हुए त्यागी(गिन्)-वि० अति त्यागशील । -दंड-पु० बकरेका मांस । -प्रस्थान-पु० महायात्रा, मृत्यु । लंबी भुजा; भारी दंड, सजा ।-दंत-पु० बड़े दाँतोंवाला -प्राज्ञ-वि० परमशानी; महापंडित । -प्राण-वि० हाथी; शिव । -दंष्ट्र-पु० शिव; एक राक्षस । -दशा- अधिक बल, सत्ववाला । पु. प्रत्येक वर्गका दूसरा और स्त्री० मनुष्यके जीवन में ग्रहविशेषका निर्धारितः भोग्य- चौथा अक्षर (कवर्गमें 'ख','घ' और चवर्गमें 'छ', 'झ' इ०); काल । -दान-पु० बड़ा दान; उन सोलह दानों में से कोई काला कौआ। -प्राभिकर्ता(न)-पु० (ऐटनी-जनरल) जिनका फल स्वर्ग माना गया है (तुलापुरुष, सोनेकी वह विधिक अधिकारी जो राज्य-संबंधी मुकदमों-मामलों में गौका दान, गजदान, कन्यादान इ०)।-दारु-पु० देव- सरकारकी ओरसे व्यवस्थादि करने के लिए प्राधिकृत किया दारु । -देव-पु.शिव। :-देवी-स्त्री० दुर्गा, पार्वती;
गया हो।-बन-पु० [हिं०] वृंदावनके अंतर्गत एक वन । सबसे बड़ी रानी, पट्टरानी। -देश-पु० भूमंडलका कोई -बल-वि० अतिबली । पु० वायु सीसा; बुद्ध ।-बलामुख्य भाग जिसके अंदर कई देश हों, बरें आजम । धिकृत-पु० (फील्ड मार्शल) सैन्य-मंत्री; सबसे बड़ा सैनिक -द्वार-पु० बड़ा या मुख्य दरवाजा। -द्वीप-पु० अधिकारी । -बाह-वि० लंबी बाँहवाला; बलवान् । पृथ्वीका वह बड़ा भाग जिसमें कई देश हों, जैसे एशिया,
पु० विष्णु; धृतराष्ट्रका एक पुत्र । -ब्राह्मण-पु. वह यूरोप, महादेश; पुराणानुसार पृथ्वीके ये सात मुख्य ब्राह्मण जो प्रेतकर्म कराता और उसमें किया जानेवाला विभाग-जंबु, प्लक्ष, शाल्मलि, कुश, क्रौच, शाक और दान लेता हो, महापात्र ।-भाग,-भागी(गिन्)-वि० पुष्कर ।-नवमी-स्त्री० आश्विन शुक्ला नवमी।-नाटक अति भाग्यवान्। सुविख्यात; पुण्यात्मा ।-भागवत-पु० पु० दस अंकोंवाला नाटक । -नाद-पु० बहुत जोरकी परम वैष्णव, मनु, सनकादि १२ महाभक्त श्रीमद्भागवत
आवाज; हाथी; गरजनेवाला बादल, बड़ा ढोल, शंख, (पुराण) । -भारत-पु० व्यासरचित इतिहास-ग्रंथ सिंह । -निंब-पु. बकायन । -निद्रा-स्त्री० मृत्यु । जिसमें भरतवंशका चरित और कौरव-पांडवोंमें हुए महा. -निर्वाण-पु० व्यष्टि सत्ताका पूर्ण नाश, परिनिर्वाण । संग्रामका वर्णन है। कुरु-पांडव-युद्ध; महायुद्ध महाग्रंथ । -निशा-स्त्री० रात्रिका दूसरा और तीसरा पहर; दुर्गा; -भाष्य-पु. (पाणिनिकृत व्याकरण-सूत्रपर पतंजलिप्रलयरात्रि । -नीच-पु० रजक । -नील-वि० गहरा लिखित) बृहद्-भाष्य । -भिक्षु-पु० बुद्धदेव । -भीतानीला । पु० एक तरहका नीलम । -नृत्य-पु० शिव । स्त्री० लजालू । -भीम-वि० अति भयंकर । पु० शिवका -नेत्र-पु० शिव । -न्यायवादी (दिन)-पु० (एटनी- अनुचर भुंगी; राजा शांतनु । -भीरु-पु० ग्वालिन जनरल) दे० 'महाप्राभिकर्ता' । -पंचविष-पु० सिंधिया नामका कीड़ा। -भूत-पु. पंचभूत या उनमेंसे कोई (शृंगी),कालकूट, मोथा, बछनाग और शंखकर्णी-इन पाँच एका परमेश्वर । -भैरव-पु० शिव । -मंडल-पु० विषोंका समूह । -पत्रपाल-पु० (पोष्टमास्टर-जनरल) बड़ा, प्रधान, केंद्रीय मंडल या संघ ।-मंत्र-पु. वेदमंत्र; राज्यकी राजधानीमें रहनेवाला डाक-विभागका सबसे बड़ा अति शक्तिशाली मंत्र; उत्तम सलाह ।-मंत्री (त्रिन)-पु० अधिकारी। -पथ-पु० राजपथ; महाप्रस्थानका पथ, प्रधान मंत्री । -मणि-पु. अधिक मूल्यवान् मणि, रत्न । मृत्युः हिमालयके उत्तरका वह रास्ता जिससे युधिष्ठिर | -मति-वि० अति बुद्धिमान् ; उदाराशय । -मनाआदिने स्वर्गारोहण किया था; एक नरक। -पद्म-पु० (मनस)-वि० ऊँचे दिलवाला, उदारचित्त ।-महिमश्वेत कमल; सौ पनकी संख्या दक्षिण दिशाका दिग्गज; वि० (हिज़ एक्सेलेसी) जिसकी बड़ी महिमा हो (राज्यकबेरकी नौ निधियों मेंसे एक; एक नंदवंशी राजाका पालादिके सम्मानार्थ प्रयुक्त शब्द), महामहिमायुक्त नाम। -पद्मनंद-पु० नंदवंशका अंतिम राजा। अति महत्त्वशाली । -महोपाध्याय-पु. बहुत बड़ा -पवित्र-पु० विष्णु । -पातक-पु० बहुत बड़ा पाप; उपाध्याय, अध्यापक महापंडित संस्कृतके महापंडितोंकी स्मृतिवर्णित ये पाँच महापाप-ब्रह्महत्या, सुरापान, चोरी, एक उपाधि । -मांस-पु. नरमांस गोमांस । -माईगुरुपलीगमन और इन पाप करनेवालोंका संसर्ग । स्त्री० [हिं०] काली, देवी। -मान्य-वि० (हिज़ मैजेस्टी) -पातकी(किन)-वि० महापातक करनेवाला।-पात्र- अत्यंत माननीय (किसी स्वतंत्र नरेश या सम्राट के लिए पु० प्रेतकर्म कराने और उसका दान लेनेवाला ब्राह्मण, प्रयुक्त सम्मानका शब्द)। -माया-स्त्री० जगत्की
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