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महा-महार्बुद कारणभूता अविद्या; जगत्की अधिष्ठात्री दुर्गा; बुद्धदेवकी गये । निर्वाणकाल ५२७ ई०)। -धीर-चक्र-पु० स्वतंत्र माता। -मारी-स्त्री० बबाई बीमारी, मरी। -मुनि- भारतमें सेनाके किसी वीरको रणभूमिमें असामान्य पु० मुनिश्रेष्ठ; व्यास; अगस्त्य; बुद्धदेव । -मृग-पु० वीरता दिखानेपर दिया जानेवाला एक विशेष पदक जो बड़ा पशुः हाथी । -मृत्युंजय-पु० शिवका एक प्रसिद्ध परमवीर चक्रसे छोटा माना जाता है। -व्रण-पु० दुष्ट मंत्र जो अकालमृत्यु-निवारक माना जाता है। -यज्ञ- व्रण । -व्रत-पु० बहुत बड़ा कठिन व्रत। -शंख-पु० पु० गृहस्थके लिए नित्य कर्तव्य पंचकर्म-वेदाध्ययन, बड़ा शंख; ललाट; सौ शंखकी संख्या; कुबेरकी एक निधि । अग्निहोत्र, तर्पण, अतिथि पूजन और भूतबलि ।-यान- -शक्ति-स्त्री० महती शक्ति; दुर्गा। -श्मशान-पु० पु० बौद्ध धर्मके तीन मुख्य संप्रदायों में से एक ।-युद्धपोत- काशी नगरी, वाराणसी । -श्रमण-पु० बुद्धदेव । पु० (कैपिटल शिप) भारी रण-पोत, जंगी जहाज ।-योगी- -संस्कार-पु० अंत्येष्टि ।-सत्त्व-वि० अति बलशाली; (गिन् )-पु० महान् योगी; शिव, विष्णु, मुर्गा । महामना । पु० बुद्धदेव; कुबेर । -सभा-स्त्री० बड़ा -रत्न-पु० बहुमूल्य रत्न-हीरा, मोती, वैदूर्य, पद्मराग, जलसा; महासंघ; हिंदू महासभा । -सभाई-वि० [हिं०] गोमेद, पुखराज, पन्ना, नीलम और मूंगा। -रथ-पु० हिंदू महासभाका अनुयायी। -समुद्र-पु० बड़ा समुद्र, भारी योद्धा; वह योद्धा जो अकेला दस सहस्रधनुर्धरोंसे महासागर ।-सर्ग-पु० महाप्रलयके बाद होनेवाली नयी लड़ सके। -रथी(थिन)-पु० दे० 'महारथ' ।-रस- सृष्टि । -सांधिविग्रहिक-पु० परराष्ट्रमंत्री। -सागरपु० ईख खजूर; काँजी; कसेरू, पारा; अभ्रक; सोना
पु० महासमुद्र । -सारथि-पु० अरुण । -साहस-पु. मक्खी; कांतिसार लोहा। -राज-पु० बड़ा राजा,
अति साहस बलात्कार; जबरदस्ती छीन लेना, डकैती। बादशाह; राजा, ब्राह्मण, साधु-संत आदिका सम्मान
-साहसिक-वि० अति साहसी। पु० बलात्कार करनेसूचक संबोधन । [स्त्री० महाराशी।] -राजाधिराज
वाला; बलपूर्वक हरण करनेवाला । -सिद्धि-स्त्री० एक पु० राजाओंका राजा, सम्राट ।-राणा-पु०[हिं०] मेवाड़
तरहका जादू। -सुख-पु० शृंगार रति; बुद्धदेव । और धौलपुरकेराजाओंकी उपाधि ।-रात्र-पु०अर्धरात्रि।
| महाई-स्त्री० मथनेका काम; मथनेकी उजरत । -रात्रि-स्त्री० महाप्रलय; आधी रातके बाद दो मुहूर्तका
महाउत*-पु० दे० 'महावत' । रात्रिकाल । -रावण-पु० अद्भत रामायण में वर्णित
महाउर*-पु० दे० 'महावर'। रावण जो जानकीजीके हाथों मारा गया। -रावल-पु०
महाचार्य-पु० [सं०] प्रधान आचार्य । [हिं०] जैसलमेर और दूंगरपुरके राजाओंकी उपाधि । महाजनी-स्त्री० महाजनका पेशा, रुपयेके लेन-देन, हुंडी-राष्ट्र-पु. दक्षिण-पश्चिम भारतका एक प्रदेश; उस पुरजेका काम। प्रदेशका निवासी; बड़ा राष्ट्र ।-राष्ट्री-स्त्री० मध्यकालकी
महाढ्य-वि० [सं०] अति धनी; परम संपन्न । या दूसरी प्राकृतोंमेंसे एक मुख्य भाषा; महाराष्ट्र देशकी
महातम*-पु० दे० 'माहात्म्य' । भाषा, मराठी।-राष्ट्रीय-वि० महाराष्ट्र-संबंधी; महाराष्ट्र | महात्मा (मन)-पु० [सं०] जिसकी आत्मा या स्वभाव देशवासी। -रुद्र-पु० शिव । -रेता (तस्)-पु० ! महान हो, उच्चाशय; संत, योगी सिद्ध पुरुषः परमात्मा । शिव । -लक्ष्मी-स्त्री० नारायणकी शक्ति, लक्ष्मी । महाधिकारपत्र-पु० [सं०] (मैग्ना कार्टा) वैयक्तिक तथा -लिंग-पु० शिव ।-लेखापाल-पु०(अकाउंटेंट-जनरल)
राजनीतिक स्वतंत्रता प्रदान करनेवाला वह प्रसिद्ध अधिसरकारके रेल विभाग, डाक विभाग आदि सार्वजनिक |
कारपत्र जो ब्रिटेनके राजा जॉनसे - सन् १२१५ ई० में विभागोंका प्रधान लेखापाल, महा-गणनाध्यक्ष ।-लौह
लिखाया गया था। पु० चुवक । -घरा-स्त्री० दूब । -वराह-पु० विष्णुका महानता-स्त्री० महत्ता, बड़प्पन । वराह अवतार । -वाक्य-पु० महदर्थ-प्रकाशक वाक्य
महानुभाव-पु० [सं०] ऊँचे मन, आशयवाला,महाशय । 'अहं ब्रह्मास्मि', 'तत्त्वमसि', 'अयमात्मा ब्रह्म' आदि महान (हत्)-वि० [सं०] बड़ा, ऊँचा, महत् । उपनिषदाक्य । -वाणिज्यदत-पु० (कौंसल जनरल)
महापगा-स्त्री० [सं०] बड़ी नदी। किसी देशका वह वाणिज्यदूत जो किसी अन्य देशकी राज- महाभियोग-पु० [सं०] (इंपीचमेंट) राज्यके प्रधान या धानीमें नियुक्त किया गया हो और जो उस देशमें स्थित | राज्यके किसी बड़े अधिकारीपर, किसी जघन्य अपराध अपने देशके इतर वाणिज्यदूतोंका प्रधान हो।-वात- या बहुत ही अनुचित आचरणके कारण, चलाया गया पु० तूफानी हवा, अंधड़ ।-वादी (दिन)-वि० शास्त्रार्थ अभियोग। करने में प्रबल ।-वायु-स्त्री०दे० 'महावात' ।-वारुणी- महामात्य-पु० [सं०] प्रधान मंत्री। स्त्री० गंगास्नानका एक विशेष योग जो चैत्र कृष्णा त्रयो- महाय*-वि० महा, बहुत अधिक । दशीको शतभिषा नक्षत्र और शनिवार होनेसे पड़ता है। महारंभ-वि० [सं०] बड़े काम उठानेवाला; बड़ा। पु० -विद्या-स्त्री. तंत्रोक्त दस देवियाँ-काली, तारा आदि । बड़ा काम । -विद्यालय-पु०उच्च शिक्षा देनेवाला विद्यालय (कालेज)। | महारण्य-पु० [सं०] भारी जंगल । -वीर-वि० बहुत बड़ा वीर, योद्धा। पु० सिंह वज्र; | महार्घ-वि० [सं०] महँगा दामी । विष्णु, गरुड, हनूमान्; जैनोंके चौबीसवें और अंतिम महार्घता-स्त्री० [सं०] महँगी, महँगापन । तीर्थंकर (त्रिशूलाके गर्भसे उत्पन्न महाराज सिद्धार्थ के पुत्र महार्णव-पु० [सं०] महासमुद्र शिव । जो युवावस्था में ही राज-पाट छोड़कर तप करने वनमें चले | महाबुद-पु० [सं०] एक अरब या १० अर्बुदकी संख्या ।
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