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भार-भविष्य
५९४ वैयाकरण कवि ।
'भवभूषण'। -भूषण-वि० जगत्के भूषणरूप। पु० भर्तार-पु. कांत, पति, स्वामी ।
शिवका भूषण, राख आदि । -भोग-पु० लौकिक सुखभर्तृमती-स्त्री० [मं०] सधवा स्त्री।
का उपभोग। -मांचन-पु. भवबंधनको काटनेवाला, भर्सन-पु०, भर्त्सना-स्त्री० [सं०] निंदा, लानत- परमेश्वर । -शूल-पु० भौतिक दुःख । -शेखर-पु० मलामत ।
चंद्रमा । -सागर,-सिंधु-पु० समुद्ररूप संसार । भर्म*-पु० दे० 'भ्रम' ।
भवदनुगत-वि० [सं०] (युअर्स ओबिडिएंटली) आपकी भर्मन*-पु० दे० 'भ्रमण' ।
आशा माननेवाला,आपके आदेशानुसार चलनेवाला.(किसी भर्य-पु० [सं०] भरण पोषणका खर्च, गुजारा (को०)।
मातहत कर्मचारी द्वारा अथवा पुत्र या छोटे भाई द्वारा भर्रा-पु० एक चिड़िया, दम, चकमा ।
उच्च कर्मचारी, पिता या बड़े भाईको लिखे गये आवेदनभर्राना-अ० क्रि० 'भर्र-भरी' शब्द निकलना ।
पत्र, कुशलपत्रादिके अंतमें, हस्ताक्षर करनेके ठीक पहले भर्सन*-पु० दे० 'भर्त्सन'।
प्रयुक्त विशेषण)। भल*-वि०, पु० दे० 'भला'
भवदनुरत-वि० [सं०] (युअर्स सिनसियरली) आपसे स्नेह, भलका*-स्त्री० गाँसी।
मित्रता या सद्भाव रखनेवाला (किसी मित्र या सामान्य भलपति-पु० भाला धारण करनेवाला ।
परिचित व्यक्तिको लिखे गये पत्रके अंतमें लेखक द्वारा भलमनसाहत, भलमनसी-स्त्री० भलामानुसपन, सज्ज- स्वयं अपने लिए प्रयुक्त विशेषण ।) नता, शराफत ।
भवदीय-वि० [सं०] आपका (स्त्री० भवदीया)। भला-वि० अच्छा, नेक,साधुः सुंदर (लगना) । पु० भलाई, भवन-पु०[सं०] होना, भाव; जन्म, उत्पत्ति घर, मकान हित । अ० अच्छा, खूब प्रश्नवाचक वाक्यों में 'नहीं'का स्थान, क्षेत्र । -निर्माण-विज्ञान-पु० ( आर्किटेक्चर ) अर्थ देता है-'भला कहीं बालूसे तेल निकल सकता है ?', मकान आदि बनानेकी कलाका विवेचन करनेवाला शास्त्र । धमकीके अर्थ में-"भला बच्चा"। -आदमी-पु० भला भवना*-अ० कि० दे० 'भँवना'। मानस, नेक, शरीफ आदमी।-चंगा-वि० स्वस्थ, तंदुरुस्त, भवनापचरण-पु० [सं०] (हाउस-ट्रेसपास) किसीके अच्छा-खासा । -बुरा-वि० अच्छा और बुरा; सख्त- मकान में अवैध रूपसे प्रवेश करना । सुस्त, खरी-खोटी (कहना, सुनाना)। -मानस-पु० | भवनी*-स्त्री० गृहिणी; स्त्री। दे० 'भला आदमी'; (व्यं०) दुष्ट । (भले)मानुसोंका भवन्निष्ठ-वि० [सं०] ( फेथफुल्ली युअर्स ) आपमें विश्वास समझौता-पु० (जटिलमेंस ऐग्रीमेंट) एक तरहका अनौप- रखनेवाला (अंग्रेजी ढंगके व्यापारिक पत्रों या सामान्य चारिक समझौता जो केवल जबानी बातचीत या सामान्य कार्यके लिए प्रायः कम परिचित व्यक्तियोंके नाम लिखे पत्रालापके आधारपर किया गया हो, कोई पक्की लिखा- गये पत्रोंके अंत में, हस्ताक्षरके ठीक पहले, प्रयुक्त होनेवाला पढ़ी न की गयी हो।
समस्तपद)। भलाई-स्त्री० भलापन, अच्छाई; नेकी; हित, खैरियत । | भवाँ*-पु० फेरा। भले-अ० खूब, अच्छा (भले आये)। -ही-अ० ऐसा | भवाँना*-स० क्रि० घुमाना। हो तो हुआ करे, हो तो परवाह नहीं (भले ही तुम बुरा | भवांबधि-पु० [सं०] दे० भवसागर' । मानो)।
भवा-स्त्री० पार्वती। भलेरा*-पु० दे० 'भला'।
भवात्मज-पु० [सं०] कात्तिकेय गणेश । भल्ल-पु० [सं०] भाला; भालू ; शिव; भिलावाँ ।-नाथ, | भवानी-स्त्री० [सं०] दुर्गा, पार्वती। -कांत,-पति-पति-पु० जांबवान् ।
-वल्लभ-पु० शिव । -नंदन-पु० गणेश कात्तिकेय । भल्लक-पु० [सं०] भालू भिलावाँ एक (प्राचीन) जनपद। भवाब्धि -पु० [सं०] दे० 'भवसागर'। भल्लात, भल्लातक-पु० [सं०] भिलावाँ ।
भवि*-वि० दे० 'भव्य'। भल्लुक-पु० [सं०] भालू ।
भवितव्य-वि० [सं०] होनहार, अवश्यंभावी । भल्लूक-पु० [सं०] भालू ; कुत्ता।
भवितव्यता-स्त्री० [सं०] जिसका होना अटल हो, होनी; भवंग, भवंगा -पु० सर्प ।
भाग्य। भवंगम*-पु० सर्प।
भविष*-पु० दे० 'भविष्य'। भवंत-पु० [सं०] वर्तमान काल । * सर्व० आपका। भविष्य-पु० [सं०] आनेवाला काल । वि० होनेवाला, भवना-अ० क्रि० घूमना, चक्कर खाना ।
भावी । -काल-पु० क्रियाके तीन कालों में से एक, अनाभवर-पु० दे० 'भँवर'।
गत काल (व्या०)।-गुप्ता-स्त्री० सुरतिगुप्ता नायिकाका भव-* पु०; भय [सं०] उत्पत्ति, जन्म; होना; संसृतिः | एक भेद । -ज्ञान-पु० होनेवाली बातोंकी जानकारी । प्राप्ति; संसार, अग्नि; शिव; कुशल । (समासमें 'से -निधि-स्त्री० (प्रॉविडेंट फंड) किसी सरकारी, अर्द्धउत्पन्न' का अर्थ देता है)। -चाप-पु. शिवका धनुषु । सरकारी या व्यापारिक संस्था आदिमें काम करनेवाले -भय-पु० बार-बार जन्म लेने और मरनेका भय, कष्ट। कर्मचारीको कार्यसे अवसर ग्रहण कर लेनेपर भरण-पोषण-भामिनी,-वामा-स्त्री० पार्वती । -भीति-स्त्री. में सहायक होनेकी दृष्टिसे दी जानेवाली वह सहायता जन्म-मरणका भय, संसृतिका भय । -भूष-वि० दे० | जो उसके वेतनमें से कटनेवाले उसके अपने अंशके साथ
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