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जिसमें मनुष्य मरनेके उपरांत सपिंड होनेतक रहता है; इस योनि में पड़ी हुई मृतककी आत्मा; एक प्रकारकी देवयोनिः भयंकर आकारवाला आदमी; नरक में रहनेवाला प्राणी; अथक परिश्रम करनेवाला आदमी । - कर्म (न्), - कार्य, - कृत्य - पु० मृतकके निमित्त किया जानेवाला दाद आदि से लेकर सपिंडीकरणतकका कृत्य । -गृह, - गेह - पु० श्मशान । तर्पण -पु० प्रेतके निमित्त किया जानेवाला तर्पण । - दाह-पु० शवको जलानेकी क्रिया । - देह - स्त्री०, - शरीर - पु० वह शरीर जो मृतककी आत्माको मरनेके बादसे लेकर सपिंडीकरणतक प्राप्त रहता है । - नदी - स्त्री० वैतरणी नदी । -नाथ- पु० यमराज । -नाह - पु० [हिं०] दे० 'प्रेतनाथ' । -पक्ष-स्त्री० पितृपक्ष । - पटह - पु० प्राचीन कालका एक प्रकारका बाजा जो शवदाह के समय बजाया जाता था। पति-पु० यमराज | - पावक - पु० रातके समय श्मशान, कत्रि - स्तान, जंगल आदि सूनी जगहों में दिखाई देनेवाला चलता हुआ प्रकाश जिसे लोग प्रेतलीला समझते हैं। -पिंडपु० वह पिंडा जो दाहसे लेकर सपिंडीकरणके दिनतक प्रेतके निमित्त पारा जाता है। -पुर- पु०, पुरी - स्त्री० यमपुरी । - बाधा - स्त्री० प्रेत द्वारा पहुँचायी गयो बाधा या पीड़ा । - भाव - पु० मृत्यु । - भूमि- स्त्री० श्मशान। - मेघ - पु० मृतकके निमित्त किया जानेवाला श्राद्ध - राज - पु० यमराज । - लोक-पु० यमलोक । -वाहित वि० जिसपर भूत सवार हो, भूताविष्ट । - शिलास्त्री० गयातीर्थ स्थित वह शिला जिसपर श्राद्ध करनेसे मृतक प्रेतयोनि से छुटकारा पाता है ( गरुडपुराण ) | -शुद्धि - स्त्री० मरणाशौचके दोषसे रहित होना । -शौचपु० दे० 'प्रेतशुद्धि'; मृतकका एक प्रकारका संस्कार | -श्राद्ध-पु० दाइकी तिथिसे लेकर एक बरसतक मृतकके | निमित्त किये जानेवाले श्राद्धों में से कोई एक । प्रेतता - स्त्री०, प्रेतत्व-पु० [सं०] मरण; प्रेतकी अवस्था या धर्म ।
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प्रेतावास - पु० [सं०] श्मशान |
प्रेताशीच पु० [सं०] मृत्युके कारण होनेवाला अशौच । प्रेतेश, प्रेतेश्वर - पु० [सं०] यमराज |
'प्रेतोन्माद - पु० [सं०] प्रेतबाधा के कारण होनेवाला उन्माद | प्रेप्सा - स्त्री० [सं०] प्राप्त करनेकी इच्छा, पानेकी इच्छा । प्रेम (न्) - पु० [सं०] प्यार, मुहब्बत, अनुराग; कृपा; क्रीड़ा, केलि । - कलह - पु० प्रेमवश या प्रेममें किया जानेवाला कलह । - गर्विता - स्त्री० वह नायिका जिसे अपने पति प्रेमका गर्व हो । -जल-नीर- पु० प्रेमके कारण आँखोंसे निकलनेवाले आँसू, प्रेमाश्रु । - पात्र - पु० वह जिसके प्रति प्रेम हो । -पाश-पु० प्रेमका फंदा या बंधन । - पुलक - पु० प्रेमके कारण होनेवाला रोमांच । - बंध, - बंधन - पु० प्रेमका बंधन | -भक्ति-स्त्री० प्रेमभावसे की जानेवाली विष्णुभक्ति (वैष्णव ) । - भगति *
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प्रेतता - प्रेषिती
- स्त्री० दे० 'प्रेम-भक्ति' । - भाव-पु० प्रेमका भाव । -वारि- पु० प्रेमके कारण आँखोंसे निकलनेवाले आँसू । प्रेमाक्षेप - पु० [सं०] एक प्रकारका आक्षेप अलंकार जिसमें प्रेमका वर्णन करते समय उसमें व्याघात भी दिखलाया जाता है (केशव) ।
प्रेमालाप - पु० [सं०] प्रेमपूर्वक की जानेवाली बातचीत; एक दूसरे से प्रेम करनेवाले दो या अधिक व्यक्तियों की आपसी बातचीत | प्रेमालिंगन - पु० [सं०] प्रेमके साथ या प्रेमके आवेश में गले लगाना; नायक-नायिकाका परस्पर आलिंगन । प्रेमाश्रु - पु० [सं०] प्रेमके कारण आँखोंसे झड़नेवाले आँसू, प्रेमके आँसू ।
प्रेमी ( मिनू ) - पु० [सं०] प्रेम करनेवाला | वि० प्रेमयुक्त ।
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प्रेय ( स ) - वि० [सं०] अधिकतर प्यारा, प्रियतर । पु० सांसारिक सुख; एक प्रकारका अलंकार * प्रेमी;- 'तइँ प्रतीप उपमा कइत भूषण कविता प्रेय' - भू० । प्रेयसी - स्त्री० [सं०] पत्नी; प्रियतमा । प्रेयान् (यस ) - पु० [सं०] पतिः प्रियतम । प्रेरक-पु० [सं०] प्रेरणा करनेवाला, प्रयोजक; भेजनेवाला । प्रेरण - पु० [सं०] किसीको किसी कार्य में प्रवृत्त करना, प्रेरणा करना; फेंकना; भेजना; आदेश; चेष्टा ।
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प्रेरणा-स्त्री० [सं०] किसीको किसी कार्य में प्रवृत्त करनेकी किया, किसीको किसी काममें लगाना; उसकानेकी क्रिया; फेंकना भेजना |
प्रेरणार्थक क्रिया - स्त्री० [सं०] क्रियाका वह रूप जिससे यह बोध हो कि उसका व्यापार किसी अन्यकी प्रेरणासे कर्ता द्वारा संपन्न हुआ है। प्रेरणीय - वि० [सं०] प्रेरणा करने योग्य, जिसे किसी कार्य में प्रवृत्त किया जाय; फेंकने योग्य; भेजने योग्य । प्रेरना* - सु० क्रि० प्रेरणा करना; फेंकना, चलाना; भेजना । प्रेरित - वि० [सं०] किसी कार्यमें प्रवृत्त किया हुआ; फेंका हुआ, चलाया हुआ; भेजा हुआ; आदिष्ट । प्रेषक- पु० [सं०] भेजनेवाला ।
प्रेतनी - स्त्री० प्रेतकी स्त्री ।
प्रेताधिप - पु० [सं०] यमराज |
प्रेतान्न- पु० [सं०] प्रेतोंके निमित्त पारा जानेवाला पिंडा; प्रेषण- पु० [सं०] प्रेरणा करना, भेजना; वह वस्तु जो कहींघृतहीन भोजन |
से भेजी जाय । - कर्मी (मिन्) - पु० (डिस्पैचर ) चिट्ठी, पैकेट आदि पंजी में चढ़ाकर बाहर भेजनेका काम करनेवाला कर्मचारी, डाक-प्रेषक । - पुस्तक- स्त्री० (डिस्पैचबुक) वह पुस्तक या वही जिसमें भेजी गयी चिट्ठियों, पारसलों आदि का व्योरा लिखा जाता है ।
प्रेषणादेशपत्र - पु० (आर्डर फार्म ) वह पत्र जिसमें कोई वस्तु या माल किसी स्थानसे भेजनेका आदेश लिखा हो । प्रेषणीय- वि० [सं०] भेजने योग्य । प्रेषना* - सु० क्रि० भेजना ।
प्रेषित - वि० [सं० [ प्रेरणा किया हुआ, नियोजित; भेजा हुआ; निर्वासित | पु० स्वर साधनेकी एक रीति । प्रेषितव्य - वि० [सं०] प्रेरणा करने योग्य, नियोज्य; भेजने योग्य, जिसे भेजा जाय ।
प्रेषिती पु० वह जिसके नाम कोई वस्तु प्रेषित की जाय, पानेवाला (ऐड्रेसी) ।
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