________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
५४१
फू-फेण
फू-स्त्री० फूकनेकी आवाज ।
लोढ़ना-फूल चुनना। -चुनना-फूल तोड़कर एकत्र फूई-स्त्री० फुहार, फफूदी।
करना । -झड़ना-मुँहसे मीठे शब्द निकलना । फूट-स्त्री० फूटनेकी क्रिया; एकाका उलटा, बिगाड़, विरोध -पड़ना-बत्तीके मुँहपर गुल बनना । -सूंघकर जीना एक तरहकी ककड़ी जो पकनेपर फट जाती है।
या रहना-बहुत थोड़ा खाना, अल्पाहारी होना। फूटन-स्त्री० फूटकर अलग हुआ टुकड़ा; शरीरकी संधियों में (फूलौं)की सेजपर सोना-सुखचैनकी जिंदगी बसर होनेवाली पीड़ा।
करना। -के काँटेमें तुलना-बहुत सुकुमार होना; फूटना-अ० कि० चोट या धक्का खाकर टूटना, भग्न होना; राजसिक सुख भोगना। फटना, त्वचा या सतहको भेदकर बाहर आना, तोड़ या फलना-अ० क्रि० (पेड़-पौधेमें) फूल आना, कुसुमित फोड़कर निकलना; (शब्दका मुंहसे ) निकलना; खराब, होना; कलीका खिलना; गर्वसे इतराना अति प्रसन्न होना; निकम्मा हो जाना ( आँख, तकदीर); उगना, अंकुरित हवा भरनेसे तन जाना, फैलना; मोटा होना, सूजन। होना; शाखारूपमें निकलना; खिलना; अलग, वियुक्त ढीला, शिथिल होना (हाथ-पाँव फूलना); रूठना, नाराज होना; बिखरना; विपक्षसे जा मिलना; फुसियों, दानों होना; सुनहले प्रकाशसे युक्त होना । मु० फूलकर आदिके रूपमें होनेवाले रोगका प्रकट होना (गरमी, कोढ़); कुप्पा हो जाना-अत्यधिक हर्ष या गर्व होना; बहुत स्याहीका रसकर कागजकी दूसरी ओर निकलना; जोड़ोंमें ! मोटा होना जाना। फूलना-फलना-धन-धान्य और दर्द होना; फोड़ा जाना ( उँगलियाँ) । मु० फूट-फूटकर वाल-बच्चोंसे सुखी होना। -फालना*-प्रसन्न होना। रोना-बिलख-बिलखकर रोना।
फूला-फूला फिरना-आनंदमें मग्न होकर या गवसे फूटा-वि० फूटा हुआ; खराब, बिगड़ा हुआ। पु० खेतमें इतराते हुए विचरना । फूले न समाना-खुशीमें आपेसे टूटकर गिरी हुई बाले संधियों में होनेवाली पीड़ा ।(फूटी)- बाहर हो जाना। कौड़ी-स्त्री० निकम्मी कौड़ी। मु० (फूटी) आँखका फूला-पु० खील; आँखकी फूली। तारा-कई बेटों में से बचा हुआ अकेला बेटा, बहुत प्यारा फूली-स्त्री० आँखकी पुतलीपर पड़ा हुआ सफेद दाग जिससे बेटा। -आँखाँ न देख सकना-देखकर जलना, देखना दृष्टि मंद हो जाती और मारी भी जाती है। भी सद्य न होना ।-आँखों न भाना-अति अप्रिय होना, फस-प० सूखी घास जो छप्पर बाँधने, इंधन आदिके काम तनिक भी अच्छा न लगना। -कौड़ी (पासमें)न| आये; जीर्ण-शीर्ण वस्तु । होना-कुछ न होना, बिलकुल नादार होना। (फूटे) फूहड़-वि० भद्दे ढंगसे काम करनेवाला, बेशऊर, भद्दा, मुंहसे न बोलना, बात न करना-बिलकुल ही उपेक्षा गंदा (-गाली) । स्त्री० बेशऊर स्त्री। -पन-पु० बेढंगाकरना, एक बात भी न करना।
पन, भद्दापन । फूत्कार--पु० [सं०] १ क, फुफकार; साँपकी फुफकार; फहर-स्त्री० दे० 'फूहड़' । सिसकना चीत्कार ।
फूही-स्त्री० फुहार, झीसी। फूत्कृति-स्त्री० [सं०] दे० 'फुत्कार'।
फैकना-स० क्रि० किसी चीजको हाथसे ऐसी हरकत देना फूफा-पु० फूफी या बुआका पति ।
कि कुछ दूर जा गिरे, जमीनपर गिराना पटकना; उछाफूफी-स्त्री. बापकी बहिन ।
लना; ले जाकर दूसरी जगह डालना (कूड़ा); डालना फूफू-स्त्री० दे० 'फूफी'।
(कौड़ी, पासा); इधर-उधर बखेर देना; चलाना (तीर); फूर-पु० फूल ।
सरपट दौड़ाना (घोडा); छोड़ना, गँवाना परित्याग करना फूरना-अ0 क्रि० पुष्पित होना।
अपव्यय करना; घुमाना, भाँजना (पटा) । फूल-पु० पौधोंका जननेंद्रिय रूप या फलोत्पादक अंग जो फैकरना*-अ० क्रि० दे० 'फेकरना' । सुंदरता और सुकुमारताका प्रतीक बन गया है, खिली हुई फकाना-स० क्रि० फेंकनेका काम दूसरेसे कराना। कली, पुष्प, फूलकी शकलका बेल-बूटा, आभूषण इत्यादि; फैट-स्त्री० दे० 'फेटा'; लपेट फेंटनेकी क्रिया। मु०बत्तीका जला हुआ अंश; श्वेत कुष्ठका दाग; सत्त; स्त्रियोंका कसना,-बाँधना-कटिबद्ध होना । -धरना-पकमासिक स्राव, रज; गर्भाशय; शवदाहके बाद रहनेवाला इना-जानेसे रोकना। अस्थि-अवशेष; मुसलमानों में तीसरे या पाँचवें दिनका फेटना-स० क्रि० हाथ या उँगलियोंकी हरकतसे मिलाना फातिहा; सार; पहली बार खींची हुई शराब; ताँबे और (पीठी, इ०); अच्छी तरह मिलाना, गड्डमड करना (ताश)। राँगेके मेलसे प्रस्तुत एक मिश्र धातु; घुटनेकी गोल हड्डी। फेटा-पु. कमरका घेरा; कमरपर लपेटा हुआ कपड़ा, * स्त्री० फूलनेका भाव, उमंग, आनंद । -कारी-स्त्री० कमरबंद धोतीका वह भाग जो कमर पर लपेटा गया हो; बेल-बूटे बनाना, गुलकारी। -गोभी-स्त्री० गोभीका सिरपर लपेटा हुआ कपड़ा, छोटी पगड़ी; सूतकी बड़ी अंटी। एक भेद जिसका फूल तरकारीके रूपमें खाया जाता है। फेकरना*-अ० क्रि० (सिरका) अनावृत होना; गीदड़ या -झरी*-स्त्री० दे० 'फुलझड़ी'। -दान-पु० गुलदस्ता स्यारका चिलाना; फूट-फूटकर रोना, फेंकरना। रखनेका पात्र । -दार-वि० फूलोंवाला; जिसपर फूल- फेकारना*-स० क्रि० (सिरको) खोलना, अनावृत करना। पत्ते या बेल-बूटे बने हों। -सा-वि० बहुत सुकुमार । फेकैत-पु० फेंकनेवाला पहलवान । (फूलौं)की सेज-पुष्पशय्या, सुख और चैनभरी फेज-पु० ऊँची दीवारकी तुकी टोपी। स्थिति । मु०-आना-फूल लगना। -उतारना,- फेण, फेन-पुं० [सं०] झाग, बुलबुलोंका समूह ।
For Private and Personal Use Only