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बहिर्लापिका-बहुत विदेश-यात्रा।
वि० जिसमें बहुतसी प्रतिज्ञाएँ या दावे हों; (मुकदमा) बहिर्लापिका-स्त्री० [सं०] एक तरहकी पहेली जिसमें जिसमें अनेक अभियोग या दावे हों। -प्रद-वि० बहुत उसका उत्तर पहेलीके शब्दोंके बाहर रहता है, भीतर देनेवाला, महादानी। -प्रसू-स्त्री० बहुतसे बच्चों की मा।
-बाहु-पु० रावण । -भक्ष-वि० बहुत खानेवाला । बहिर्लोम, बहिर्लोमा(मन)-वि० [सं०] जिसके बाल -भाग्य-बि० बड़े भाग्यवाला, बड़भागी ।-बहुभाषाज्ञ बाहरकी ओर निकले हों।
-पु० (पालीग्लॉट) बहुत-सी भाषाएँ, जानने या बोलनेबहिर्वास(स)-पु० [सं०] कौपीनके ऊपर पहननेका वाला । -भाषी(पिन)-वि० बहुत बोलनेवाला ।-भुज कपड़ा।
-वि० अनेक भुजाओंवाला। पु० (पॉलीगॉन) वह समक्षेत्र बहिर्वासी रोगी-पु० [स०] (आउटडोर पेशेंट) वह रोगी | जो चारसे अधिक रेखाओंसे घिरा हो। -भुज-क्षेत्र-पु०
जो चिकित्सागृहके बाहर रहते हुए इलाज कराता हो चारसे अधिक रेखाओंसे घिरा हुआ क्षेत्र (ज्यामिति)। (अंतर्वासी या प्रविष्ट रोगीका उलटा), बाह्य रोगी। -भुजा-स्त्री० दुर्गा।-भोक्ता(क्त.)-वि० बहुत खानेबहिर्विकार-पु० [सं०] गरमीकी बीमारी, आतशक । । वाला ।-भोग्या-स्त्री० वेश्या । -भोजी(जिन)-वि० बहिर्व्यसनी (निन्)-वि० [सं०] लंपट, व्यभिचारी। पेट्र। -मत-वि० अति सम्मानित, बहुमानयुक्त; कई बहिष्करण-पु० [सं०] बाहर करना, अलग करना; बहि- रायें रखनेवाला । पु० अधिकतर, बहुसंख्यक लोगोंका मत, ष्कार, प्रयोग करना; बहिरिंद्रिय, अंतःकरणका उलटा। कसरतराय (हिं०); अनेक मत, कई तरहकी रायें । बहिष्कार-पु० [सं०] बाहर करने, अलग करनेका भाव; -मानी(निन्)-वि० बहुत आदरणीय । -मान्यसंबंध-त्याग, विरादरीसे बाहर करना; वरतु विशेष(वर्ग | वि० आदरणीय, सम्मानित । -मार्गी-स्त्री० वह स्थान या देश-विशेषके माल, संस्था आदि)का सामूहिक व्यव- जहाँ कई रास्ते मिलें । -मुख-वि० कई तरहकी बातें हार-त्याग (बायकाट)।
कहनेवाला; 'वसेंटाइल) जो अनेक विषयोंका जानकार बहिष्कृत-वि० [सं०] जिसका बहिष्कार किया गया हो, हो; अनेक दिशाओं में जानेवाला । (बहुमुखी प्रतिभा निकाला हुआ; परित्यक्त ।
वसेंटाइल जीनियस ।) -मूत्र-वि० मधुमेह रोगसे बहिष्क्रिया-स्त्री० [सं०] बाहरी क्रिया; बाह्य संस्कार । पीड़ित । पु० मधुमेह । -मूल्य-वि० अधिक मूल्यका, बही-स्त्री० हिसाब-किताब लिखनेकी पुस्तक, महाजनों, बेशकीमत । -याजी(जिन)-वि० जिसने बहुत यश व्यापारियों आदिके हिसाबका रजिस्टर; सिली हुई मोटी किये हों। -रंग-वि. अनेक रंगोंवाला, रंग-बिरंगा । कापी जो हिंदुस्तानी ढंगसे हिसाब लिखनेके काम आती -रंगी-वि० [हिं०] जो बहुतसे रंग बदले; बहुरुपिया। है। -खाता-पु० किसी महाजन, व्यापारी आदिकी -रस-वि० जिसमें बहुत रस हो; तरह-तरह के स्वादबहियाँ, हिसाबकी किताबें । मु०-पर चढ़ना या टॅकना वाला। -रिपु-वि० जिसके बहुतसे शत्रु हों ।-रुपिया-बहीपर लिख लिया जाना।
वि०, पु० [हिं०] अनेक रूप धरनेवाला। -रूप-वि० बहीर*-स्त्री. भीड़-'जेहि मारग गये पंडिता तेई गई अनेक रूपोंवाला, बहुरुपिया। पु० शिव; विष्णु, ब्रह्मा बहीर'-बीजक; सेनाके साथ चलनेवाला सेवक समुदाय सूर्य; कामदेव गिरगिट; केश; तांडव नृत्यका एक भेद । फौजी सामान-'अब बहीर चलती करी काल्हि पहुँचनो -रूपक-वि० अनेक रूपोंवाला। पु० एक जीव । कोल'-सुजान । * अ० बाहर ।
-रूपदर्शक-पु० (कैलीडोस्कोप) एक लंबी नली जिसमें बहटा-पु० बाँहका एक गहना।
रंगीन काँचके टुकड़े इस तरह डाल दिये जाते हैं कि बह-वि० [सं०] दोसे अधिक, अनेक, बहुत, ज्यादा। उसे इधर-उधर हिलानेसे कई तरहकी सुंदर और कलापूर्ण -कंटक-वि. बहुत काँटोंवाला । पु० क्षुद्र गोक्षुर; जवासा शकलें दिखाई देती है। -वचन-पु० संशा, क्रिया हिंताल । -कालीन-वि० बहुत दिनका, पुराना ।-गंध आदिका वह विकार जिससे बहुत या एकसे अधिकका -वि० तीव्र गंधवाला।-गंध-दा-स्त्री० कस्तूरी ।-गुण- वोध हो। -विद्-वि० बहुत बड़ा विद्वान् । -विद्यवि० कई तारों या मूतोवाला; जिसमें बहुतसे गुण हों। वि० (क्सेंटाइल) जो अनेक विद्याएँ जानता हो, जो -गुना-[हिं०] पु० खुले मुँह के डब्बेके आकारका पीतल- विभिन्न विषयोंपर लेखादि लिख सकता हो या भाषण का बरतन जो बटलोई, कड़ाही आदिका काम देता है। कर सकता हो, बहुमुख ।-विध-वि० अनेक प्रकारका । -जल्प-वि० बहुत बोलनेवाला, वाचाल । -ज्ञ-वि० अ० अनेक प्रकारसे, बहुत तरहसे । -विवाह-पु. एक बहुत जाननेवाला, बहुत विपयोंका जानकार ।-तंत्रीक- पलीके रहते अनेक स्त्रियोंसे विवाह करना (पॉलिगैमी)। वि० जिसमें बहुतसे तार हो (वाद्य)। -दर्शी(शिन्)- -विस्तार-पु० बहुत अधिक फैलाव । वि० विस्तृत । वि० जिसने बहुत देखा-सुना हो, बहुश; दूरदशी ।-धंधी -व्ययी(यिन् )-वि० फुजूलखर्च, उड़ाऊ । -व्रीहि-वि० [हिं०] जो एक साथ बहुतसे कामों में अपनेको वि० जिसके पास बहुत धान हो । पु० व्याकरणके चार फंसाये रखता हो।-धन-वि०जिसके पास बहुत धन हो । मुख्य समासोंमेंसे एक । -श्रुत-वि० जिसने बहुतसे -नामा(मन्)-वि० जिसके बहुतसे नाम हों। -पद, शास्त्र गुरुसे पढ़े हों; विद्वान् ; जिसने अनेक शास्त्रोंकी -पाद-वि० बहुतसे पैरोंवाला । पु० बरगद ।-प्रकार- बातें सुनी हों, बहुज्ञ। -संख्य,-संख्यक-वि० बड़ी अ० अनेक प्रकारसे । वि० बहुविध । -प्रज-वि० जिसके संख्यावाला, जो गिनती में बहुत हो। अधिक बाल-बच्चे हों। पु० सूअर चूहा; मूंज ।-प्रतिज्ञ- बहुत-वि० अधिक, ज्यादा (मात्रा या संख्यामें); काफी,
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