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प्राभियोजन - प्रावृषेय
जो सार्वजनिक हितकी दृष्टिसे किसीपर कोई अभियोग | प्रारूप-५० [सं०] (ड्रॉफ्ट) किसी प्रस्ताव, योजना, विधेयक चलाये ।)
प्राभियोजन - पु० ( प्रॉसीक्यूशन) किसीके विरुद्ध कोई अभियोग या मामला चलाना ।
प्रामंडलिक- वि० [सं०] ( डिवीजनल ) प्रमंडलका या प्रमंडल-संबंधी |
प्रामाणिक - वि० [सं०] जो प्रत्यक्ष आदि प्रमाणोंसे सिद्ध हो, शास्त्र- सिद्ध; मानने योग्य; प्रमाण-संबंधी; जो मान, परिमाणका काम दे; जो किसी बातका प्रमाण हो, प्रमाणरूप; शास्त्रश । पु० प्रमाणोंको माननेवाला; वह जो प्रमाणोंको जानता हो, प्रमाणवेत्ता, न्यायशास्त्री । प्रामाण्य - पु० [सं०] प्रमाणत्व, शास्त्रसिद्ध होना; विश्वसनीयता; प्रमाण ।
आदिका वह प्राथमिक रूप जो शीघ्रतामें तैयार कर लिया जाता है, किंतु जिसमें बाद में कुछ काटछाँट या संशोधनकी आवश्यकता पड़ती है, मसौदा, खर्रा, प्रालेख । -कारपु० ( ड्राफ्ट्समैन) प्रारूप या मसौदा तैयार करनेवाला । प्रार्थन - पु० [सं०] माँगना, याचना करना, याचन । प्रार्थना-स० क्रि० प्रार्थना करना । स्त्री० [सं०] किसी से कुछ माँगना; किसी बात के लिए किसीसे विनयपूर्वक कहना, नम्र निवेदन, यांचा इच्छा, चाह । - पत्र - पु० वह पत्र या लेख जिसमें किसीसे किसी बात के लिए प्रार्थना की गयी हो, अरजी । -भंग-पु० प्रार्थनाकी अस्वीकृति । - समाज - पु० ब्रह्मसमाज जैसा एक नवीन संप्रदाय | - सिद्धि - पु० इच्छाकी पूर्ति । प्रार्थनीय - वि० [सं०] जिसके लिए प्रार्थना की जाय, प्रार्थना करने योग्य । प्रार्थयिता(तृ) - पु० [सं०] प्रार्थना करनेवाला, याचक; प्रणयाकांक्षी ।
प्रामिसरी - वि० [अ०] जिसमें किसी बातकी प्रतिज्ञा की गयी हो। - नोट-५० वह लेख या पत्र जिसमें कोई व्यक्ति यह प्रतिज्ञा करता है कि मैं अमुक मितिको या जब कभी भी माँगनेपर अमुक व्यक्तिको या इस पत्रके वाहकको इतना रुपया दूंगा; वह कागज या ऋणपत्र जिसमें सरकार प्रजासे कुछ ऋण लेकर यह प्रतिज्ञा करती है कि अमुक व्यक्ति इतना ऋण लिया गया और इसका सूद इस हिसाब से ऋणदाताको दिया जायगा । प्रायः (स्) - वि० [सं०] लगभग, करीब-करीब । अ० अधिकतर, अकसर ।
प्रार्थित - वि० [सं०] जिसकी या जिसके लिए प्रार्थना की गयी हो, याचित; आक्रांत; अवरुद्ध; आहत; हत; जिसकी चाह, तलाश हो । ५० इच्छा । - पूँजी - स्त्री० [हिं०] ( सब्स्क्राइब्ड कैपिटल ) किसी कारखाने आदिके लिए प्राधिकृत पूँजीका वह अंश जिसके लिए संभाव्य हिस्सेदारों के प्रार्थनापत्र प्राप्त और स्वीकृत हो चुके हों । प्रार्थी ( र्थिन् ) - वि० [सं०] प्रार्थना करनेवाला; चाहनेवाला, इच्छुक; आक्रमण करनेवाला ।
प्रार्थ्य - वि० [सं०] प्रार्थना करने योग्य, जिसके लिए प्रार्थना की जाय ।
प्रालंब - वि० [सं०] विशेष रूपसे लटकनेवाला | पु० सीनेतक लटकनेवाली माला; एक तरहकी मोतियोंकी माला । प्रालंबक - पु० [सं०] सीनेतक लटकनेवाली माला । प्रालंबिका - स्त्री० [सं०] एक तरहका सोनेका हार । प्रालेख - पु० [सं०] (ड्राफ्ट) दे० 'प्रारूप' |
वाला, सामान्य ।
प्रायोगिक - वि० [सं०] जिसका नित्य प्रयोग होता हो, प्रालेय- पु० [सं०] हिम, बर्फ । वि० प्रलय संबंधी । - भूधर, जिसका नित्य प्रयोग किया जाय । -शैल-पु० हिमालय । -रश्मि-पु० चंद्रमा; कपूर । प्रालेयांशु - पु० [सं०] चंद्रमा कपूर । प्रालेयाद्वि-पु० [सं०] हिमालय ।
प्रावरण-पु० [सं०] ओढ़नेका वस्त्र, उत्तरीय, चादर । प्राविधिक - वि० [सं०] (टेकनिकल) किसी कला, शिल्प आदिकी विशेष कार्यविधि, प्रक्रिया आदि-संबंधी । -आपत्ति - स्त्री० (टेकनिकल आब्जेक्शन) नियम, प्रविधि आदिके अनुपालन के आधारपर की गयी आपत्ति । प्राविधिज्ञ-पु० ( टेकनीशियन) किसी कला, शिल्प आदिकी विशेष कार्यविधि, प्रक्रियाओं आदिका जानकार । प्रावीण्य - पु० [सं०] कुशलता, निपुणता । प्रावृट् (ष) - पु० [सं०] वर्षाऋतु, पावस । - ( द ) काल५० वर्षाका मौसम |
प्रावृत - वि० [सं०] विशेष रूपसे आवृत घिरा हुआ; ढका हुआ। पु० ओदनेका वस्त्र, उत्तरीय ( रैपर ) । प्रावृप पु०, प्रावृषः - स्त्री० [सं०] वर्षाकाल, पावस | प्रावृषेय - वि० [सं०] वर्षाऋतु में होनेवाला ।
प्राय-पु० [सं०] मृत्यु; अनशन द्वारा होनेवाली मृत्यु, अनशन मृत्यु; बाहुल्य, आधिक्य । वि० तुल्य, समान; पूर्ण (जैसे- ' कष्टप्राय') ।
प्रायद्वीप - पु० दे० 'प्रायोद्वीप' |
प्रायश: ( स ) - अ० [सं०] अधिकतर, बहुधा, अकसर । प्रायश्चित्त- पु० [सं०] वह शास्त्रविहित कर्म जो पापका मार्जन करनेके लिए किया जाय; शोधन | प्रायिक - वि० [सं०] जो अधिकतर होता हो, प्रायः होने
प्रायोज्य - वि० [सं०] प्रयोजनके योग्य, ( वह वस्तु) जो किसी के विशेष प्रयोजनकी हो (जैसे- पंडित के लिए पुस्तक आदि । शास्त्र के अनुसार ऐसी वस्तुओंका बँटवारा और वस्तुओंकी भाँति नहीं हो सकता) । प्रायोद्वीप - पु० [सं०] स्थलका वह भाग जो तीन ओर से
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पानीसे घिरा हो और एक ओर स्थलसे लगा हो । प्रायोपवेश, प्रायोपवेशन- पु० [सं०] जान देने के लिए दाना-पानी छोड़कर पड़ रहना, मृत्युके लिए किया जाने
वाला अनशनव्रत ।
प्रायोवाद - पु० [सं०] लोकोक्ति, कहावत । प्रारंभ - पु० [सं०] आरंभ; कार्य, प्रयत्न ।
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प्रारंभण- पु० [सं०] आरंभ करना, शुरू करना । प्रारंभिक - वि० [सं०] आरंभका, आरंभ में होनेवाला । प्रारब्ध - वि० [सं०] आरंभ किया हुआ । पु० तीन प्रकारके कर्मों में से वह कर्म जिसका फल भोगा जा रहा हो; भाग्य, | किस्मत; वह जो शुरू किया गया हो ।
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