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प्राणमय-प्रायमिकता वि० प्राणाप्रेय ।-समा-स्त्री०पत्नी।-हर,-हारी(रिन्) और सूर्योदयके पहलेका तीन मुहूर्तका समय । अ० सवेरे, -वि० प्राण हरनेवाला, जान लेनेवाला; बलनाशक । तड़के। -कालिक,-कालीन-वि० प्रातःकालका, प्रात:-हारक-वि० जान लेनेवाला, घातक । पु० वत्सनाभ काल-संबंधी । -संध्या-स्त्री० प्रातःकालकी संध्या, नामक विप। -हानि-सी० प्राणनाश । -हीन-वि० रातका अंतिम एक दंड और दिनका पहला एक दंड; निजीव । मु०-आना-भय कम होना। -उड़ जाना प्रातःकाल किया जानेवाला संध्याकर्म । -स्नान-पु० या सूख जाना-बदहवास हो जाना बहुत अधिक घबरा सबेरेका स्नान । -स्नायी(यिन् )-वि० सवेरे स्नान जाना; बहुत डर जाना। -गलेतक आना-मरणासन्न करनेवाला।स्मरण-पु० प्रातःकाल देवताका स्मरण । होना ।-छोड़ना,-त्यागना-मरना।-जाना,-छूटना -स्मरणीय-वि. जो प्रातःकाल स्मरण करने योग्य या निकलना-मरना, देहावसान होना। -डालना- हो, पुण्यचरित । जीवनका संचार करना, सजीव बनाना ।-देना-मरना; प्रात*-पु० सबेरा, प्रातःकाल । * अ० सबेरे, तड़के । अधिक कष्ट पानाकिसीको बहुत चाहना ।-पयान होना* -नाथ*-पु० सूर्य । -मरना। -बचाना-जान बचाना, पिंड छुड़ाना। प्रातर-अ० [सं० सवेरे, तड़के। -अशन-पु० कलेवा। -मुँहको आना-बहुत अधिक दुःख होना, दुःखसे -अह्न-पु० सबेरेसे दोपहरतकका समय, पूर्वाह्न । व्याकुल होना। -मुहीमें या हथेलीपर लिये रहना- -आशी(शिन)-वि० सुबह कलेवा करनेवाला। मरनेको तैयार रहना । -रखना-जिलाना। -लेना- -आहति-स्त्री० प्रात:काल दी जानेवाली आहुति मार डालना ।-से हाथ धोना-मर जाना । -हरना- अग्निहोत्रका द्वितीयांश । -गेय-पु० स्तुतिपाठक, बंदी। मार डालना बहुत अधिक कष्ट पहुँचाना। -हारना*- वि० जो सबेरे गाया जाय। -भोजन-पु. सबेरेका मर जाना; हतोत्साह होना । (प्राणों)पर आ पड़ना- हलका भोजन, कलेवा । प्राण संकट में पड़ना, जानजोखों होना। -पर खेलना- प्रातिकूल्य-पु० [सं०] प्रतिकूल होनेका भाव, प्रतिकूलता। जानकी बाजी लगा देना, जान जोखों में डालना। -पर प्रातिनिधिक-पु० [सं०] प्रतिनिधि । वि० प्रतिनिधिमूलक । बीतना-प्राण संकट में पड़ना।
प्रातिपक्ष्य-पु० [सं०] विरोध, प्रतिकूलता; शत्रुता । प्राणमय-वि० [सं०] जिसमें प्राण हों, प्राणयुक्त । -कोश प्रातिपथिक-वि० [सं०] यात्रा करनेवाला; रास्तेसे जाने
-पु० वेदांतके अनुसार शरीरके पाँच कोशोमेंसे दूसरा वाला । पु० यात्री। पाँच कर्मेंद्रियोंके सहित प्राण, अपान आदि पाँच प्राण । प्रातिपद-वि० [सं०] जो प्रतिपदाको उत्पन्न हुआ हो; प्राणवत्ता-स्त्री० [सं०] प्राणवान् या जीवित होनेका भाव। प्रतिपदा-संबंधी; प्रतिपदाका; आरंभका। प्राणांत-वि० [सं०] मृत्यु, मौत ।
प्रातिपदिक-पु० [सं०] अग्नि; धातु, प्रत्यय और प्रत्यप्राणांतक -पु० [सं०] प्राण लेनेवाला ।
यांतसे भिन्न अर्थवान् शब्द, वह अर्थवान् शब्द जो धातु प्राणाचार्य-पु० [सं०] राज्य वैद्य ।
और प्रत्ययसे भिन्न हो और जिसमें प्रत्यय न लगा हो, प्राणाधार-पु० [सं०] जीवनका अवलंब या सहारा; पति; जैसे 'राम' (सं० व्या०)। प्रियतम।
प्रातिभ-वि० [सं०] प्रतिभा संबंधी प्रतिभाका प्रतिभायुक्त । प्राणाधिनाथ-पु० [सं०] पति ।
प्रातिभाव्य-पु० [सं०] प्रतिभूका भाव, प्रतिभूत्व, जामिनप्राणायाम-पु० [सं०] श्वास-प्रश्वासको गतिका विच्छेद, दारी; वह धन जो प्रतिभू या जामिनको देना पड़े। श्वास-प्रश्वासकी वायुओंका नियमन ।
-ऋण-पु० किसीकी जमानतपर लिया गया ऋण । प्राणायामी(मिन)-वि० [सं०] प्राणायाम करनेवाला। प्रातिभासिक-वि० [सं०] जो वास्तव न हो, पर भ्रमवश प्राणावरोध-पु० [सं०] श्वासका अवरोध ।
विशेष प्रकारका भासित होता हो, अवास्तव (जैसे-मोतीप्राणाहुति-स्त्री० [सं०] भोजनके आरंभमें पाँच ग्राम में चाँदीका भान)। 'प्राणाय स्वाहा', 'अपानाय स्वाहा' आदि मंत्र पढ़कर प्रातिरूपिक-वि० [सं०] उसी रूपका नकली। पाँचों प्राणोंके निमित्त खाना।
प्रातिलोमिक-वि० [सं०] विरुद्ध, विपरीत, अप्रिय । प्राणित-वि० [सं०] जिसमें जीवनकासंचार किया गया हो। प्रातिलोम्य-पु० [सं०] क्रमविरुद्धताः विरुद्धता वैपरीत्य । प्राणी(णिन)-वि० [सं०] जिसमें प्राण हों, प्राणवान् । प्रातिवेशिक, प्रातिवेश्मक, प्रातिवेश्यक-पु० [सं०] पु० जीव-जंतु, मनुष्य; व्यक्ति (हिं०)।-घाती(तिन)- पड़ोसी। वि० जीवोंकी हत्या करनेवाला ।-वध-पु० जीवहत्या। प्रातिवेश्य-पु० [सं०] पड़ोस पड़ोसी, वह जिसका घर -हिंसा-स्त्री० जीवोंको कष्ट देना या मारना ।
अपने घर के सामने या बाद हो। ' प्राणेश, प्राणेश्वर-पु० [सं०] पति, स्वामी; प्रियतम । प्रातिहारिक-पु० [सं०] बाजीगर द्वारपाल । प्राणेशा, प्राणेश्वरी-स्त्री० [सं०] पत्नी प्रियतमा । प्रात्यहिक-वि० [सं०] प्रति दिनका, दैनिक । प्राणोत्क्रमण, प्राणोत्सर्ग-पु० [सं०] मृत्यु ।
प्राथमिक-वि०[सं०] पहला, आदिम पहलेका प्रारंभिक, प्रातः(तर)-पु० [सं०] सबेरा, तड़का । अ० सबेरे, पहली बार घटित होनेवाला । तड़के। -कर्म(न),-कार्य,-कृत्य-पु० प्रातःकाल | प्राथमिकता-स्त्री० [सं०] (प्रायारिटी) प्राथमिक होनेका किया जानेवाला कर्म (ईशप्रार्थना आदि)। -काल,- भाव; किमीको औरोंसे पहले स्थान या अवसर मिलना। क्षण,-समय-पु० सबेरेका समय, प्रभात रातो अंत -सूची-स्त्री० (प्रायॉरिटी लिस) विषयों आदिको सूची
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