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प्रस्वेद-प्राक् प्रामाणिकता आदि मान लिया जाना, मान्यता; किसी प्रांजलि-वि० [सं०] जो हाथ जोड़े हो, बद्धांजलि । वस्तुकी यथार्थता, विशेषता, दावे आदि मान लेना। प्रांत-पु० [सं०] अंत, शेष भाग; सिरा, छोर; किनारा; प्रस्वेद-पु० [सं०] पसीना ।
कोण; सीमा, हद; पृष्ठ-भाग; किसी देशका कोई बड़ा प्रस्वेदन-पु०[सं०] (फोमेंटेशन) पसीना लाने, गरम जलसे भाग, प्रदेश (जैसे-उत्तरप्रदेश, आधु०)। -पति-पु० सेंकने आदिकी क्रिया, सेंक, वाष्प-तापन ।
प्रांतका सर्वोच्च अधिकारी, गवर्नर (राज्यपाल)। प्रस्वेदित-वि० [सं०] जिसे पसीना आ गया हो। प्रांतर-पु० [सं०] लंबा रास्ता; छाया आदिसे रहित मार्ग प्रहर-पु० [सं०] एक दिनका आठवाँ भाग, याम, पहर । । वन पेड़का खोखला भाग, कोटर । प्रहरखना*-अ० कि० प्रसन्न होना ।
प्रांतिक-वि० [सं०] दे० 'प्रांतीय' । प्रहरण-पु० [सं०] छीनना; हटाना; आघात; आक्रमण; प्रांतीय-वि० [सं०] प्रांत-संबंधी; प्रांतका। -सरकार
युद्ध, दम, दमन, अस्त्र; (अग्निमें तृणादि) फेंकना । स्त्री० [हिं०] प्रांतका शासन चलानेवाली सरकार । प्रहरी(रिन)-पु० [सं०] पहरेदार, घड़ियाली।
-स्वराज्य-पु० (प्राविंशल ऑटोनॉमी) प्रांतों या किसी प्रहर्ष-पु० [सं०] अत्यधिक प्रसन्नता ।
संघराज्यमें सम्मिलित राज्योंको प्राप्त स्वराज्य जिसके प्रहर्पण-पु० [सं०] हर्ष, प्रसन्नता हर्षजन्य रोमांच अभीष्ट- अनुसार उन्हें आंतरिक विषयों-संबंधी निर्णय करने या
की प्राप्ति; बुध ग्रह; एक काव्यालंकार जहाँ बिना परिश्रम- नीति निर्धारित करनेकी स्वतंत्रता होती है । के ही कार्य सिद्ध होने या अभीष्टसे भी अधिक सफलता प्रांतीयता-स्त्री० [सं०]अपने प्रांतके प्रति मोह या पक्षपात । मिलनेका वर्णन किया जाय अथवा जहाँ यह दिखलाया प्रांश-वि० [सं०] ऊँचा; लंबा । पु. लंबा आदमी । जाय कि जिस बातके लिए यत्न आरंभ किया गया था, | -प्राकार-वि० जिसका परकोटा बहुत ऊँचा हो । वह बीच में ही प्राप्त हो गयी। वि० पुलकित करनेवाला, -लभ्य-वि० लंबे मनुष्यको प्राप्य । प्रसन्न करनेवाला।
प्राइवेट-वि० [अं॰] व्यक्तिविशेषसे संबद्ध व्यक्तिविशेषका प्रहसन-पु० [सं०] जोरकी हँसी; परिहास, दिल्लगी; निजी; जो औरोंसे छिपाया जाय, गुप्त, आपसी; गैरभाणकी तरहका हास्यरस प्रधान रूपक (सा०)।
सरकारी (जैसे-प्राइवेट सर्विस)। -सेक्रेटरी-पु० किसी प्रहसित-पु० [सं०] एक बुद्ध जोरसे हँसना । वि० हँसता बड़े आदमीका वह निजी सहायक जो पत्र-व्यवहार तथा हुआ, प्रसन्न ।
अन्य व्यक्तिगत कार्यों में उसकी सहायता करता है, प्रहाण-पु० [सं०] परित्याग; ध्यान; चेष्टा, उद्योग । खास-नवीस। प्रहाणि-स्त्री० [सं०] परित्याग; कमी, अभाव; हानि । प्राकट्य-पु० [सं०] प्रकट होनेका भाव, प्रकटता । प्रहान*-पु० दे० 'प्रहाण' ।
प्राकाम्य-पु० [सं०] आठ सिद्धियोंमेंसे एक जिसके प्राप्त प्रहानि*-स्त्री० दे० 'प्रहाणि' ।
हो जानेपर मनुष्य जो चाहता है वह हो जाता है। प्रहार-पु० [सं०] आघात, वार; मारण; कंठहार । प्राकार-पु० [सं०] नगर या किलेके चारों ओर रक्षाके प्रहारक-वि० [सं०] प्रहार करनेवाला ।
लिए बनायी जानेवाली दीवार, परकोटा ईट, लकड़ी प्रहारना*-स० क्रि० प्रहार करना, वार करना, मारना; आदिका बनाया हुआ घेरा। (अस्त्र) फेंकना या चलाना ।
प्राकारीय-वि० [सं०] प्राकारके योग्य परकोटेसे घिरा प्रहारित*-वि० जिसपर प्रहार किया गया हो।
हुआ। प्रहारी(रिन्)-वि० [सं०] प्रहार करनेवाला; आक्रमण प्राकाश्य-पु० [सं०] प्रकाशका भाव, प्रकटता प्रसिद्धि । करनेवाला; नष्ट करनेवाला ।
प्राकृत-वि० [सं०] प्रकृति-संबंधी; प्रकृतिका; असंस्कृत, प्रहास-पु० [सं०] अट्टहास, ठहाका; तिरस्कार; व्यंग्योक्ति । उज; नीचा स्वभाव-सिद्ध, स्वाभाविक; साधारण, प्रहासक-पु० [सं०] हंसानेवाला, मसखरा ।
सामान्य । स्त्री० प्रांतकी बोली; एक प्राचीन भाषा जिसका प्रहासी(सिन)-पु० [सं०] ठहाका लगानेवाला, जोरसे प्रयोग संस्कृतके नाटकों आदिमें तथा अन्य ग्रंथाभ मिलता हँसनेवाला; भाँड़ विदूपक; चमकनेवाला ।
है। -मित्र-पु. प्राकृत शत्रुके देशके ठीक बादवाले प्रहृष्ट-वि० [सं०] अति प्रसन्न, प्रमुदित खड़ा (रोम)।। देशका राजा । -शत्रु-पु. वह राजा जिसका देश -चित्त,-मना(नस)-वि० बहुत प्रसन्न । -मुख- किसी अन्य राजाके देशसे लगा हुआ हो। . वदन-वि० जिसका चेहरा प्रसन्न हो।-रोमा(मन)- प्राकृतिक-वि० [सं०] प्रकृतिसे उत्पन्न; प्रकृति-संबंधी; वि० जिसके बाल खड़े हों।
प्रकृतिका, कुदरती; लौकिक असार । -चिकित्सा-स्त्री० प्रहेलि, ग्रहोलिका-स्त्री० [सं०] पहेली।
मुख्य रूपसे प्राकृतिक उपायॊपर आधारित चिकित्साप्रहारहा)द, प्रह्लाद-पु० [सं०] अतिशय आनंद, अत्यधिक | पद्धति । -भूगोल-पु० भूगोल-विद्याका वह भाग जिसमें प्रसन्नता विष्णुका एक प्रसिद्ध भक्त जो हिरण्यकशिपुका समुद्र, पर्वत, नदी आदिकी प्राकृतिक विशेषताओंका पुत्र था।
अध्ययन किया जाता है। प्रांगण-पु० [सं०] आंगन; छोटा ढोल, पणव ।
प्राक(च)-वि० [सं०] सामनेका, अगला; पूरबका, प्रांजल-वि० [सं०] सरल, सुबोध; खरा, ईमानदार; स्वच्छ पूरबी; पहलेका । अ० पहले; आगे। -कथन-पु० समतल, बराबर ।
भूमिका, प्रस्तावना। -कलन-पु० (एस्टिमेट) संभावित प्रांजलता-स्त्री० [सं०] अर्थकी सरलता।
व्यय या लागतका पहलेसे अमुमान लगाना या लगाया
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