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प्रसूतिका-प्रस्वीकृति
५२२ सुविधा तथा जच्चा-बच्चाकी भलाई संबंधी कार्य, भातृ- कथन में दूसरे वांछित प्रस्तुतका द्योतन किया जाय । कल्याणकार्य । -गृह,-भवन-पु० बच्चा जननेका घर, प्रस्तुतांगगृह-निर्माणशाला-स्त्री० [सं०] (प्रीफैब्रिकेटेड सौरी । -ज्वर-पु० प्रसवके कुछ काल बाद होनेवाला हाउस फैक्टरी) वह कारखाना जहाँ मकानके अलग-अलग ज्वर ।
हिस्से पहलेसे तैयार किये जायें ताकि बादमें उन्हें किसी प्रसूतिका-स्त्री० [सं०] प्रसूता, जच्चा ।
भी स्थानपर एकत्र कर पूरी इमारत आसानीसे खड़ी की प्रसूत्यवकाश-पु० [सं०] (मैटरनिटी लीव) दे० 'प्रसवा- जा सके। वकाश'।
प्रस्थान-पु० [सं०] गमन, रवानगी; जिगीषुकी युद्धप्रसून-वि० [सं०उत्पन्न, संजात । पु० फूल; फल । यात्रा, कूच, प्रेषण; मार्ग; एक प्रकारका नाटक (सा०); -बाण,-शर-पु० कामदेव ।
विधि, पद्धति; मृत्यु, मरण; उपदेशका साधन (जैसेप्रसृति-स्त्री० [सं०] आगे बढ़ना; फैलाव; अर्धांजलि, उपनिषद , गीता और ब्रह्मसूत्र); वस्त्र आदि जो यात्राके पसर; दो पलका एक मान ।
पहले गंतव्य स्थानकी दिशामें कहीं रख दिया जाता है प्रसृष्ट-वि० [सं०] त्यागा हुआ, परित्यक्त ।
(हिं०)। -त्रयी-स्त्री० उपनिषद्, गीता और ब्रह्मसूत्र । प्रसृष्टा-स्त्री० [सं०] फैलायी हुई उँगली; युद्धका एक दाँव। प्रस्थानी*-वि० जानेवाला, प्रस्थान करनेवाला। प्रसेक-पुं० [सं०] सींचना, आसिंचन, चूना, क्षरण; प्रस्थापक-पु०[सं०] (प्रपोजर) (विधानसभा आदिमें) कोई मुँहसे पानी छूटना या नाकसे पानी गिरना; वमन । प्रस्ताव रखने या सामने लानेवाला । प्रसेद-पु० प्रस्वेद, पसीना।
प्रस्थापन-पु० [सं०] प्रकृष्ट स्थापन; प्रस्थान करना; प्रस्तर-पु० [सं०] पत्थर: पत्तों आदिका बिछावन बिस्तरा, भेजनादौत्यमें लगाना प्रमाणित करना; प्रयोगमै लाना । बिछावन; चौरस मैदान; ग्रंथका अध्याय: अनुच्छेद । प्रस्थापना-स्त्री० [सं० (प्रपोजल) (विधानसभा आदिमें) -भेद-पु० पखानभेद, हड़जोड़ नामक वृक्ष । -मुद्रण- कोई प्रस्ताव लाना; वह प्रस्ताव जो प्रस्थापक द्वारा सभा पु० (लिथोग्राफ) विशेष प्रकारके पत्थरपर लिखकर या आदिमें रखा जाय । खोदकर छापनेका कार्य । -युग-पु० वह ऐतिहासिक प्रस्थापित-वि० [सं०] विशेष रूपसे स्थापित; भेजा हुआ, काल जब लोग पत्थरके हथियारोंसे काम लेते थे, पाषाण- | प्रेषित; आगे बढ़ाया हुआ।-करना-सक्रि० (टु प्रपोज) युग (स्टोन एज)।
| (विधानसभा आदिमें) कोई प्रस्ताव रखना। प्रस्तार-पु० [सं०] फैलाना; ढकना; घासका जंगल; पत्तों | प्रस्थित-वि० [सं०] जिसने प्रस्थान किया हो, विशेष रूपसे
आदिका बिछावन; बिछावन, बिस्तरा; चौरस मैदान; स्थित, दृढ़। (परम्यूटेशन) वस्तुओं, अक्षरों, अंकों आदिको भिन्न-भिन्न प्रस्तुत-वि० [सं०] टपकाने, बहानेवाला ।-स्तनी-स्त्री० प्रकारसे पंक्तियों या कतारों में रखना; छंदोंके भेद जानने- वह स्त्री जिसके स्तनोंसे वात्सल्य प्रेमके कारण दूध टपक की एक विधि।
रहा हो। प्रस्ताव-पु० [सं०] प्रकृष्ट स्तुति; अवसर, मौका; प्रसंग, | प्रस्फुटित-वि० [सं०] फूटा या खिला हुआ, विकसित । प्रकरण; आरंभ; नाटककी प्रस्तावना; सभाके सामने | प्रस्फुरण-पु० [सं०] निकलना; चमकना स्पष्ट होनाकंपन। विचारके लिए रखी हुई बात (आधु०) । -विवाद-नियं- प्रस्फुरित-वि० [सं०] काँपता हुआ, हिलता हुआ। व्रण-पु० (गिलोटिन ए मोशन) किसी विधेयक आदिके प्रस्फोट-पु० [सं०] (बम) विस्फोटक पदार्थोंसे भरा हुआ संबंधमें विरोधियों द्वारा अनावश्यक बाधा डाली जानेपर | लोहेका गोला जो हवाई जहाजसे गिराया जाता और अध्यक्षका समय निर्धारित कर उसे इस प्रकार नियंत्रित हाथसे तथा तोपमें भरकर भी फेंका जाता है। करना जिसमें समय बीतनेके पहले ही उसके स्वीकृत या | प्रस्फोटन-पु०[सं०] विशेष रूपसे फूटना या विदीर्ण होना; अस्वीकृत होनेका निश्चय हो जाय ।
फूट निकलना विकसित होना या करना; ताड़ना सूप; प्रस्तावक-पु० [सं०] प्रस्ताव करनेवाला।
(अन्न आदि) फटकना । प्रस्ताबना-स्त्री० [सं०] आरंभ; (प्रीएंबिल) किसी विधान, प्रस्रवण-पु० [सं०] जल आदिका लगातार चूना था प्रलेख आदिका प्रारंभिक भाग; किसी भाषण, लेख आदि- | बहना; पसीना; स्तनसे निकलता हुआ दूध, पेशाब करना; के आरंभका अंश, प्राकथन; नाटकके आरंभमें सूत्रधारका वह स्थान जहाँसे पानी गिरता या बहता है। शरना । नटी, विदूषक या पारिपाश्चिकके साथ होनेवाला संलाप | प्रस्राव-पु० [सं०] चूनेकी क्रिया, क्षरण, बहाव; मूत्र; जिसमें प्रस्तुतका परिचय आदि रहता है।
उबलते हुए चावलका ऊपरसे बहता हुआ माँड़। प्रस्तावित-वि० [सं०] आरंभ किया हुआ, आरब्धः प्रत्रत-वि० [सं०] क्षरित; झड़ा हुआ। वर्णित, कथित; जिसका प्रस्ताव किया गया हो, जो प्रस्वापन-पु० [सं०] सुलाना; एक अस्त्र जिसका प्रयोग प्रस्ताव रूप में रखा गया हो (आधु०)।
करनेपर, कहा जाता है, विपक्षीको नींद आ जाती है। प्रस्तुत-वि० [सं०] जिसकी चर्चा चल रही हो, प्रकरण- प्रस्वीकृत-वि० [सं०] (रिकॉगनाइज्ड) जिसे अधिकृत रूपसे प्राप्त, प्रासंगिकउपस्थित प्रयत्नसे किया हुआ; घटित | मान लिया हो; जिसे औपचारिक रूपसे मान्यता (संबद्ध उद्यत, तैयार: आरब्ध । पु० छिड़ा हुआ विषय, प्रकरण- होने आदिकी स्वीकृति दे दी गयी हो। प्राप्त विषय; उपमेय; एक काव्यालंकार ।
प्रस्वीकृति-स्त्री० [सं०] (रिकॉगनिशन) प्रधान या केंद्रीय प्रस्तुतांकुर-पु० [सं०] एक काव्यालंकार जहाँ प्रस्तुतके संस्था द्वारा अन्य छोटी संस्था या संस्थाओंका अस्तित्व,
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