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प्रयोगाह-प्रवर
जानेवाला गौण कार्य।
जड़ता। प्रयोगाई-वि० [सं०] प्रयोगके योग्य, जिसका प्रयोग किया प्रलुब्ध-वि० [सं०] जो लालचमें पड़ गया हो। जा सके।
प्रलुब्धा-वि० स्त्री० [सं०] (वह स्त्री) जिसे किसीसे अनुप्रयोगी (गिन)-पु० [सं०] प्रयोग करनेवाला, प्रयोग- चित प्रेम हो गया हो। कर्ता प्रेरक जिसके सामने कोई उद्देश्य हो।
प्रलून-वि० [सं०] काटा हुआ। पु० एक तरहका कीड़ा। प्रयोजक-पु० [सं०] प्रयोग करनेवाला, प्रयोगकर्ता; जोड़ने- प्रलेख-पु० [सं०] (डाक्यूमेंट) वह कायज या लिखित पत्र वाला, एकमें मिलानेवाला; प्रेरणा करनेवाला [व्या०]; जिसमें किसी बातका प्रमाण या कोई प्रामाणिक बात दर्ज सूदपरः रुपया देनेवाला, महाजन; ग्रंथ-लेखक संस्थापक; | हो और जो विधिक दृष्टिसे किसी पक्ष या व्यवहारधर्मशास्त्री । वि०प्रेरक नियुक्त करनेवाला,जो कारण बने। (मामले)के समर्थनमें उपस्थित किया जा सके। प्रयोजन-पु० [सं०] प्रवृत्तिका कारणभूत उद्देश्य, वह प्रलेखीय चलचित्र-पु० [सं०] (डाक्यूमेंटरी फिल्म) वह उद्देश्य जिसकी पूर्ति के लिए कोई किसी काममें प्रवृत्त हो, चलचित्र जिसमें किसी महत्त्वपूर्ण घटना, पुरातत्त्व, अर्थ, अभिप्राय, गरज, उपयोग, इस्तेमाल, काम; हेतु; औद्योगिक प्रगति आदिका चित्रण किया गया हो, समासाधन, उपाय; लाभ ।
चार-फिल्म । प्रयोजनवतीलक्षणा-स्त्री० [सं०] वह लक्षणा जिसके द्वारा प्रलेप-पु० [सं०] लेप, घाव या फोड़ेपर कोई मलहम जैसी किसी विशिष्ट प्रयोजनकी सिद्धिके लिए वाच्यार्थसे भिन्न गीली दवा चढ़ाना; पाव या फोड़ेपर चढ़ानेका मलहम । अर्थ निकाला जाय।
प्रलेपक-पु० [सं०] प्रलेप करनेवाला एक प्रकारका मंद प्ररोचना-स्त्री० [सं०] स्तुति; नाटककारकी प्रशंसा द्वारा ज्वर । नाटकके प्रति दर्शकों में रुचि उत्पन्न करना; आगे आने- प्रलेपन-पु० [सं०] लेप करनेकी क्रिया। वाली बातका इस प्रकार कथन करना कि दर्शकोंकी रुचि प्रलोठन-पु० [सं०] उछलना; लुढ़कना। या औत्सुक्य बढ़ जाय (ना०)।
प्रलोप-पु० [सं०] नाश, विलय । प्ररोह-पु० [सं०] अंकुरित होना; उत्पत्ति आरोह, चढ़ाव: प्रलोभ-पु० [सं०] अधिक लोभ, लालच; प्रलोभन ।
अंकुर संतान प्रकाश-किरण; नया पत्ता या टहनी। प्रलोभक-पु० [सं०] प्रलोभन देनेवाला, लालच उत्पन्न प्ररोहण-पु०[सं०] उगना, जमना; उत्पत्ति अंकुर टहनी। करनेवाला । प्रलंब-वि० [सं०] लटकता हुआ, लटका हुआअधिक लंबा प्रलोभन-पु० [सं०] ललचानेवाली वस्तु; लालच देना; सुस्त । पु० लटकनेकी क्रिया; लटकनेवाली चीज।-बाह- लालच देकर बहकाना, फुसलाना, अपनी ओर कर लेना वि० जिसकी बाहें अधिक लंबी हों, आजानुबाहु ।
या किसी कार्यसे विरत करना (ऐल्यूरमेंट)। प्रलंबित-वि० [सं०] लटका हुआ।
प्रलोभित-वि० [सं०] प्रलोभनमें पड़ा हुआ, प्रलुब्ध । प्रलंबी(बिन्)-वि० [सं०] लटकनेवाला सहारा लेनेवाला। प्रलोभी(भिन)-वि० [सं०] ललचनेवाला, लालची, प्रलपन-पु० [सं०] वार्तालाप; अनर्थक वचन, प्रलाप, बक- प्रलोभनमें पड़नेवाला। वास; दुखड़ा रोना।
प्रवंचक-वि०, पु० [सं०] ठग, धूर्त । प्रलयंकर-वि० [सं०] प्रलय करनेवाला।
प्रवंचन-पु० [सं०] ठगना, धोखा देना । प्रलय-पु० [सं०] लयको प्राप्त होना, नष्ट होना, न रह | प्रवंचना-स्त्री० [सं०] ठगी, धोखेबाजी, धूर्तता । जाना; विनाश, संहार; संसारका अपने मूल कारण प्रकृति-प्रबंचित-वि० [सं०] जो ठगा गया हो, जिसे धोखा दिया में सर्वथा लीन हो जाना, सृष्टिका सर्वनाश; मृत्युः मूर्छा, गया हो। बेहोशी; एक सात्त्विक भाव जिसमें सुख या दुःखके कारण प्रवक्ता(क्त)-पु० [सं०] अच्छा वक्ता; वेद आदिका मनुष्य जड़ हो जाता है (सा०); भारी या व्यापक संहार। अच्छी तरह प्रवचन करनेवाला; सरकार या किसी संस्था -कर-कारी(रिन्)-वि० दे० 'प्रलयंकर'।-काल-पु० आदिकी ओरसे आधिकारिक रूपसे बोलनेवाला प्रतिनिधि प्रलयका समय ।-जलधर-पु०प्रलयके समयका बादल । (स्पोक्समैन)। प्रलाप-पु० [सं०] बातचीत; अंड-बंड बकना, निरर्थक | प्रवचन-पु० [सं०] विशेष रूपसे कहना, अर्थ समझाते बात, बकवास; दुखड़ा रोना; ज्वराधिक्यसे बेहोश होकर हुए कहना; वेद, पुराण आदिका उपदेश करना ।-पटुअंड-बंड बकना।
वि० बोलने में कुशल, वाग्मी । प्रलापक-पु० [सं०] बकवास करनेवाला; एक तरहका प्रवण-वि० [सं०] ढालुवाँ टेढ़ा; किसी वस्तुकी ओर झुका सन्निपात रोग जिसमें रोगी प्रलाप करता है।
हुआ, प्रवृत्त नम्र; आसक्त क्षीण; दीर्घ । प्रलापी(पिन्)-वि० [सं०] प्रलाप करनेवाला, अनाप- प्रवणता-वि० [सं०] प्रवृत्ति, झुकाव । शनाप बकनेवाला।
प्रवत्स्यत्पतिका, प्रवत्स्यत्प्रेयसी-स्त्री० [सं०] वह प्रलाभी-वि० (लूकोटिव) लाभ देनेवाला, जिसके करनेमें नायिका जिसका नायक परदेश जानेवाला हो। विशेष लाभ हो (पद या काम)।
प्रवरस्यदर्तृका-स्त्री० [सं०] दे० 'प्रवत्स्यत्पतिका'। प्रलिप्त-वि० [सं०] चिपका हुआ, लिपटा हुआ, लिप्त। प्रवर-वि० [सं०] प्रधान, श्रेष्ठ, योग्यता, अधिकार आदिमें प्रलीन-वि० [सं०] विलीन; लुप्त प्रलयको प्राप्त, विनष्ट। बड़ा । पु० आह्वान संतति; गोत्र; किसी गोत्रके प्रवर्तक प्रलीनता-स्त्री० [सं०] प्रलीन होनेका भाव; चेष्टानाश, | मुनियों से कोई एक विशेषज्ञ । -समिति-खी०
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