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निश्चय किया जाय; योग्यता, श्रेष्ठता आदि परखने, नापनेका सुनिर्धारित स्तर या क्रम ।
प्रमापक - वि० [सं०] प्रमाणित करनेवाला । पु० प्रमाण । प्रमार्जक - वि० [सं०] धोने, साफ करनेवाला; पोंछनेवाला । प्रमार्जन - पु० [सं०] साफ करना; पोंछना; दूर करना । प्रमित- वि० [सं०] जिसका यथार्थ ज्ञान हुआ हो; ज्ञात, अवगत; परिमित, अल्प; मापा हुआ ।
प्रमीलित - वि० [सं०] जिसकी आँखें मुँदी हों । प्रमुक्त- वि० [सं०] जिसका बंधन खोल दिया गया हो; परित्यक्त; प्रक्षिप्त |
प्रमुख - अ० इत्यादि, वगैरह । वि० [सं०] प्रथम; मुख्य, प्रधान; श्रेष्ठ सम्मान्य, प्रतिष्ठित । पु० ( स्पीकर) दे० 'अध्यक्ष' । - सभा - स्त्री० (सिनेट) प्रमुख या प्रख्यात व्यक्तियों की सभा |
प्रयान* - पु० दे० 'प्रयाण' ।
प्रमीलन - पु० [सं०] आँखें बंद करना ।
प्रयास - पु० [सं०] प्रयत्न, कोशिश, श्रम, आयास ।
प्रमीला - स्त्री० [सं०] तंद्रा; शिथिलता, कृांति; अर्जुनकी प्रयुक्त - वि० [सं०] जोता हुआ; जिसका प्रयोग किया गया एक भार्या ।
हो, लगाया हुआ; किसी काममें लगाया हुआ; जोड़ा हुआ, एक में मिलाया हुआ; समाधिस्थ; सूदपर दिया हुआ (धन); प्रेरित; (अस्त्र, मंत्र आदि) जिसका किसीपर प्रयोग किया गया हो; गतिमान् किया हुआ । -संस्कार - वि० साफ कर चमकाया हुआ (रत्नादि) ।
प्रयुत वि० [सं०] युक्त, सहित अस्पष्ट; ध्वस्त; दस
प्रमुग्ध - वि० [सं०] मूच्छित, अचेत; हतबुद्धि; बहुत सुंदर । प्रमुदित - वि० [सं०] अति प्रसन्न, हर्षित |
प्रमूढ - वि० [सं०] घबड़ाया हुआ, चकराया हुआ; मूर्ख । प्रमेय - वि० [सं०] प्रमा या यथार्थ ज्ञानके योग्य, जिसका किसी प्रमाण द्वारा यथार्थ ज्ञान प्राप्त किया जाय । पु० वह जो प्रमा या यथार्थ ज्ञानका विषय हो सके या जिसका किसी प्रमाण द्वारा यथार्थ ज्ञान प्राप्त किया जाय । प्रमेह - पु० [सं०] एक रोग जिसमें शरीरकी धातुएँ अनेक रूपोंमें पेशाबके रास्ते गिरा करती हैं । प्रमेही ( हिन्) - वि० पु० [सं०] प्रमेहका रोगी । प्रमोद - ५० [सं०] प्रकृष्ट हर्ष, आनंद; कार्त्तिकेयका एक अनुचर; एक नाग; एक संवत्सर । -कर-पु० (एंटरटेनभेंट टैक्स) नाटक, चलचित्रोंके प्रदर्शन तथा मनोरंजनके ऐसे ही अन्य प्रकारोंपर लगनेवाला कर, मनोरंजन कर । -गोष्टी-स्त्री० (पिकनिक पार्टी) मित्रमंडलीका नगरादिके बाहर जाकर किसी खुले स्थान, उद्यान आदिमें खानपान, मनोरंजन आदिका आयोजन करना । प्रमोदित - वि० [सं०] प्रमोदयुक्त, प्रसन्न | पु० कुबेर । प्रमोदी ( दिन) - वि० [सं०] प्रसन्न करनेवाला, प्रमोदजनक; प्रसन्न |
प्रमोह - पु० [सं०] मोह; जड़ता; संज्ञाहीनता, मूर्च्छा । प्रमोहन - पु० [सं०] मोहित करना; वह अस्त्र जिसके प्रयोगसे शत्रुदल संज्ञाहीन हो जाय ।
प्रमोहित- वि० [सं०] स्तब्ध, चकराया हुआ । प्रयंक* - पु० दे० ' पर्यंक' |
प्रयंत* - अ० दे० 'पर्यंत' । प्रयत्न- पु० [सं०] किसी कार्य या उद्देश्य की पूर्ति के लिए किया जानेवाला व्यापार, प्रयास, कोशिश, अध्यवसायः जिह्वा, कंठ आदिका वह व्यापार जिसके सहारे वर्णोंका उच्चारण होता है (व्या० ) । - शील- वि० प्रयत्न में लगा हुआ, जो प्रयत्न कर रहा हो ।
प्रयत्नवान् (वत्) - वि० [सं०] प्रयत्ल में लगा हुआ, सचेष्ट । प्रयाग - पु० [सं०] हिंदुओंका एक प्रसिद्ध तीर्थ; इंद्र ||
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प्रमापक- प्रयोगार्थ
-वाल - पु० [हिं०] प्रयागका पंडा । प्रयाण - पु० [सं०] गमन, प्रस्थान; यात्रा; युद्धके लिए किया गया प्रस्थान, चढ़ाई; आरंभ; संसारसे बिदा होना, मरना । -काल, - समय - पु० प्रस्थान करनेका समय । - परह - ५० कूचका का युद्ध के लिए प्रस्थान करते समय बजाया जानेवाला नगाड़ा ।
लाख | पु० दस लाख की संख्या, १०,००,००० 1 प्रयोक्ता ( क ) - पु० [सं०] प्रयोग करनेवाला, प्रयोगकर्ता; किसी काममें लगानेवाला, प्रेरक ऋण देनेवाला, उत्तमर्ण, महाजन; नाटकका सूत्रधार; कमनैत; पाठ करनेवाला, बाचक |
प्रयोग- पु० [सं०] किसी काम में लाना या लाया जाना, व्यवहार, इस्तेमाल; अनुष्ठान, साधन; (अस्त्र-शस्त्र) चलाना या छोड़ना, शस्त्रपात; ज्ञानको अमल में लाना या बरतना, अमल, प्रक्रिया - शास्त्रका उलटा; नाटकका खेला जाना, अभिनय; मारण- मोहन आदि तांत्रिक अभिचार; वह ग्रंथ जिसमें यज्ञ-संबंधी क्रियाओंकी विधि बतायी गयी हो, पद्धति; योजना; साधन; पाठ; आरंभ; परिणाम; संबंध; भूत-प्रेत आदिके उच्चाटन के लिए किया जानेवाला मंत्रीचारण; सूदपर रुपया देना; उदाहरण, दृष्टांत साम, दाम आदिका अवलंबन | पु० (एक्सपेरिमेंट) किसी सिद्धांतकी सत्यता प्रमाणित करने या किसी अज्ञात बातका पता लगाने, जाँच करने आदिकी दृष्टिसे की गयी प्रक्रिया या कार्य । - ज्ञ, - निपुण - वि० जिसे अभ्यासजन्य अनुभव प्राप्त हो । - पत्र - पु० (टिकट) यात्रा के लिए रेलगाड़ीके डब्बे, मोटर बस आदिका कुछ समयतक प्रयोग करनेका अधिकार प्रदान करनेवाला पत्र जिसपर प्रायः . गंतव्य स्थानका नाम, तारीख, किराया आदि लिखा रहता है । - पत्र - कार्यालय - पु० ( बुकिंग ऑफिस) रेलगाड़ीके डब्बे, मोटर - बस आदिमें यात्रा करनेके लिए प्रयोगपत्र जारी करने, बेचनेका कार्यालय, टिकटघर । -विधि - स्त्री० प्रयोगज्ञापक विधि ( मीमांसा ) । - शाला - स्त्री० ( लेबोरेटरी) वह स्थान जहाँ पदार्थविज्ञान, रसायनशास्त्र आदि विषयक तथ्यों को समझाने, जानने या नयी बातोंका पता लगानेकी दृष्टिसे विविध प्रयोग किये जाते हों । प्रयोगतः ( तस ) - अ० [सं०] प्रयोग द्वारा; परिणामरूपमें; अनुसार; कार्यतः । प्रयोगातिशय- पु० [सं०] वह प्रस्तावना जिसमें प्रस्तुत प्रयोग के अंतर्गत दूसरा प्रयोग उपस्थित हो जाता है और उसपर पात्र प्रवेश करते हैं (ना० ) । प्रयोगार्थ - पु० [सं०] मुख्य कार्यकी सिद्धिके लिए किया
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