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पोद्दार-पीनार
५०० पोहार-पु० मारवाड़ी वैश्योंकी एक उपाधि; पोतदार। पोष्टा(ष्ट)-वि० [सं०] पोषण करनेवाला । पोना-स० कि० लोईसे रोटी गढ़ना; (रोटी) पकाना; पोष्य-वि० [सं०] पोषणके योग्य, पालने योग्य; अभ्युदय गूंथना, पिरोना।
करनेवाला; प्रभूत । -पुत्र-सुत-पु० 'वह जो पुत्रकी पोप-पु० [अं०] ईसाइयोंके रोमन कैथोलिक संप्रदायका तरह पाला गया हो, दत्तक । प्रधान धर्माचार्य ।-लीला-स्त्री० [हिं०] धर्मका आडंबर | पोस-पु. पोसनेकी क्रिया या भावः पालनेका नाता; फैलाना।
पालनेका उपकार । पोपला-वि० जिसमें पोल हो, जो भीतरसे खाली हो पोसती-पु० अफीमची । बिना दाँतका (मुँह); जिसके मुँहमें दाँत न हों। पोसन*-पु० दे० 'पोषण' । पोपलाना-अ० क्रि० पोपला होना।
पोसना-स० क्रि० आहार आदि देकर बड़ा करना, पालन पोपली-स्त्री० अमोलेकी जड़में लगी हुई आमकी गुठलीको करना; ढाँकना, छिपाना-'मोरि मुखै करसों कुच पोंसे' घिसकर बनाया जानेवाला बाजा जिसे लड़के बजाते हैं। -सुधानिधिः पोंछना । पोया-पु० कोंपल; सँपोला; नन्हा बच्चा।
पोस्ट-स्त्री० [अं॰] स्थान, जगह पद नौकरी; खंभा: डाक; पोयाबोई-स्त्री० छलकपटकी बातें ।
पत्रवाहक । -आफिस-पु० डाकघर, डाकखाना, पत्रापोर-स्त्री० उँगलीकी गाँठ; उँगलीका दो गाँठोंके बीचका लय । -कार्ड-पु० डाकखानेसे खरीदा जानेवाला वह
भाग ईख, बाँस आदिमें दोगाँठोंके बीचका भाग; * पीठ। मोटे कागजका टुकड़ा जो पत्र व्यवहारके काम आता है। पोल-स्त्री० किसी वस्तुके भीतरकी खाली जगह, अवकाश -बाक्स-पु० किसीकी डाक या चिट्ठियाँ सुरक्षित रखनेनिःसारता, खोखलापन (ला०); प्रवेशद्वार । -दार-वि० के लिए विशेष रूपसे रखी गयी पेटी । -मास्टर-पु० पोला, खोखला । मु. (किसीकी)-खुलना-किसीका डाकघरका प्रधान कर्मचारी, पत्रपाल । -मास्टर जेनरल छिपा हुआ दोष प्रकट होना। (किसीकी)-खोलना- -पु० किसी प्रांतके डाक विभागका सबसे बड़ा अधिकारी। किसीके छिपे हुए दोपको प्रकट करना।
-मैन-पु० डाकखानेका वह कर्मचारी जो लोगोंके यहाँ पोला-वि. जो भीतरसे खाली हो, खोखला, निसार, उनकी चिट्ठियाँ पहुँचाता है, डाकिया, पत्र-वितरक । निस्तत्त्व; जिसका भीतरी भाग कड़ा या ठोस न हो, जो पोस्टर-पु० [अ०] किसी कागजपर बड़े अक्षरोंमें छपी हुई दबाव पड़नेसे दब या पचक जाय, पुलपुला । पु० परेती- वह नोटिस जो जनताकी जानकारीके लिए जगह-जगह पर सूत लपेटनेसे तैयार होनेवाला लच्छा + एक पेड़।। दीवार आदिपर चपका दी जाती है। पोलिका, पोली-स्त्री० [सं०] एक प्रकारकी पूरी, पूआ। पोस्त-पु० [फा०] खाल, चमड़ा, छिलका; छाल; तह, पोलिया-स्त्री० औरतोंका पैर में पहननेका एक पोला गहना। परत; अफीमका पौधा; इस पौधेका डोंड़ा। पु० पौरिया।
पोस्ता-पु० एक पौधा जिसके डोंडेसे अफीम निकलती है, पोलो-पु० [अं०] गेंदका एक खेल जो घोड़ेपर चढ़कर | अफीमका पौधा। खेला जाता है, चौगान ।
पोस्तीन-पु० [फा०] पामीर, तुर्किस्तान और मध्य एशियापोवना*--स० क्रि० दे० 'पोना।
के लोगोंका एक प्रकारका पहनावा जो समूर आदि जानपोश-पु० [फा०] पहननेकी चीज, कपड़ा; पहननेवाला, वरोंके बालदार चमड़ेसे बनाया जाता है। बालदार चमड़े
ढकनेवाला (नकाबपोश, पलंगपोश) (समासांतमें)। का कोट । पोशाक-स्त्री० [फा०] पहनावा, लिबास । मु०-बढ़ाना- | पोहना -स० कि. गूंथना, पिरोना; भेदना, छेदना; कपड़े उतारना।
चढ़ाना, लगाना; जमाना, बैठाना । पोशीदगी-स्त्री० [फा०] गुप्त होनेका भाव, छिपाव । पोहमी*-स्त्री० पृथ्वी। पोशीदा-वि० [फा०] गुप्त, छिपा हुआ।
पौंड-पु० दे० 'पाउंड' । -पावना-पु० (स्टर्लिंग बैलेंसेज) पोष-पु० [सं०] पोसनेकी क्रिया, पालन; पुष्टि; वृद्धि (अंतर्राष्ट्रीय वाणिज्यादिके परिणामस्वरूप) ब्रिटेनमे किसी * संतोष ।
देशके पावनेकी बह रकम जो बैंक आफ इंग्लैंडमें जमा पोषक-पु० [सं०] पोषण करनेवाला; बढ़ानेवाला, वर्दूक, रहती है और जो उसके साथ हुए समझौतेकी शोंके
सहायक । -तत्व-पु० (विटामिन) दे० 'खाद्योज'। अनुसार क्रमशः चुकायी जाती है। पोषण-पु० [सं०] पोसनेकी क्रिया, पालन; वर्द्धन । पौंडरीक-वि० [सं०] कमल-संबंधी; कमलका; कमलका पोषना*-स० क्रि० पोषण करना, पालना।
बना हुआ। पु० स्थलपद्म; एक प्रकार कु.ष्ठ । पोषयिता(त)-वि०, पु० [सं०] पोषण करनेवाला। पौड़ा, पौदा-पु० मोटे छिलके और अधिक रसवाली एक पोषिका-स्त्री० [सं०] (एलिमेंटर! कैनाल ) गलेके नीचेसे प्रकारकी लंबी और मोटी ईख । शुरू होनेवाली नली जिससे भोजन पेटमें पहुँचता है और पौंड-पु० [सं०] एक प्राचीन देश; इस देशका निवासी या जो आगे छोटी तथा बड़ी अंतड़ियोंसे मिल जाती है। राजा; एक प्रकारको ईख, पौड़ा; भीमसेनका शंख, सांप्रदापोषित-वि० [सं०] जिसका पोषण किया गया हो, पाला यिक चिह्न एक संकीर्ण जाति (मनु०)। हुआ।
पौड्क-पु० [सं०] पौड़ा, ईख; एक संकर जाति । पोषिता(त)-वि०, पु० [सं०] पोषण करनेवाला, पोषक । पौंदना-अ० कि० दे० 'पौढ़ना। पोषी(पिन)-वि०, पु० [सं०] पोषण करनेवाला, पोषक ।। पौनार-स्त्री० दे० 'पीनार'।
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