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प्रतिसारित-प्रत्यक्ष लगानेका एक औजार, 'चूर्ण, कल्क आदिकी सहायतासे | प्रतीक्षण-पु० [सं०] प्रतीक्षा करना; प्रतीक्षा। दाँत, जीभ आदिको उँगलीसे रगड़ना (सुश्रुत)।
प्रतीक्षा-स्त्री० [सं०] आसरा देखना, इंतजार करना । प्रतिसारित-वि० [सं०] (ड्रेस्ड) जिसकी मरहम-पट्टीकी
-गृह-पु० (वेटिंग रूम) रेलगाड़ी, बस, विमानादिके गयी हो।
आगमनतक प्रतीक्षा करनेवाले यात्रियोंके बैठनेका कमरा प्रतिसेना-स्त्री० [सं०] शत्रुकी सेना ।
या छायादार स्थान; किसी अधिकारी, बड़े आदमी आदिसे प्रतिस्नेह-पु० [सं०] प्रेमके बदले किया जानेवाला प्रेम, मिलनेवालोंके लिए बैठकर प्रतीक्षा करनेका कमरा या प्रेमका प्रतिदान।
घर। प्रतिस्पर्धा, प्रतिस्पर्धा-स्त्री० [सं०] होड़ ।
प्रतीक्षालय-पु० [सं०] दे० 'प्रतीक्षागृह'। प्रतिस्पर्धी(र्द्धिन), प्रतिस्पर्धी(धिन् )-पु० [सं०] | प्रतीघात-पु० [सं०] दे० 'प्रतिघात' ।
प्रतिस्पर्धा करनेवाला, होड़ लगानेवाला प्रतिद्वंद्वी। प्रतीची-स्त्री० [सं०] पश्चिम दिशा। -पति-पु० वरुण । प्रतिस्राव-पु० [सं०] नाकसे पीला और गाढ़ा कफ निक- प्रतीचीन-वि० [सं०] पश्चिम दिशाका, पश्चिमी, पछाहीं; लनेका एक रोग।
पिछला। प्रतिहंता(त)-पु०[सं०] रोकनेवाला; निवारण करनेवाला। प्रतीच्य-वि० [सं०] पश्चिमका, पश्चिमी, पछाहीं। प्रतिहत-वि० [सं०] रोका हुआ, अवरुद्ध दूर किया हुआ, | प्रतीत-वि० [सं०] जाना हुआ, ज्ञात, मालूम प्रसिद्ध, निरस्त; निराश किया हुआ; पराभूत किया हुआ। मशहूर हृष्ट, प्रसन्न; (-होना=जान पड़ना)। प्रतिहनन-पु० [सं०] आघातके जवाबमें आधात करना । प्रतीति-स्त्री० [सं०] ज्ञान, बोध, प्रसिद्धि हर्ष, विश्वास । प्रतिहरण-पु० [सं०] निवारण; परित्याग हटाना। प्रतीप-वि० [सं०] प्रतिकूल, उलटा, विलोम; अप्रिय प्रतिहा(त)-पु० [सं०] सोलह प्रकारके ऋत्विजोंमेंसे एक हठी बाधक; विरोधी । पु० एक अर्थालंकार जहाँ प्रसिद्ध हटानेवाला; नाश करनेवाला।
उपमानको उपमेय बना दिया जाय या उपमेयसे उपमान प्रतिहस्त, प्रतिहस्तक-पु० [सं०] प्रतिनिधि, सहायक । का निरादर आदि कराया जाय।-ग-वि० विरुद्ध जाने. प्रतिहस्ताक्षरित-वि० [सं०] (काउंटरसाइंड) (वह प्रलेख वाला प्रतिकूल । -गति-स्त्री०,-गमन-पु० पीछेकी आदि) जिसपर पहलेसे किये गये हस्ताक्षरके सामने किसी ओर जाना । -गामी(मिन)-वि०विरुद्धाचरण करनेअन्य अधिकारी आदिके हस्ताक्षर किये गये हों; जिसपर। वाला। किसीके हस्ताक्षरोंको साक्षीकृत करनेके लिए हस्ताक्षर किये प्रतीपोक्ति-स्त्री० [सं०] खंडन, प्रतिकूल वचन । गये हों।
प्रतीयमान-वि० [सं०] जिसकी प्रतीति हो रही हो, जान प्रतिहस्तापन-पु० [सं०] (सब्स्टि -टयूशन) कोई काम पड़ता हुआ; ( वह अर्थ) जो व्यंजना द्वारा प्रकट हो करने या चलानेके लिए. एकः आदमी या एक वस्तुके | रहा हो। बदले में, स्थानमें, दूसरा आदमी या दूसरी वस्तु रखना।। प्रतीवेशी(शिन्)-पु० [सं०] दे० 'प्रतिवेशी' । प्रतिहार-पु० [सं०] निवारण; द्वारपाल, ड्योढ़ीदार; द्वार, | प्रतीहार-पु० [सं०] दे० 'प्रतिहार' । दरवाजा; ऐंद्र जालिक, बाजीगर; बाजीगरी; उद्गाता द्वारा प्रतीहारी-स्त्री० [सं०] दे० 'प्रतिहारी। गाये जानेवाले सामका एक अवयव । -भूमि-स्त्री० | प्रतोद-पु० [सं०] कोई काम करनेको विवश करना; अंकुश ड्योढ़ी। - रक्षी-स्त्री० द्वारपालिका।
चाबुक; पैना; कोंचनेका एक आला । प्रतिहारी-स्त्री० [सं०] द्वारपालका काम करनेवाली स्त्री, | प्रतोषना*-स० क्रि० संतुष्ट करना; समझाना-बुझानाद्वारपालिका।
'राम प्रतोषी मातु सब कहि बिनीत बरबैन'-रामा० । प्रतिहारी(रिन्)-पु० [सं०] द्वारपाल ।
प्रत्न-वि० [सं०] पुराना, पुरातन परंपरागत । -तत्त्वप्रतिहास-पु० [सं०] हँसनेके जवाबमें हँसना कनेर । पु० दे० 'पुरातत्त्व' । -तत्त्वविद-पु० पुरातत्ववेत्ता । प्रतिहिंसा-स्त्री० [सं०] हिंसाके बदले में की जानेवाली हिंसा। प्रत्यंकन-पु०[सं०] (ट्रेसिंग) अंकित की हुई किसी आकृति प्रतिहित-वि० [सं०] रखा हुआ, जमाया हुआ ।
आदिकी ज्योंकी त्यों प्रतिकृति तैयार करना, विशेषकर प्रतीक-वि० [सं०] प्रतिकूल, विरुद्ध विलोम, उलटा । पु० उसके ऊपर पारदशी पतला कागज या मसिपत्र रखकर । अंग, अवयव अंश, भाग; वह पदार्थ जिसपर किसीका | प्रत्यंग-पु० [सं०] शरीरका कोई गौण अंग (जैसे नाक)। आरोप किया गया हो, प्रतिरूप; प्रतिमा; किसी वाक्य, | प्रत्यंचा-स्त्री० धनुष्की डोरी। पद, मंत्र आदिके कुछ अक्षर जिनसे पूरेका बोध हो; मुँह, प्रत्यंत-वि० [सं०] जो सन्निकट हो, प्रत्यासन्न । चेहरा किसी चीजका आगेका हिस्सा । -न्यूनन-पु० | प्रत्यक्ष-वि० [सं०] जो आँखोंके सामने हो, जो आँखोंसे (टोकन कट) (अपना विरोध या असंतोष प्रकट करनेके | दिखाई दे, परोक्षका उलटा; जिसका ग्रहण किसी ज्ञानेंलिए) आय-व्ययकी किसी मदमें केवल प्रतीकके रूपमें | द्रियसे हो सके; स्पष्ट, साफ । पु० एक प्रकारका शान जो नाम मात्रकी कमी करानेका प्रस्ताव, लाक्षणिक न्यूनन । इंद्रिय और अर्थके सन्निकर्षसे उत्पन्न होता है और चार -वाद-पु० (सिंबालिज्म) किसी वस्तु या विषयको प्रकारके प्रमाणोंके अंतर्गत माना जाता है। किसी ज्ञानेंकिसीके प्रतीकके रूपमें वर्णन करने या माननेका सिद्धांत । द्रिय द्वारा वस्तु विशेषका ग्रहण । अ० स्पष्टतः, साफप्रतीकार-पु० [सं०] दे० 'प्रतिकार' ।
साफ-ज्ञान-पु० इंद्रिय और विषयके सन्निकर्षसे उत्पन्न प्रतीक्ष, प्रतीक्षक-वि० पु० [सं०] प्रतीक्षा करनेवाला । । ज्ञान । -दर्शन,-दी(शिन)-पु. वह जिसने कोई
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