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प्रत्याशित - वि० [सं०] (एंटिसिपेटेड ) जिसकी आशा या अपेक्षा पहले से की गयी हो, जिसका पहलेसे अनुमान किया गया हो (आय, घटी, वृद्धि आदि) । - उत्तराधिकारी(रिन्) - पु० (एयर एक्सपेक्टेस) वह जिसके उत्तराधिकारी बननेकी आशा हो ।
प्रत्याहार - पु० [सं०] पीछे खींचना, हटाना; (विथड्राल ) आदेश, प्रस्ताव, वचन, शब्दादिका वापस ले लिया जाना; इंद्रियोंको विषयोंसे हटाना; अष्टांग योगके अंतर्गत एक बहिरंग साधन जिसमें इंद्रियोंको उनके विषयोंसे हटाकर चित्तके समान निरुद्ध करते हैं; प्रलय ।
प्रत्याहूत - वि० [सं०] वापस बुलाया हुआ ।
प्रत्याहत - वि० [सं०] पीछे खींचा हुआ, हटाया हुआ; जिसका निग्रह किया गया हो ।
प्रत्यायन - पु० [सं०] (रिकॉल) किसी स्थान या पदसे किसी अधिकारी या विदेश गये हुए प्रतिनिधिको वापस बुला लेना ।
प्रत्युक्ति - स्त्री० [सं०] उत्तर, जवाब |
प्रत्युत - अ० [सं०] इसके विपरीत, बल्कि, वरन् । प्रत्युत्तर - पु० [सं०] उत्तर पानेपर दिया गया उत्तर, ( रिजॉइंडर) वह जवाब जो किसी उत्तरके उत्तर में दिया
जाय ।
प्रत्युत्थान - पु० [सं०] किसी बड़ेके आनेपर उसके प्रति सम्मान प्रकट करने के लिए अपने आसन से उठ जाना, अभ्युत्थान; विरोधीका सामना करनेके लिए उठ खड़ा होना; युद्ध या किसी कार्यके लिए तैयारी करना । प्रत्युत्पन्न - वि० [सं०] जो फिरसे उत्पन्न हुआ हो; जो तत्काल उत्पन्न हुआ हो; उपस्थित । -मति - वि० जिसे उचित उत्तर या उपाय तत्काल सूझ जाय, प्रतिभाशाली; साहसी ।
प्रत्युदाहरण- पु० [सं०] प्रतिकूल उदाहरण, किसी उदाहरणके विरोध में दिया गया उदाहरण ।
प्रत्युपकार - पु० [सं०] किसी उपकार के बदले में किया हुआ उपकार, भलाई के बदले में की हुई भलाई । प्रत्युपकारी (रिन् ) - पु० [सं०] प्रत्युपकार करनेवाला । प्रत्युपदेश - पु० [सं०] उपदेशके बदले में दिया हुआ उपदेश; रायके बदले में दी हुई राय ।
प्रत्यूष - पु० [सं०] प्रातःकाल; आठ वसुओंमेंसे एक; सूर्य । प्रत्येक - वि० [सं०] दो या दो से अधिक में से एक-एक,
अलग-अलग, हर एक ।
प्रथम - वि० [सं०] गणना या क्रममें जिसका स्थान पहला हो, पहला, अव्वल; जो सबसे बढ़कर हो, श्रेष्ठ; प्रधान, मुख्य; पहलेका । अ० पहले, आगे - कारक- पु० कर्ता कारक (व्या० ) । - दर्शन-पु० पहलेपहल देखना । - दृष्टितः (तस ) - अ० ( प्राइमार्फसी) प्रथम बार देखनेपर | - दृष्टिसिद्ध - वि० ( प्राइमा फेसी) पहली बार देखनेसे उत्पन्न या सिद्ध जान पड़नेवाला । - पुरुष - पु० वह व्यक्ति जिसके विषय में कुछ कहा जाय ( व्या० ) । - यौवन- पु० चढ़ती जवानी ।
प्रथमतः - अ० [सं०] पहले, सबसे पहले । प्रथमा - स्त्री० [सं०] कर्ता कारक (सं० व्या० )
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प्रत्याशित- प्रदीपक
प्रथमाक्रमण - पु० [सं०] ( ऐग्रेशन) आक्रमणका आरंभ या पहला कार्य, लड़ाईकी पहल । - कर्ता ( र्तृ ), - कारी(रिन् ) - पु० ( ऐग्रेसर ) आक्रमण में पहल लेनेवाला, आक्रमणात्मक कार्य आरंभ करनेवाला । प्रथमा, प्रथमार्ध - पु० [सं०] दो समान भागो में से पहला, पूर्वार्द्ध ।
प्रथमाश्रम - पु० [सं०] ब्रह्मचर्याश्रम | प्रथमी * - स्त्री० पृथ्वी ।
प्रथमेतर - वि० [सं०] पहले के बादका, दूसरा । प्रथमोपचार - पु० [सं०] (फर्स्ट एड ) किसी घायल या आहत व्यक्तिका उपयुक्त चिकित्सककी सहायता प्राप्त होनेके पूर्व किया गया उपचार, प्राथमिक उपचार |
-केंद्र - पु० ( फर्स्ट एड पोस्ट) वह स्थान जहाँ प्राथमिक उपचार किया जाय ।
प्रथा - स्त्री० [सं०] प्रसिद्धि, ख्याति, रीति, परिपाटी (हिं०) । प्रथित - वि० [सं०] प्रसिद्ध, विख्यात, लंबा-चौड़ा, फैला हुआ । प्रद - वि० [सं०] देनेवाला (जैसे- हर्षप्रद) । प्रदक्षिणा - स्त्री० [सं०] श्रद्धा-भक्तिके भावसे देवता आदिके चारों ओर इस प्रकार घूमना कि दाहिना अंग बराबर उसकी ओर पड़े, परिक्रमा, फेरी । प्रदग्ध - वि० [सं०] बहुत जला हुआ । प्रदच्छिन* - पु० दे० 'प्रदक्षिणा' । प्रदत्त - वि० [सं०] दिया हुआ ।
प्रदर- पु० [सं०] विदीर्ण होने या फटने का भाव; दरार; छिद्र बाण; सेनाका तितर-बितर होना; स्त्रियोंका एक रोग जिसमें उनके गर्भाशय से सफेद या लाल रंगका लसदार पदार्थ बहता है ।
प्रदर्शक - पु० [सं०] दिखाने वाला; गुरु, पैगंबर । प्रदर्शन - पु० [सं०] दिखानेकी क्रिया, दिखाना; सिखलाना; जुलूस तथा नारों आदि द्वारा किसी मामलेमें अपना असंतोष प्रकट करना (डिमांस्ट्रेशन); खेल, प्रयोग आदि करके दिखलाना ।
प्रदर्शनी - स्त्री० [सं०] वह स्थान जहाँ तरह-तरहकी वस्तुएँ प्रदर्शित की जायें, नुमाइश ।
प्रदर्शित - वि० [सं०] जो दिखाया गया हो; प्रदर्शनी में रखा हुआ ।
प्रदाता (तु) - पु० [सं०] देनेवाला, दाता; कन्यादान करनेवाला; इंद्र |
प्रदान - पु० [सं०] देना, दान; दिया जानेवाला धन । प्रदायक, प्रदायी (यिन् . ) - पु० [सं०] देनेवाला, प्रदान करनेवाला ।
प्रदाह-पु० [सं०] दाह, जलन; भस्मसात् होना, ध्वंस | प्रदिशा-स्त्री० [सं०] दो मुख्य दिशाओंके बीचकी दिशा, विदिशा, कोण |
प्रदिष्ट - वि० [सं०] दिखाया हुआ, बताया हुआ; नियत किया हुआ, ठहराया हुआ; आदिष्ट ।
प्रदीप - पु० [सं०] दीपक, चिराग; वह जो प्रकाश करे अथवा किसी विषयको स्पष्ट करें (जैसे- काव्यप्रदीप ) | प्रदीपक- वि० [सं०] प्रकाश करनेवाला; स्पष्ट करनेवाला । पु० छोटा दीपक प्रकाश करनेवाला; स्पष्ट करनेवाला ।
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