________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
४६९
पाउ-पाचक घोड़ेकी पैर सूजनेकी एक बीमारी; इकाईका चतुर्थांश सूचित पाकारि-पु० [सं०] इंद्र।। करनेवाली छोटी खड़ी रेखा, इकाईके चौथे भागके रूपमें पाकिस्तानी-वि० [फा०] पाकिस्तानका । पु० पाकिस्तानकिसी संख्याके आगे लगायी जानेवाली छोटी खड़ी का रहनेवाला।। लकीर; आकारकी मात्रा पूर्ण विराम सूचित करनेके लिए पाकेट-पु० [अं०] थैली, जेब। -मार-पु० वह जो चोरीवाक्यके अंतमें लगायी जानेवाली खड़ी लकीर; गहने से जेबमेंसे रुपया-पैसा आदि निकालने या जेब काटनेका आदि रखनेकी स्त्रियोंकी पिटारी; घिसा हुआ रद्दी टाइप; काम करे, जेबमें रखी हुई चीजें चुरा लेनेका काम करने एक कीड़ा; एक छाटा सिक्का जो एक पैसेके १/३ के बराबर वाला व्यक्ति । -मारी-स्त्री० पाकेटमारका पेशा । मु०होता है।
गरम करना-घूस देना, घूस लेना। पाउँ-पु० पाँव, पैर।
पाक्षपातिक-वि० [सं०] पक्षपात करनेवाला, फूट डालनेपाउंड-पु० [अं०] सोनेका एक अंग्रेजी सिका जो २० | वाला। शिलिंगके बराबर होता है; एक अंग्रेजी वजन जो आठ पाक्षिक-वि० [सं०] पक्ष-संबंधी; पक्षका पाख भर में होनेछटाँकसे कुछ कम होता है।
वाला प्रत्येक पक्षमें होनेवाला; चिड़ियोंसे संबंध रखनेपाउ*-पु० पाँव; चतुर्थांश ।
वाला । पु० बहेलिया। पाउडर-पु०[अं०] चुरा, बुकनी; सुंदरता बढ़ाने या अच्छी पाखंड-पु० [सं०] वेद-विरुद्ध आचरण करनेवाला; दिखारंगत लाने के लिए चेहरे आदिपर लगाया जानेवाला एक वटी उपासना या भक्ति, पूजा-पाठ आदिका आडंबर; प्रकारका चरा; चूर्ण की हुई दवा ( जैसे-टूथपाउडर )। ढकोसला, ढोंग; वंचना, छल । वि० जो वेदके विरुद्ध पाक-पु०[सं०] पकने या पकानेकी क्रिया या भाव; पकाया आचरण करे । -फंडी-वि० [हिं०] वेद-विरुद्ध आचरण हुआ अन्न, रसोई; पिंडदानके निमित्त दूधमें पकाया हुआ करनेवाला; भक्ति या उपासनाका ढोंग रचनेवाला; जो चावल पकवान; भोजनका पचना; फोड़े, फल आदिका केवल दूसरोंको ठगने या धोखा देनेके लिए पूजा-पाठ
व्रण, फोड़ा; वृद्धताके कारण बालोंका सफेद आदि करे; ठग धूर्त्त । मु०-फैलाना-दूसरोंको ठगनेके होना; बुद्धिका परिपक्व होना; परिणाम; एक दैत्य जिसे लिए विशेष प्रकारका स्वाँग बनाना। इंद्रने मारा था । वि० पका हुआ; अल्प; प्रशस्य, परिपक्क पाखंडी(डिन्)-वि० [सं०] दे० 'पाखंड' । बुद्धिवाला । -कर्म (न)-पु०,-क्रिया-स्त्री० पकानेकी पाख-पु. आधा महीना, पंद्रह दिनका समय, पखवाड़ा; क्रिया; पकाना। -हि ष)-पु० इंद्र। -पंडित- छाजनको ढालुवाँ बनानेके लिए कमरेकी चौड़ाईकी दीवारपु० वह जो रसोई बनाने में सिद्धहस्त हो। -यज्ञ-पु० का वह तिकोना ऊपरी भाग जिसपर 'बँडेर' रखते हैं; वृपोत्सर्ग आदिके अवसरपर किया जानेवाला होम जिसमें पाखवाली दीवार । चरुका हवन होता है।-रिपु-पु० इंद्र ।-शाला-स्त्री० पाखर-स्त्री० लड़ाईके हाथी या घोड़ेको रक्षाके लिए पहरसोईघर । -शासन-पु० इंद्र। -शासनि-पु० इंद्रका नायी जानेवाली लोहेकी झूल । पुत्र जयंत; बालि; अर्जुन |-शुक्ला-स्त्री० खड़िया मिट्टी। पाखरी-स्त्री० अनाज लादनेके लिए गाड़ीपर बिछाया -स्थली-स्त्री० पक्काशय । -स्थान-पु० रसोईघर जानेवाला टाट । आवाँ । -हंता (त)-पु० दे० 'पाकशासन'। पाखा-पु० पख पंख, * कोना । पाक-वि० [फा०] शुद्ध, पवित्र; निर्दोष, निष्कलंक साफ- पाखान*-पु० पाषाण, पत्थर । सुथरा; बिना मिलावटका, खालिस; बरी; बेबाक पाप या पाग-स्त्री० पगड़ी। पु० वह शीरा या किवाम जिसमें मिठाई
ला, परहेजगार ।-दामन,-दामाँ-वि० आदिको डुबाते हैं, चाशनी; चाशनी में डुबायी हुई पेठे शुद्ध, पवित्र आचरणवाला, निष्पाप । वि० स्त्री० सती आदिकी मिठाई; मधु, चीनी या मिसरीके शीरेमें सनी हुई (स्त्री) । -दिल-वि० शुद्ध अंत:करणवाला, पवित्र विशेष प्रकारकी औषध, अवलेह । विचारवाला। -नीयत--स्त्री० अच्छी नीयत, सद्विचार, | पागना-स० क्रि० पाग या शारेमें डुवाना, चाशनी में शुद्ध विचार । -परवरदिगार-पु० परमेश्वर ।-बाज़- डुबाना । * अ० क्रि० मग्न होना, शराबोर होना। वि० शुद्ध हृदयवाला, निष्पाप, सञ्चा, नेकनीयत । पु० पागल-वि० [सं०] जिसका दिमाग खराब हो गया हो, भाँग छाननेकी साफी। -बाज़ी-स्त्री० पाकबाज होनेका विक्षिप्त, सनकी; जो प्रेम, क्रोध आदिमें आपसे बाहर हो भाव । -साफ-वि० साफ-सुथरा, निर्मल; निर्दोष, गया हो; नासमझ, अबूझ। -खाना-पु० [हिं०] वह निष्कलंक, निष्पाप विशुद्ध ।
जगह जहाँ पागलोंकी देख-रेख और उपचार किया जाता पाकड़, पाकर-पु० बरगदकी जातिका एक प्रसिद्ध पेड़। पाकना*-अ० क्रि० पकना ।
पागलपन-स्त्री० पागल होनेका भाव; एक प्रकारकी पाकरी*-स्त्री० दे० 'पाकड़' ।
मानसिक व्याधि जिसमें विवेक नष्ट हो जाता है और पाकला-वि० पका हुआ।
रोगी नासमझीके काम करता है, उन्माद, नासमझी। पाका-पु० फोड़ा। वि० पका हुआ।
पागलिनी-स्त्री० पगली, विक्षिप्त स्त्री। पाकागार-पु० [सं०] रसोईघर ।
पागुर-पु० जुगाली। पाकातिसार-पु० [सं०] पुराना आमातिसार । पाचक-वि० [सं०] पकानेवाला; पचानेवाला । पु० रसोई पाकाभिमुख-वि० [सं०] जो पकने पर हो; विकासोन्मुख । बनानेका पेशा करनेवाला, रसोइया, सूपकारः अग्नि
For Private and Personal Use Only