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पाँवड़ा-पाई
४६८ नष्ट हो जाना; चल बसना ।-का खटका-पैरकी आहट । रजस्वला; पृथ्वी । -की जूती-तुच्छ सेवक। -की बेड़ी-जंजाल, झंझट । पाँस-स्त्री० राख, गोबर आदिकी खाद, खमीर । -गाड़ना-जमकर खड़ा रहना; लड़ाईमें डटा रहना। पाँसा-पु० दे० 'पासा'। -घिसना-चलते-चलते थक जाना ।-जमना-हढ़तापूर्वक पाँसी-स्त्री० रस्सीकी बनी हुई घास-भूसा रखनेको जाली। स्थित होना; स्थिति हद होना, ऐसी स्थितिमें होना कि गाँसुरी*-स्त्री० पसली-'मसककी पांसुरी पयोधि हटने या विचलित होनेकी नौबत न आये। -जमाना- पाटियतु है'-कविता। दृढ़तापूर्वक स्थित होना, अपनी स्थिति हद करना। पाही*-अ० पास, निकट । -डिगना-स्थिर न रहना।-तलेकीधरती खसकना- पा-पु० [फा०] पैर, पाँव कदम; वृक्षकी जड़ ।-अंदाज़बहुत अधिक घबरा जाना, होश उड़ जाना। -तलेकी पु० नारियलके छिलके, मुंज, ऊन आदिसे तैयार की धरती सरक जाना या मिट्टी निकल जाना-स्तब्ध रह जानेवाली एक प्रकारकी चटाई जो पैर पोंछनेके काममें जाना। -तोड़कर बैठना-कहीं आना-जाना बंद कर आती है। -खाना-पु० मल, गू; मलत्यागके निमित्त देना ।-तोड़ना-बहुत अधिक चलकर पैरोंको थका देना। बनाया हुआ विशेष प्रकारका स्थान या कमरा ।-जामाधरतीपर न पड़ना या न रखना-धमंडमें चूर रहना। पु० कमरसे लेकर टखनेतकका दो पायँचोंवाला एक प्रसिद्ध -धरना-पधारना। -धारना*-दे० 'पाँव धरना'। पहनावा । (मु०-जामसे बाहर होना या निकल पकड़ना-धोकर पीना-बहुत आवभगत करना; चरणामृत बहुत अधिक क्रुद्ध होना, क्रोध, आपेसे बाहर होना।) लेना। -पकड़ना-पैर छूना, बहुत अधिक दीनता और -जेब-पु. पाँवमें पहननेका एक धुंघरूदार गहना । विनय प्रकट करना। -पड़ना-चरणोंपर गिरना; दैन्य
-ताबा-पु० मोजा; तलेके आकारका चमड़ेका वह लंबा भावसे विनय करना। -पर पाँव रखकर बैठना- टुकड़ा जिसे जूतेको चुस्त करनेके लिए उसमें डालते हैं । बेखबर होना; कुछ काम न करना। (किसीके)-पर
-पोश-पु० जूता; मोजा। (मु०-पोशपर मारनापाँव रखना-किसीका पूरी तरह अनुगमन करना। कुछ भी परवा न करना; अति तुच्छ समझना।) -पलोटना-पाँव-चप्पी करना, पैर दबाना । -पसा- -बंद-वि० बँधा हुआ; गिरफ्तार, कैद; जो किसी रना-कब्जा करना ठाट-बाट करना। -पाँव चलना- नियम, वचन आदिका पूरी तरह पालन करे; जो किसी पैदल चलना। -पीटना-छटपटाना; परेशान होना। नियम, वचन आदिसे पूर्णरूपसे बद्ध हो, जो किसी -पूजना-बहुत अधिक आवभगत करना; विवाहमें कन्या- नियम, वचन आदिका पालन करनेके लिए विवश हो; दान करनेवालेका वरका पूजन करके उसे कन्या समर्पित | मजबूर, लाचार; कायम रहनेवाला (रहना, होनाके करना। -फूलना-भय आदिके कारण ठिठक जाना। साथ) । पु० बेड़ी, घोड़ेके पिछले पैरोंको बाँधनेके कामकी -फेरने जाना-दुलहिनका पहले पहल ससुराल जाना; रस्सी, पिछाड़ी। -बंदी-स्त्री० पाबंद होनेको क्रिया दुलहिनका ससुरालसे पहले पहल अपने मायके या किसी या भाव; नियम, वचन आदिका अनिवार्य पालन; मुमाऔर रिश्तेदारके यहाँ जाना; प्रसूताका कुछ समयके लिए नियत; मजबूरी। -बोस-वि० पाँव चूमनेवाला, प्रणाम अपने मायके या किसी और रिश्तेदारके यहाँ जाना । करनेवाला, आदाब बज़ानेवाला। पु० दे० 'पाबोसी' । --फैलाना-अधिक पानेके लिए प्रयत्न करना; अधिक -बोसी-स्त्री० पाँव चूमना या छूना, प्रणमन; खातिर, पानेका लोभ करना। -बढ़ाना-और अधिक वेगसे ताजीम । -माल-वि० पैरों तले रौंदा हुआ, पददलित; चलना; कब्जा करना । -भारी होना-गर्भवती होना । तबाह, बरबाद (करना, होनाके साथ)। -माली-स्त्री० (किसीसे)-भीन धुलवाना-अति तुच्छ समझना। पैरोंके नीचे रौंदना . या रौदवाना; तबाही, बरबादी । -में बेड़ी पड़ना-जंजाल में फंसना। -मैं मैंहदी -याब-वि०जो हलकर पार किया जा सके, कम गहरा । लगना-कोई काम करनेके लिए बाहर न जाना। -याबी-स्त्री० पायाब होना, उथलापन। -रोपना*-प्रण करना; बाजी लगाना। -लगना-पाइ-पु० पैर, पाँव ।। चरण छूकर प्रणाम करना। -समेटना-पैर सिकोड़ना पाइक*-पु० दे० 'पायक' । पृथक् रहना। -से पाँव बाँधकर रखना-सदा अपने पाइका-पु० [अं॰] एक प्रकारका छापेका टाइप जो १/६ पास या देखरेख में रखना, कभी पाससे या आँखोंके | इंच चौड़ा होता है। सामनेसे हटने न देना।
पाइट-पु० बाँस आदिका बना हुआ वह ढाँचा जिसपर पाँवड़ा-पु० वह कपड़ा जो किसी आदरणीय व्यक्तिके पाँव चढ़कर दीवार चुनी जाती है।
रखकर चलनेके लिए उसके मार्गमें बिछाया जाता है। पाहतरी*-स्त्री० पलंगका पैरकी ओरका भाग, पैताना । पाँवड़ी-स्त्री० खड़ाऊँ; * जूता; गोटा-पट्ठा बिननेका एक पाइप-पु० [अं०] नल; नली; पानीकी कल; एक बाँसुरी काठका आला।
जैसा बाजा; हुक्केकी निगाली। पाँवर*-वि० नीच; तुच्छ, क्षुद्रः मूर्ख । पु० दे० 'पाँवड़ा'। पाइमाल*-वि० दे० 'पामाल' । पाँवरी*-स्त्री० दे० 'पाँवड़ी'; सीढ़ी; ड्योढ़ी; बैठक । पाइल-पु० पायल, पाजेब । पांशु, पांसु-स्त्री० [सं०] धूल, धूलिकण; गोबरकी खादा पाई-स्त्री० घेरा बनाते हुए नाचने या घूमनेकी क्रिया पाँगा नमक।
बॉसकी तीलियों या बेंतका एक प्रकारका ढाँचा जिसपर पांशुला, पांसुला-स्त्री० [सं०] पुंश्चली, व्यभिचारिणी तानेका सूत फैलाकर जुलाहे उसे माजते है, टिकठी;
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