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पूंछलतारा-पूपला पूंछलतारा-पु० दे० 'पुच्छलतारा'।
हो, पूज्य । पूजी-स्त्री० किसी व्यवसायमें लगाया हुआ धन, वह धन | पूजयितव्य-वि० [सं०] पूजा करने योग्य । जिससे कोई व्यवसाय आरंभ किया गया हो; मूल धन; | पूजयिता(त)-वि०, पु० [सं०] पूजा करनेवाला । जोड़ा, बटोरा हुआ धन, संचित धन; रुपया-पैसा, द्रव्यः पूजा-स्त्री० [सं०] पत्र, पुष्प, गंध आदिके समर्पणके साथ किसी विषयका शान, विद्या-बुद्धि; * समूह, ढेर । ईश्वर या विशिष्ट देवताका ध्यान, स्मरण आदि करनेका -गतव्यय-पु० (कैपिटल एक्सपेंडिचर) उत्पादक कार्यों- कृत्य, अर्चन; सत्कार, आवभगत, संभावना; घूस देना, के लिए-जैसे रेलों, नहरों इत्यादिके निर्माणार्थ-किया जेब गरम करना (ला०);ताड़न, पिटाई (व्यंग्य)।-करजानेवाला व्यय । -दार-पु० दे० 'पूँजीपति' ।-पति- वि, पु० पूजा करनेवाला। -गृह-पु० मंदिर, देवालयः पु० वह धनी व्यक्ति जो उद्योग और व्यवसायमें पूँजी उपासना-मंदिर । लगाकर अपनी जीविका चलाता हो, कारखानेदार; धनी | पूजाई-वि० [सं०] पूजाके योग्य, पूजनीय; सत्कारके व्यक्ति । -वाद-पु. वह व्यवस्था जिसमें धनियोंका। | योग्य, मान्य । वर्ग उत्पादनके साधनोंपर अधिकार कर श्रमिकोंका शोषण पूजित-वि० [सं०] जिसकी पूजा की गयी हो, अचिंत; करता है (कैपिटलिज्म)। -वादी-वि० पूँजीवादके जिसका सत्कार किया गया हो, सत्कृत; माना हुआ, सिद्धातोंका प्रयोग करनेवाला ।
स्वीकृत। पूआ-पु० दे० 'पुआ'।
पूजितव्य-वि० [सं०] पूजाके योग्य, पूजनीय । पूग-पु० [सं०] सुपारीका पेड़ या उसका फल; कटहलका | पूजोपकरण-पु० [सं०] देवताकी पूजाके लिए आवश्यक पेड़ या फल; संघ; समूह राशि स्वभाव, प्रकृति ।-पात्र-| वस्तुएँ। पु० पीकदान; पानदान । -पुष्पिका-स्त्री० विवाह-संबंध पूज्य-वि० [सं०] पूजा करने योग्य; सत्कारके योग्य; पक्का होनेपर दिया जानेवाला पान-फूल । -पोट-पु० | मान्य, आदरणीय । -पाद-वि० जिसके चरण पूजनीय सुपारीका नया पेड़। -फल-पु० सुपारी। -रोट-पु० | हों, अति पूज्य । हिंतालका पेड़ । -वैर-पु. वह विरोध, शत्रुता जो बहुत- | पूज्यमान-वि० [सं०] जो पूजित हो रहा हो, पूजा जाता से लोगोंसे हो।
हुआ । पूगना*-अ० क्रि० पूरा होना-'साई संग साध नहिं पूठि*-स्त्री० पीठ । पूगी'-कबीर।
पूड़ी-स्त्री० तबले या मृदंगके मुँहपर मदा हुआ चमड़ा; पूगी-स्त्री० [सं०] सुपारीका पेड़ सुपारी। -फल-पु० दे० 'पूरी'। सुपारी। -लता-स्त्री० सुपारीका पेड़।
पूत-पु० पुत्र, बेटा; [सं०] सत्य; शंख, श्वेत कुश कठेर पूछ-स्त्री० पूछने, पूछे जानेका भाव या क्रिया; खोज | नामका पेड़ । वि० पवित्र किया हुआ, शुद्ध साफ किया कद्र, आदर; माँग (वस्तुके लिए)। -गछ-स्त्री० दे० | हुआ (अन्न); बदबूदार; आविष्कृत ।। 'पूछताछ' । -ताछ,-पाछ-स्त्री० किसी बातकी पकी पूतड़ा-पु० छोटे बच्चेका छोटा बिस्तर।। जानकारीके लिए उसके विषयमें अनेक व्यक्तियोंसे कई पूतन-पु० [सं०] भूतयोनिकी एक जाति या भेद, बेताल । प्रकारके प्रश्न पूछना।
पूतना-स्त्री० [सं०] एक प्रसिद्ध राक्षभी जिसे कंसने कृष्णको पूछना-सक्रि० किसी वस्तुके संबंधमें किसीसे कोई प्रश्न मारनेके लिए नंदके घर भेजा था; बालकोंका एक क्षुद्र करना, किसी बातकी जिज्ञासासे कोई प्रश्न करना; किसी- रोग। की कुशल आदिके विषयमें प्रश्न करना; खोज-खबर लेना; पूतनारि-पु० [सं०] कृष्ण । कद्र करना; टोकना; जवाब तलब करना ।
| पूतरा*-पु० दे० 'पुतला'; पुत्र, बेटा । पूछरी*-स्त्री० पूँछ पिछला भाग; गोवर्धन पहाड़का अंतिम पूता-स्त्री० [सं०] दुर्गा । पु० बेटा, पुत्र । भाग।
पूतात्मा(त्मन्)-वि० [सं०] शुद्ध अंत:करणवाला । पूछाताछी, पृछापाछी-स्त्री० पूछताछ करनेकी क्रिया। पु० विष्णु; संत । पूजक-पु० [सं०] पूजा करनेवाला, उपासक । पूति-स्त्री० [सं०] पवित्रता, शुद्धता; दुर्गंध, बदबू; रोहिष पूजन-पु० [सं०] पूजनेकी क्रिया, अर्चन; सत्कार ।। तृण; गंधमार्जार; गंदा पानी; पूय ।। पूजना-स० क्रि० पत्र, पुष्प, गंध, फल, जल आदि सम- | पूती-स्त्री० गाँठदार जड़, लहसुनकी गाँठ । पित करके ईश्वर या किसी विशिष्ट देवताका ध्यान, | पून-वि० [सं०] नष्ट; * पूर्ण । स्मरण, स्तवन आदि करना, ईश्वर या किसी देवताका पूनव-स्त्री० दे० 'पूनो'। अर्चन, आराधन करना; सत्कार करना, आवभगत करना; | पूनिउँ*-स्त्री० दे० 'पूनो' । घस देना, जेब गरम करना (ला०)। अ० क्रि० पूरा पूनी-स्त्री० धुनी हुई रुईकी मोटी बत्ती जो सूत कातनेक होना; घाव, गड्ढेका भरकर बराबर होना; बराबरीका | काम आती है। या समतुल्य होना-'सेरसाहि सरि पूज न केऊ'-प० पूनो*-स्त्री० पूर्णिमा। बेबाक किया जाना, चुकता होना।।
पून्यो-स्त्री० दे० 'पूनो'। पूजनीय-वि० [सं०] पूजा करने योग्य; आदरके योग्य । पूप-पु० [सं०] पूआ ।-शाला-स्त्री० नानबाईकी दकान । पूजमान-वि० पूजित होनेवाला, जिसकी पूजा की जाती | पूपला, पूपलिका, पूपली, पूपाली, पूपिका-स्त्री० [सं०]
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