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पुरबी-पुरुषाधम
पुरबी | - वि० दे० 'पूरबी' ।
पुरवइया - स्त्री० पूरब की ओरसे बहनेवाली हवा, पुरवा । पुरवना* - स० क्रि० भरना, पुजाना; पूर्ण करना, पूरा करना । अ० क्रि० पूरा होना; पर्याप्त होना । पुरवा - स्त्री० पूरबकी ओर से बहनेवाली हवा | पु० बैलोंका एक रोग जो पुरवा हवा लगनेसे होता है; मिट्टीका गिलास जैसा बरतन, कुल्हड़; * छोटा गाँव, टोला, खेड़ा । पुरवाई - स्त्री० पुरवा हवा ।
पुरवैया - स्त्री० दे० ' पुरवइया' ।
पुरश्चरण-पु० [सं०] आरंभिक कृत्य; हवन करते हुए किसी देवताका नाम या मंत्र जपना; गुरुसे प्राप्त किये हुए मंत्रका वह सविधि जप जो उसे सिद्ध करनेके लिए किया जाय । पुरश्चर्या स्त्री० [सं०] दे० 'पुरश्चरण' । पुरषा* - पु० दे० 'पुरखा' ।
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पुरस, पुस - वि० [फा०] पूछने या खोज-खबर लेनेवाला । पुरसा - पु० ऊँचाई, गहराईकी एक माप जो मानमें हाथ उठाकर खड़े हुए मनुष्य के बराबर होती है । पुरस्- अ० [सं०] सामने, समक्ष; आगे, पहले ।- करण० पुरस्कृत करनेकी क्रिया, आगे करना या रखना; पूरा करना; दे० 'पुरस्कार' । - कार - पु० आगे करना या रखना; आदर, सम्मान; पूजन; स्वीकार; उपहार भेंट; पारितोषिक, इनाम (बँ०, हिं० ); पारिश्रमिक (हिं०) । - कृत - वि० आगे किया हुआ या रखा हुआ; आहत, सम्मानित; पूजित; स्वीकार किया हुआ, स्वीकृत, जिसे पुरस्कार दिया गया हो या मिला हो ( बँ०, हिं० ) । - क्रिया- स्त्री० आरंभिक कृत्य; आदर करना, सम्मान करना । - सर - वि० आगे चलनेवाला, अग्रगामी; सहित, उपेत (समास में) । पु० नेता, अग्रणी, अगुआ; अनुचर । पुरस्तात् - अ० [सं०] अगे, सामने; पहले, आरंभ में । पुरहूत* पु० पुरुहूत, इंद्र ।
पुरा- पु० बस्ती, गाँव । अ० [सं०] प्राचीन काल में, पहले; अबतक । - कथा - स्त्री० प्राचीन कथा, इतिहास । -कृतवि० पहलेका किया हुआ; पूर्वजन्ममें किया हुआ । पु० पूर्वजन्मका कर्म । - तत्व - पु० पुरानी बातोंके अनुसंधान तथा अध्ययन से संबंध रखनेवाली विशेष प्रकारकी विद्या । - लिपि - स्त्री० पुरातन काल में प्रचलित लिपि । - लेख - पु० ( आरकाइब्ज) पुराने सरकारी अभिलेख | - लेख - पाल - पु० ( आर्काइविस्ट ) राज्यके पुराने अभिलेखों आदिको सुरक्षित रूप से रखनेवाला अधिकारी । -वसु-पु०भीष्म । -विद् - वि० पुरानी बातोंको जाननेवाला; प्राचीन इतिहास जाननेवाला । - वृत्त-पु० प्राचीन वार्ता; इतिहास | वि० प्राचीन, पुराना ।
पुराण - वि० [सं०] प्राचीन, पुराना; जीर्ण-शीर्ण । पु०प्राचीन वृत्तांत; हिंदुओंके विशिष्ट धर्मग्रंथ जिनमें संसारका सृष्टिसे लेकर प्रलयतकका इतिहास वर्णित है, सृष्टि, लय, मन्वंतरों तथा प्राचीन ऋषियों, मुनियों और राजाओं के वंशों तथा चरितोंके वर्णनसे युक्त प्रसिद्ध हिंदू धर्मग्रंथ (जो अठारह हैं); कार्षापण; अठारहकी संख्या; शिव । - पुरुष - पु० वृद्ध मनुष्यः विष्णु । पुरातन - वि० [सं०] प्राचीन, पुराना; जो सबसे पहिले
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हुआ हो, आद्य (जैसे- पुरातन पुरुष ) । - पुरुष - पु० विष्णु । पुराधिप, पुराध्यक्ष - पु० [सं०] नगर के शासन, रक्षण आदिका प्रबंध करनेवाला प्रधान अधिकारी । पुराना - वि० दे० 'पुराना' । पु० दे० पुराण' । पुराना - वि० जिसकी सत्ता बहुत पहले से हो, बहुत दिनोंका, नयाका उलटा; बीता हुआ; जो बहुत पहले बीत चुका हो; प्राचीन, विगत कालका; बहुत पहले बीते हुए समयका; जो दिनी होने के कारण अच्छी दशामें न हो, जीर्ण; जिसे किसी बातका पूरा अनुभव हो, पूर्ण अनुभवी; परित-बुद्धि, पक्का; सधा हुआ, मँजा हुआ; सिद्ध (पुराना हाथ ); जिसका रिवाज उठ गया हो; जिसका समय अब न हो; समयका । स०क्रि० किसीसे पूरनेका काम कराना; पूरा कराना; भरवाना; * पालन कराना; पूरा करना, भरना; * सिद्ध कराना, पूर्ण कराना; * आटे, अबीर आदिसे (चौक) बनवाना; इस प्रकार बाँटना कि कोई बिना पाये न रहे, अँटाना । पुराराति, पुरारि - पु० [सं०] शिव । पुराल* - पु० दे० 'पयाल' |
पुरिखा, पुरिषा* - पु० पूर्वपुरुष, पुरखा । पुरिया - स्त्री० बाना फैलानेकी नरी; ताना; + पुड़िया । पुरिष* - पु० दे० 'पुरीष' |
पुरी - स्त्री० [सं०] नगरी, शहर; नदी; शरीर; किला । पुरीष-पु० [सं०] विष्ठा, गू; कूड़ा; जल (निघंटु) । पुरीषण - पु० [सं०] विष्ठा; मलत्याग करना । पुरीषोत्सर्ग - पु० [सं०] मलत्याग |
पुरु- पु० [सं०] देवलोक, स्वर्ग; एक दैत्य जिसे इंद्रने मारा था; राजा ययातिका कनिष्ठ पुत्र जिसने अपने पिताको अपना यौवन समर्पित कर दिया था। वि० प्रचुर । -हूत - पु० इंद्र |
पुरुख* - पु० पुरुष । पुरुखा- पु० दे० 'पुरखा' |
पुरुष-पु० [सं०] मर्द, नर, स्त्रीका उलटा; मानव जाति; सूर्य; आत्मा; सांख्यके अनुसार वह मुख्य तत्त्व जिसके संयोगसे प्रकृति विश्वकी सृष्टि करती है; परमात्मा; विष्णु; संसारका आदि कारणभूत परम पुरुष ( पुरुषसूक्त); शिव; जीव; कर्मचारी ( राजपुरुष ); ऊँचाई या गहराई की एक प्राचीन माप जो पुरुष या १२० अंगुलके बराबर होती थी; * पूर्वपुरुष, पुरखा। - कार - पु० पुरुषार्थ, पौरुष, उद्योग । - केशरी (रिन् ), - केसरी (रिन् ) - पु० वह जो पुरुषोंमें सिंहके समान हो, सिंहके समान पराक्रमी पुरुष; विष्णुका नृसिंहावतार। -घ्नी- वि० स्त्री० पतिकी हत्या करनेवाली । - द्वेषिणी - स्त्री० अपने पति - से बैर रखनेवाली स्त्री । - द्वेषी ( पिन्) - वि० मनुष्य से द्वेष करनेवाला । - पुर-पु० गांधारको प्राचीन राजधानी, वर्तमान पेशावर । व्याघ्र - शार्दूल - पु० वह जो पुरुषों में सिंहके समान हो, सिंहके समान पराक्रमी पुरुष । पुरुषत्व - पु० [सं०] पुरुषका भाव । पुरुषांग - पु० [सं०] पुरुषकी लिंगेंद्रिय । पुरुषाद, पुरुषादक- पु० [सं०] नरभक्षक, राक्षस । पुरुषाधम- पु० [सं०] नीच मनुष्य ।
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