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पकरना - पखवाड़ा
पकरना * - स० क्रि० दे० 'पकड़ना' ।
पकवान - पु० घी या तेलमें तली हुई भोज्य वस्तु 1: पकवाना - स० क्रि० पकाने में प्रवृत्त करना । पकाई - स्त्री० पकने, पकानेकी क्रिया, भाव या उजरत । पकाना - स०क्रि० अनाज, फल आदिको पकनेकी अवस्थाको पहुँचाना; आँच पहुँचाकर कड़ा और लाल करना; आँच या गरमी पहुँचाकर गलाना या नरम करना, सिझाना, चुराना; उबालना; सफेद करना या बनाना; फोड़ा, फुंसी या घावको मवाद भर आनेकी अवस्थाको पहुँचाना । पकाव - पु० पकनेका भाव; मवाद ।
पकावन* - पु० पकवान । पकौड़ा - पु० बड़ी पकौड़ी ।
पकौड़ी - स्त्री० घी, तेलमें तली हुई बेसन या पीठीकी बरी । पक्का - वि० पका हुआ, कच्चाका उलटा; जिसमें कोई कमी न रह गयी हो, पूर्णताको प्राप्त, पूरा; जिसमें हीर पड़ गया हो, परिपुष्ट; जो आँच पाकर कड़ा और लाल हो गया हो; मँजा हुआ, सिद्ध; सुडौल और एक जैसा जिसमें कहीं विषमता न हो; निपुण, निष्णात; आँचपर गलाया या नरम किया हुआ, जो सीझ चुका हो, राँधा हुआ; पूर्ण रूपसे पकाया और साफ किया हुआ; ठहराऊ, अचल, सुहृद; ईंट या पत्थरका बना हुआ; जिसमें सुरखी चूना आदिका उपयोग हो; जिसपर कंकड़-पत्थर बिछाया गया हो; घीमें पका हुआ, घृतपक्क (पक्की रसोई); उबाला हुआ, औटा हुआ; स्वास्थ्यवर्द्धक (पक्का पानी); जिसमें खालिस सोने-चाँदी के तार लगे हों, जो नकली न हो ( पक्का काम ) ; निश्चित; जो प्रमाणरूप माना जाय, टकसाली; जिसमें हेर-फेर न किया जा सके; जो हर तरहसे ठीक हो; जिसपर लिखी हुई बात कानूनके विरुद्ध न हो; जो कभी छूट न सके (पक्का रंग); अच्छी तरह जाँचा हुआ; जिसमें अच्छी तरह जाँचा हुआ हिसाब दर्ज किया गया हो (पक्की बही ) । - गाना - पु० शास्त्रीय संगीत ।
पक्खर* - स्त्री० दे० 'पाखर' । वि० पक्का, हढ़; प्रखर, तीक्ष्ण; प्रचंड; तेज |
पक्क - वि० [सं० ) पका हुआ; पकाया हुआ; अनुभवी; ढ़, पुष्ट; सफेद (बाल); पूर्णतः विकसित । पु० पकाया हुआ भोजन । -कृत-पु० नीम; पकानेवाला, पाककर्ता ।केश - वि० जिसके बाल पक गये हों । पक्कता - स्त्री०, पक्कत्व - पु० [सं०] पक्क होने का भाव । पक्कातिसार - पु० [सं०] अतिसारके पाँच भेदोंमेंसे एक । पक्काधान- पु० [सं०] पाचन संस्थानका वह भाग जहाँ आहार पचता है, आमाशय, जठर ।
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वादी या प्रतिवादीके संबंध में अनुकूलताकी स्थिति; चांद्र मासके दो भागों में से एकः वह वस्तु जिसमें साध्यकी स्थिति संदिग्ध हो (न्या० ) ; समूह (केवल समासमें - केश पक्ष ); वर्गविशेष, दलविशेषः अनुयायी; सहायक; अनुयायियों या सहायकों का दल; किसी विषय के संबंध में विभिन्न मत रखनेवालोंका विशिष्ट वर्ग या दल; वादियों या प्रतिवादियोंका दल; पंख, पर; बाणमें लगा हुआ पर; शरीरका अर्द्धभाग; दोकी संख्या; सेना; सखा; चूरहेका मुँह; शरीर; संबंध; हक; पक्षी; हाथका कड़ा। - ग्रहण - पु० दो पक्षों में से किसी एकको अंगीकार करना । - द्वार - पु० चोर दरवाजा। -पात-पु० न्याय-अन्यायका विचार त्यागकर किसीका पक्ष ग्रहण करना, तरफदारी, अधिक चाह; पंख या परका संचालन । - पातिता - स्त्री०, - पातित्व-पु० पक्षपाती होनेका भाव, तरफदारी, पक्षग्रहण - पाती ( तिनू ) - वि० पक्षपात करनेवाला, तरफदार ।
पक्ष ( सू ) - पु० [सं०] पंख; रथादिका पार्श्व; दरवाजेका पल्ला; सेनाका पार्श्वः अर्द्धभाग; मासार्द्ध; नदीका किनारा । पक्षांत-पु० [सं०] अमावस्या; पूर्णिमा । पक्षांतर - पु० [सं०] दूसरा पक्ष | पक्षाघात - पु० [सं०] एक वातरोग जिसमें शरीरका बायाँ या दाना भाग बेकाम हो जाता है, लकवा | पक्षिणी-स्त्री० [सं०] मादा पक्षी; पूर्णिमा । पक्षी ( क्षिन् ) - पु० [सं०] चिड़िया; बाण; शिव । वि० पंखवाला; पक्ष ग्रहण करनेवाला, तरफदार । -पतिपु० संपति, जटायुका भाई । - राज, सिंह, - स्वामी ( मिनू ) - ५० गरुड़ | - बालक, - शावक - पु० चिड़िया का बच्चा । - शाला - स्त्री० चिड़ियाखाना; घोंसला; पिंजड़ा |
पक्षीय - वि० [सं०] पक्ष-संबंधी; पक्षका (समासांत में ) । पक्ष्म ( न् ) - पु० [सं०] बरौनी; (फूलका) केसर; पर, पंख । - कोप, प्रकोप - पु० आँख गड़नेका एक रोग जो बरौनी के बालोंके आँख में घुसे रहने से होता है । पक्ष्मल- वि० [सं०] लंबी, सुंदर बरौनीवाला; बालदार । पखंड - पु० दे० 'पाखंड' |
पखंडी - वि० दे० पाखंडी' । * पु० कठपुतली नचानेवाला । पख - स्त्री० दे० 'पख' । पु० पाख । पख-स्त्री० [फा०] प्रतिबंध; शर्त; झगड़ा; ऐब; नुक्स; फसाद; रोक; अड़ंगा; बकवास । मु०-लगाना - शर्त या कैद लगाना; प्रतिबंध या रोक लगाना; रोड़ा अटकाना; अड़ंगा लगाना। -निकालना - दोष दिखाना, नुक्स निकालना ।
पक्कान्न - पु० [सं०] पकाया हुआ अन्न; पकवान ।
पक्काशय - पु० [सं०] दे० 'पक्काधान' |
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पक्ष - पु० [सं०] किसी वस्तुका दायाँ या बायाँ भाग; सेना, मकान आदिका आगे की ओर बढ़ा हुआ दायाँ या बायाँ | भाग; पार्श्व, बगल; हाथी या घोड़ेका दाहिना या बायाँ पार्श्व; ओर, तरफ; किसी विषयका कोई अंग; किसी विषयके दो पहलुओंमें से कोई एक जिसका खंडन या मंडन किया जाय, विचारणीय विषयको कोई कोटि; किसी वस्तुके प्रति किसीकी अनुकूलता या समर्थनकी स्थिति; | पखवाड़ा। - पु० दे० 'पखवारा' |
पखड़ी - स्त्री० दे० 'खड़ी' । पखपान-पु० पाँवका एक गहना ।
पखरना * - स० क्रि० पखारना, धोना ।
पखरवाना - स० क्रि० पखारने में प्रवृत्त करना । पखराना * - स० क्रि० पखरवाना, धुलवाना | पखरैत - पु० वह घोड़ा, हाथी या बैल जिसपर पाखर डाली गयी हो ।
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