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परीखना-पर्णक
४६० नियुक्ति अभी पक्की न हुई हो, वरन् जो अभी परीक्षण- आदिसे पारसलके रूपमें अपना माल किसी अन्य स्थानमें कालमें हो।
रहनेवाले व्यक्तिके पास भेजे । परीखना*-स० क्रि० परखना, जाँचना ।
परेपणी-पु० (कॉनसाइनी) वह व्यक्ति जिसके पास कोई परीच्छित*-वि० दे० 'परीक्षित'। पु० दे० 'परीक्षित्'। माल रेलपार्सल द्वारा भेजा जाय । अ० अवश्य ही।
परेषित-वि० [सं०] (कॉनसाइंड) (वह माल) जो रेलगाड़ी परीछत*-पु० दे० 'परीक्षित् ।
इत्यादिसे पारसलके रूपमें अन्य किसीके पास भेजा गया हो। परीछना*-स० क्रि० परीक्षा लेना (मुद्रा०)।
परेस-पु० दे० 'परेश' । परीछा*-स्त्री० दे० 'परीक्षा'।
परौं*-अ० दे० 'परसों'। परीछित*-वि० दे० 'परीक्षित' । पु० राजा परीक्षित् । परोक्तदोष-पु० [सं०] न्यायालयमें ऊटपटाँग बयान देनेपरीत*-पु० दे० 'प्रेत'।
का अपराध । परीरंभ-पु० [सं०] आलिंगन ।
परोक्ष-वि० [सं०] जो आँखोंके सामने न हो; जो नेत्रका परीशान-वि० दे० 'परेशान' ।
विषय न हो, अप्रत्यक्ष अनुपस्थित छिपा हुआ, अलक्षित, परीसना*-स० क्रि० स्पर्श करना ।
गुप्त; अज्ञात । पु. वर्तमान न होनेकी स्थिति, अनुपरीहार-पु० [सं०] दे० 'परिहार' ।
पस्थिति पूर्ण भूतकाल (संस्कृत व्या०)। -निर्वाचनपरीहास-पु० [सं०] दे० 'परिहास' ।
पु० (इनडाइरेक्ट इलेक्शन) सीधे जनताके मतदान द्वारा परु-अ० पिछला या अगला साल ।
नहीं, वरन् निर्वाचन-मंडलों, नगर पालिकाओं आदि परुई।-स्त्री० भड़भूजेकी अनाज भूननेकी नाँद । द्वारा किया जानेवाला चुनाव । -भोग-पु० किसी परुख-वि० दे० 'परुष' ।
वस्तुका ऐसा भोग जो उसके स्वामीकी अनुपस्थिति में परुखाई*-स्त्री० परुषता, कठोरता ।
किया जाय । -वृत्ति-स्त्री० अज्ञात जीवन । वि० अज्ञात परुत्-अ० [सं०] गत वर्ष ।
रूपसे रहनेवाला। परुष-वि० [सं०] कठोर, कड़ा रूखा; कर्कश; बुरा लगने परोना*-स० क्रि० दे० 'पिरोना'। वाला; तीव्र, उग्र (वायु आदि); कठोर हृदयवाला,दयाहीन; परोपकार-पु० [सं०] दूसरेकी भलाई । नीरस, रसहीन; गंदा चितकबरा । पु० कड़ी बात,दुर्वचन। परोपकारी (रिन)-वि० [सं०] दूसरेकी भलाई करनेवाला।
-वचन-पु० कठोर वचन, कड़ी बात, अप्रिय बात। परोपजीवी (विन)-वि० [सं०] (पैरासाइ2) दूसरोंपर परुषाक्षर-वि० [सं०] जिसमें रूखे शब्दोंका प्रयोग हो । आश्रित रहकर जीवित रहनेवाला। पु० वह वनस्पति या
कड़े शब्दों में कहा हुआ; कड़े शब्द प्रयोगमें लानेवाला।। जंतु जो किसी अन्य विटप या जंतुके शरीरसे लिपटकर परुषावृत्ति-स्त्री० [सं०] काव्यकी तीन वृत्तियोंमेंसे एक उसका रस या रक्त चूसकर परिपुष्ट हो। जिसमें ट, ठ, ड, ढ वर्णों, लंबे समासों और ऐसे संयुक्त परोपदेश-पुं० [सं०] दूसरेको उपदेश देना। वर्णों की योजना होती है जो कठोर होते है।
परोरा-पु० परवल ।। परुषोक्ति-स्त्री० [सं०] निष्ठुर वचन, कड़ी या लगनेवाली परोस-पु० दे० 'पड़ोस । बात।
परोसना -स० कि० खानेवालोंको सामने भोज्य वस्तुएँ परसना*-स० क्रि० दे० 'परसना'।
रखना। परे-अ० उस ओर; और आगे बहुत दूर, ऊर्ध्व, ऊपर परोसा -पु० पत्तल या थाली में रखा हुआ एक व्यक्तिके
बाद; बाहर । मु०-बिठाना-परास्त करना,मात करना। खानेभरका भोजन जो भोजमें सम्मिलित न होनेवालेके परेई-स्त्री० परेवाकी मादा; पंडुकी ।
यहाँ भेजा जाता है। परेखना-स० क्रि० अच्छी तरह देखना-भालना, परीक्षा परोसी -पु० दे० 'पड़ोसी' । करना, जाँचना; * प्रतीक्षा करना ।
परोहन-पु०सवारी याबोझ लादनेके काम आनेवाला पश। परेखा*-पु० परीक्षा, जाँच; पश्चात्ताप; विश्वास । परी--अ० दे० 'परसों'। परेत-वि० [सं०] मरा हुआ, मृत । पु० दे० 'प्रत। परीठा-पु० दे० 'पराँठा'।
-भारत)-पु० यमराज ।-भूमि-स्त्री० श्मशान। पर्चा-पु० दे० 'परचा' । परेता-पु० सूत लपेटनेके कामका जुलाहोंका एक आला; पर्चाना-स० क्रि० दे० 'परचाना' । बाँसकी पतली, चपटी तीलियोंसे तैयार किया जानेवाला पर्जक*-पु० दे० 'पर्यक'। वह बेलन जिसपर पतंगकी डोर लपेटी जाती है। पर्जन्य-पु० [सं०] मेघ, बादल; वर्षा; इंद्र । परेर*-पु० आकाश।
पर्ण-पु० [सं०] पत्ता; पर; बाणका पंख पान; पलाशका परेवा-पु० कबूतर, पंडुक कोई तेज उड़नेवाला पक्षी; शीघ्र- पेड़ । -कार-पु० बरई, तंबोली। -कुटिका,-कुटी
गामी पत्रवाहक, तेज चलनेवाला हरकारा। [स्त्री० परेई'1] | स्त्री० पत्तोंकी बनी कुटिया। -भोजनी-स्त्री० बकरी । परेश-पु० [सं०] परमात्मा, परमेश्वर ।।
-शय्या-स्त्री० पत्तोंका बिस्तर, पत्तोंका बिछावन । परेशान-वि० [फा०] उद्विग्न, व्याकुल; हैरान । -शाला-स्त्री० पर्णकुटी। परेशानी-स्त्री० [फा०] उद्विग्नता, व्याकुलता। पर्णक-पु० [सं०] (लीफ्लेट) कागजका छपा हुआ टुकड़ा परेषक-पु० [सं०] (कॉनसाइनर) वह व्यक्ति जो रेलगाड़ी जो लोगों में प्रायः विना मूल्य वितरणके लिए हो ।
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