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पतिआना-पत्थर -सेवा-स्त्री० पतिभक्ति ।
कोई खटका होना । -तोड़कर भागना-बेतहाशा पतिआना-स० क्रि० दे० 'पतियाना'।
भागना। -न हिलना-जरा भी हवा न चलना । - पतिवार, पतिआरा*-पु० विश्वास, प्रतीति ।
हो जाना-चटपट गायब हो जाना। पतित-वि० [सं०] गिरा हुआ; जाति, धर्म आदिसे च्युत पत्ति-पु० [सं०] पैदल चलनेवाला यात्री पैदल सिपाही, आचारभ्रष्ट; महापातकी, बहुत नीचा पराजित; अत्यंत पदाति; योद्धा, वीर । स्त्री०सेनाका सबसे छोटा विभाग। अपावन । -उधारन*-वि० पतितोंको तारनेवाला; जो -पाल-पु. पाँच या छः सिपाहियोंका सरगना या पतित जनोंको सुगति दे। पु० ईश्वर; सगुण ब्रह्म जो नायक । -व्यूह-पु० वह व्यूह जिसमें भागे कवचधारी
पतित जनोंको तारनेके लिए अवतीर्ण होता है।-पावन- सैनिक हों और पीछे धनुर्धर । -संहति-स्त्री०, सैन्य.वि. पतितको पवित्र करनेवाला; जो पतितका उद्धार पु० पैदल सेना। करे । पु० ईश्वर ।
पत्तिक-वि० [सं०] पैदल चलनेवाला । पतिनी-स्त्री० दे० 'पत्नी'।
पत्ती-स्त्री. छोटा पत्ता; साझेका हिस्सा, भाग; साझा पतिया-स्त्री० पत्री, चिट्टी।
पँखड़ी; भाँग पत्तीके आकारका कटा हुआ लकड़ी, धातु पतियाना*-स० क्रि० विश्वास करना; विश्वसनीय सम- आदिका टुकड़ा जो कहीं जड़ा, लगाया या लटकाया झना, सच्चा या ठीक मानना ।
जाय । -दार-पु. वह व्यक्ति जिसका किसी संयुक्त पतियारी-पु० विश्वास, एतवार । वि० विश्वसनीय ।। _संपत्ति या व्यवसायमें साझा हो, हिस्सेदार । पतियारा*-पु० विश्वास, एतबार ।
पत्ती(त्तिन)-पु० [सं०] पैदल सिपाही, प्यादा; पैदल पतिवंती*-वि० स्त्री० सधवा; जिसका पति जीवित हो।। चलने या यात्रा करनेवाला। पतीजना*-स० क्रि० विश्वास करना, पतियाना। पत्थ*-पु० दे० 'पथ्य' । पतीर*-स्त्री० पंक्ति, पाँत ।
पत्थर-पु० पृथ्वीका कड़ा स्तर; वह द्रव्य जिससे पृथ्वीका पतीला-वि० पतला।
कड़ा स्तर बना होता है। इसका कोई टुकड़ा; मीलकी पतीली-स्त्री० एक प्रकारकी पीतल आदिकी चौड़े मुँह और संख्या सूचित करनेके लिए सड़क किनारे गाढ़ा जाने. पेंदेकी चिपटी बटलोई।
वाला पत्थरका टुकड़ा, सीमा या हद निर्धारित करनेके पतुकी*-स्त्री० पतीली इंटी।
लिए गाड़ा जानेवाला पत्थरका टुकड़ा; भोला हीरापतुरिया -स्त्री० वेश्या, रंडी; कुलटा ।
जवाहर आदि; पत्थरकेसे स्वभाव या गुणसे युक्त वस्तु; पतूख, पत्खी *-स्त्री० दे० 'पतीखी' ।
वह बस्तु जो कठोरता, भारीपन आदिमें पत्थरके समान पतोखद, पतोखदी-स्त्री० किसी वृक्ष, पौधे या धास आदि- हो; कुछ नहीं, खाक (ला०) । -कला-स्त्री० एक प्रकारके फूल, पत्ते आदिसे बनी दवा, खरबिरई ।
की पुराने ढंगकी बंदूक, तोड़ेदार बंदूक । -चटा-पु० एक पतोखा-पु० पत्तेका बना दोना पत्तांसे बनी छतरी । प्रकारकी घास पत्थर चाटनेवाला एक प्रकारका साँप; एक पतोखी-स्त्री० छोटा पतोखा।
तरहकी मछली; कंजूस आदमी। -पानी-पु० आँधी. पतोहा, पतोहू-स्त्री० पुत्रवधू , पुत्रकी स्त्री।
पानी। -फोड़-पु० हुदहुद चिड़िया; एक तरहका छोटा पतीआ, पतौवा*-पु० पत्ता।
पौधा जो अधिकतर बरसातमें दीवारोंको फोड़कर निकपत्तन-पु० [सं०] नगर, शहर; मृदंग ।
लता है। -फोड़ा-पु० पत्थरका काम करनेवाला, संगपत्सर-पु० पीटकर पतला बनाया हुआ धातुका टुकड़ा जो। तराश। -बाज़-पु० पत्थर चलाकर मारनेवाला; वह कागजकी तरह किसी चीजपर चढ़ाया जाय; पत्तल । जिसे पत्थर या ढेला चलानेका अभ्यास हो । -बाज़ीपत्तल-स्त्री० थालीकी जगह उपयोगमें लानेके लिए बनाया स्त्री० पत्थर चलाकर मारनेकी क्रिया, ढेलवाही । मु०गया पत्तोंका पात्र पत्तलभर खाद्य सामग्री, परोसा पत्तल- का कलेजा या दिल-अति कठोर हृदय, ऐसा हृदय में रखी हुई खाद्य सामग्री। मु० (एक)-के खानेवाले | जिसमें करुणा, दया आदि कोमल भावोंका उदय न हो। -बहुत नजदीकी। -पढ़ना-खानेवालोंकेसामने पत्तलों- -का छापा-लीथोकी छपाई। -की छाती-घोर कष्ट का रखा जाना । -परसना-पत्तलपर खाद्य सामग्री या विषम परिस्थिमें भी न डिगनेवाला चित्त, मजबूत रखकर खानेवालेके सामने रखना। -बाँधना-कोई दिल । -की लकीर-न मिटनेवाली वस्तु, सदा बनी पहेली पूछकर उसे हल करनेके पहले भोजन न करनेकी
रहनेवाली वस्तु । -को जोक लगाना-असंभव या कसम देना । (किसीकी)-में खाना-किसीके साथ दुःसाध्य कार्य करना। -चटाना-पत्थरपर रगड़कर धार खान-पानका नाता जोड़ना या रखना । (जिस)-में तेज करना । -तलेसे हाथ निकलना-भारी कष्टसे खाना उसीमें छेद करना-उपकार करनेवालेका अप- छुटकारा मिलना। -तले हाथ आना या दबना-भारी कार करना, कृतघ्न होना ।
विपत्तिमें पड़ जाना । -निचोड़ना-किसी ऐसे व्यक्तिसे पत्ता-पु० कांड अथवा टहनीसे निकलनेवाला पेड़-पौधोंका कुछ प्राप्त करना या वसूल करना जिससे उसका मिलना वह हरा अवयव जिससे छाया होती है और जो सूख असंभव हो; किसीसे ऐसा कोई काम निकालना जो उसके जानेपर झड़ जाता है,पत्र; कानमें पहननेका एक गहना; स्वभावके विरुद्ध हो; असंभव कार्य करना। -पढ़े-मिट मोटे कागजका गोल या चौकोर टुकड़ा; पत्तर । वि० बहुत जाय, जाता रहे (गाली)। -पर दूब जमना-अनहलका (ला०)। मु०-खड़कना-किसीकी आहट मिलना, होनी बात होना । -पसीजना-निष्ठुर हृदयमें दयाका
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