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निशित- निष्कारण
अ० रात-दिन, सदैव ।
रूप 'नि' है ।
निशित - वि० [सं०] सानपर चढ़ाया हुआ, तेज किया हुआ; निषादी ( दिन ) - पु० [सं०] पीलवान, महावत ।
तेज, तीक्ष्ण । पु० लोह ।
निषिक्त - वि० [सं०] अतिरिक्त; भीतर पहुँचाया हुआ । yo वीर्य से जनित गर्भ ।
निषिद्ध - वि० [सं०] निषेध किया हुआ, जिसपर रोक लगायी गयी हो, जिसे करना आदि मना हो । निषिद्धि - स्त्री० [सं०] मनाही, रोक; बचाव । निघूदन- वि० [सं०] मारनेवाला, वध करनेवाला; नाशक ( प्रायः समास में व्यवहृत) । पु० मारण, वध; मारनेवाला । निषेक- पु० [सं०] विशेष रूपसे सींचना; गर्भ रहना, गर्भाधान; चूना, टपकना ।
निषेचन - पु० [सं०] छिड़कना; सींचना | निषेध-पु० [सं०] निषिद्ध करनेका कार्य, मनाही, रोक
निशीथ - पु० [सं०] शयन-काल; आधी रात । निशीथिनी - स्त्री० [सं०] रात्रि, रात । निशीथिनीश - पु० [सं०] चंद्रमा कपूर । निशुंभ- पु० [सं०] वध; हिंसा करना, हिंसन; तोड़ना; झुकाना; एक असुर जो शुभका भाई था और जिसका वध दुर्गाने किया था । - मथनी, मर्दिनी - स्त्री० भगवती, दुर्गा।
निशेश - पु० [सं०] दे० 'निशानाथ' । निशोत्सर्ग - पु० [सं०] प्रभात, सवेरा । निश्चंद्र - वि० [सं०] चंद्रमासे रहित । निश्चक्षु ( सू ) - वि० [सं०] नेत्रहीन | निश्चय - पु० [सं०] संदेहरहित ज्ञान; दृढ़ विचार; विश्वास; निबटारा, निर्णय, फैसला; जाँच; एक अर्थालंकार जिसमें अन्य विषयका निषेध होकर यथार्थ विषयका स्थापन हो । निश्वयात्मक - वि० [सं०] संदेहरहित, जिसमें किसी प्रकार का संशय न हो ।
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निश्चला - स्त्री० [सं०] शालपणी; पृथ्वी । निश्चायक - पु० [सं०] निश्चय करनेवाला, निर्णायक । निश्चित - वि० [सं०] जिसे किसी प्रकारकी चिंता न हो, चितारहित, बेफिक्र ।
निश्चितई * - स्त्री० निश्चित होनेका भाव, बेफिक्री । निश्चित - वि० [सं०] जिसके बारेमें निश्चय किया जा
चुका हो, निश्चय किया हुआ; जो इधर-उधर न हो सके, जिसमें किसी प्रकारका हेर-फेर न हो सके, पक्का | निश्चेतन - वि० [सं०] संज्ञाहीन, बेहोश, मूच्छित ।
निश्चेष्ट - वि० [सं०] चेष्टारहित; अचेत, मूच्छित; अचल । निश्चै* - पु० दे० 'निश्चय' ।
निश्छल - वि० [सं०] छलरहित, शुद्ध हृदयवाला, सच्चा । निश्वास - पु० [सं०] बहिर्मुख श्वास, प्राणवायुके नाकसे बाहर आनेकी क्रिया; लंबी साँस । निश्शंक - वि० [सं०] दे० 'निःशंक' |
निश्शील- वि० [सं०] शीलरहित, दुष्ट स्वभावका । निश्शेष- वि० [सं०] दे० 'निःशेष' | निषंग - पु० [सं०] तरकश, तूणीर; तलवार । निषंगी (गिन् ) - वि० [सं०] जिसके पास तरकश हो; जिसने धनुष धारण किया हो; खड्ग धारण करनेवाला । निषण्ण- वि० [सं०] बैठा हुआ, स्थित, उपविष्ट । निषदन - पु० [सं०] बैठना; निवास करना; आसन; घर । निषेध - पु० [सं०] एक पर्वत; लवके भाई कुशका एक पौत्र; जनमेजयका एक पुत्र; एक प्राचीन देश जहाँके राजा नल थे; कुरुका एक पुत्र; निपाद स्वर ।
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निश्चल - वि० [सं०] जो चल न हो, थोड़ासा भी न निषेधाज्ञा स्त्री० [सं०] दे० 'निरोधाज्ञा' ।
हिलने-डुलने वाला, अचल, स्थिर |
निषाद- पु० [सं०] एक पुरानी अनार्य जाति (मनुके अनुसार इसकी उत्पत्ति ब्राह्मण पिता और शूद्रा मातासे है); एक प्राचीन देश जिसका उल्लेख रामायण आदिमें मिलता है; संगीतके सप्तकका अंतिम स्वर जिसका संक्षिप्त ।
लगाना, बरजना; रोक, बाधा, प्रतिबंध; विधिका विलोम; इनकार; वह आज्ञा या नियम जिसके द्वारा किसी बातकी मनाही की गयी हो । -पत्र - पु० वह लिखित आदेश जिसमें किसी बातकी मनाही हो ।
निषेधक- वि० [सं०] निषेध करनेवाला, रोकनेवाला । निषेधन - पु० [सं०] निषेध करनेकी क्रिया, मनाही, वर्जन ।
निषेधाधिकार - पु० [सं०] (वीटो ) दे० 'प्रतिषेधाधिकार' । निषेवण - पु० [सं०] विशेष रूपसे किया गया सेवन; विशेष प्रकारकी सेवा ; पूजा; अनुष्ठान; लगाव; लगन; रहना । निषेवित- वि० [सं०] पूजितः सेवित; अनुष्ठित । निषेवी (विन्) - पु० [सं०] विशेष रूपसे सेवन करनेवाला । निषेव्य - वि० [सं०] विशेष रूपसे सेवन करने योग्य । निष्कंटक - वि० [सं०] बाधा, आपत्ति आदिसे रहित, जिसमें किसी प्रकारका खटका या बखेड़ा न हो, निद्र । निष्कंप - वि० [सं०] जिसमें कंपन न हो, जो हिलता-डुलता
न हो, जो चंचल न हो, अचल, स्थिर । निष्क - पु० [सं०] सोनेका एक प्राचीन सिक्का जो प्रायः सोलह माशेका होता था; गलेका एक प्रकारका सोनेका आभूषण; ४ माशेके बराबर एक तौल । निष्कपट-वि० [सं०] छल-छद्मसे रहित, सच्चा, शुद्ध
हृदयवाला |
निष्करुण - वि० [सं०] निर्दय, कठोर हृदयवाला, निष्ठुर । निष्कर्म (न्) - वि० [सं०] दे० 'निष्कर्मा' | निष्कर्मा (न्) - वि० [सं०] जो लिप्त होकर कर्म न करे, आसक्तिरहित होकर कर्म करनेवाला । निष्कर्ष - पु० [सं०] तत्त्व, सारभूत अर्थ, निचोड़; निश्चय; किसी वस्तु के विषय में यह कैसा है और कितना है, इस प्रकारका विचार; नतीजा; बाहर करना, निःसारण । निष्कलंक - वि० [सं०] जिसमें कोई कलंक न हो, दोष, पाप आदि से रहित; बेदाग, विमल, विशुद्ध, बिना ऐबका । निष्काम - वि० [सं०] सब प्रकारकी कामना या आसक्तिसे रहित, जिसे किसी प्रकारकी कामना न हो, निरीह । - कर्म (नू ) - पु० फलप्राप्ति की इच्छा त्यागकर किया जानेवाला कर्म । निष्कामी * - वि० दे० 'निष्काम' ।
निष्कारण - वि० [सं०] कारणरहित, बिना किसी कारणका;
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