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नौसादर - पु० एक प्रकारका क्षार जो प्रायः जानवरों के
मलमूत्र से तैयार किया जाता है ।
न्यग्रोध- पु० [सं०] बड़, बरगद, शमीका पेड़ बाहु | न्यसन - पु० [सं०] किसी के पास जमा करना; रखना; देना; छोड़ देना ।
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आवाज । - गुजरना - मौका जाता रहना । - झड़नानौबत बजना । - बजना - आमोद-प्रमोद होना, खुशी मनायी जाना । - बजाकर - सरेआम, गा-बजाकर । - बजाना - आमोद-प्रमोद करना, खुशी मनाना । नौबती - पु० [फा०] नौबत बजानेवाला; चौकीदार, पहरेदार; सजा हुआ, पर बिना सवारका घोड़ा, कोतल घोड़ा; भारी खेमा या तंबू । वि० बारीका (जैसे- नौबती बुखार)। -दार - पु० खेमेका चौकीदार; प्रहरी, द्वारपाल । नौमि - [सं०] प्रणाम करता हूँ।
न्यायतः-अ० [सं०] न्यायके अनुसार, न्याय से | न्यायाधिकरण - पु० [सं०] (ट्राइब्यूनल) किसी विवादग्रस्त विषय या विषयोंपर विचार कर न्यायिक निर्णय करनेवाला अधिकारी या इसी उद्देश्य से स्थापित विशेष न्यायालय ।
नौमी - स्त्री० दे० 'नवमी' । नौल * - वि० दे० 'नवल' |
नौशेरवाँ - पु० [फा०] ईसाकी छठी सदीका फारसका एक न्यायाधिपति -पु० [सं०] ( जस्टिस ) राज्य के मुख्य न्याया
अति न्यायप्रिय प्रतापी बादशाह ।
लय या देशके सर्वोच्च न्यायालयका न्यायाधीश, न्यायमूर्ति (इन न्यायाधीशों में जो प्रधान होता है उसे मुख्य न्यायाधिपति (चीफ जस्टिस ) कहते हैं) ।
न्यस्त - वि० [सं०] रखा या डाला हुआ छोड़ा हुआ, त्यक्त; भरा हुआ, निहित । - शस्त्र - वि० जिसने हथियार डाल दिये हों; निहत्था, अरक्षित । न्याहू, न्याउt - पु० दे० 'न्याय' । न्याति* - स्त्री० जाति ।
न्याय - पु० [सं०] उचित-अनुचितका विवेक, नीतिसंगत बात, इंसाफ; विवाद या मामलेमें दोनों पक्षोंकी सचाई - झुठाई आदि के अनुसार किया गया निबटारा, फैसला; विष्णु; सादृश्य; ६ आस्तिक दर्शनोंमेंसे एक जिसके प्रवर्तक गौतम ऋषि माने जाते हैं; प्रतिज्ञा, हेतु, उदाहरण आदि ६ अंगोंवाला वाक्य जिससे पदार्थानुमान संपन्न होता है (न्या० ); लोक- शास्त्र में विशिष्ट प्रसंग में प्रयुक्त होनेवाला कहावतकी तरहका दृष्टांत वाक्य (जैसे- देहलीदीपन्याय) | * वि० ठीक, उचित; जैसा, समान । - कर्ता (र्तृ) - पु० न्याय करनेवाला, फैसला करनेवाला, विचारपति, निर्णायक । -ज्ञ-पु० ( जूरिस्ट) न्यायशास्त्रका ज्ञाता । - पथ - पु० न्यायका मार्ग, न्यायोचित मार्ग; मीमांसा दर्शन । - पर - वि० न्यायके अनुसार आचरण करनेवाला, न्यायी । - परता - स्त्री० न्यायपर होनेका भाव। -परायण - वि० दे० 'न्यायपर' । - परायणता - स्त्री० दे० 'न्यायपरता' । - पालिका - स्त्री० (जूडिशियरी ) देशके न्यायाधीशोंका समूह; देशका न्याय विभाग या न्यायव्यवस्था । - पीठ-पु० (बॅच) न्यायाधीशका आसन, धर्मासन । - प्रिय - वि० जिसे न्याय प्रिय हो, न्यायशील । - मूर्ति - पु० ( जस्टिस ) दे० 'न्यायाधिपति' । - वर्ती (र्तिन् ) - वि० न्यायानुसार आचरण करनेवाला । -वादी ( दिन) - वि० उचित बात कहनेवाला । विभ्रंशपु० (मिसकैरिज ऑफ जस्टिस ) न्यायका उचित मार्ग से भ्रष्ट हो जाना, न्यायके लक्ष्यकी सिद्धिसे बहक जाना, न्यायवैफल्य । - शास्त्र - पु० (जूरिसप्रुडेंस) न्याय या विधि-संबंधी शास्त्र । - शील- वि० दे० 'न्यायपर' | -शुल्क-पु० ब्यायालय में आवेदनपत्र देते समय लगने
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नौबती - न्यून
न्यायोचित ।
वाली फीस, कोर्ट फी । -संगत - वि० - सभा - स्त्री० अदालत, कचहरी, न्यायालय । सभ्यपु० (जूरी) फौजदारीके कुछ खास-खास मुकदमोंका विचार करते समय दौरा जजकी सहायता करनेके लिए नियुक्त सभ्यगण, जिनकी संख्या प्रायः ३ से ५ तक होती है (इनसे न्यायाधीशका मतभेद होनेपर मामला उच्च न्यायालय में भेज दिया जाता है ) ।
न्यायाधीश - पु० [सं०] ( जज ) विवाद या मामलेका निबटारा करनेवाला अधिकारी, न्यायकर्ता, विचारपति, । न्यायालय - पु० [सं०] वह स्थान जहाँ न्यायाधीश विवाद या मामलेका निर्णय करता है, अदालत, कचहरी । न्यायिक निर्णय - पु० (एडजुडिकेशन) न्यायासनपर बैठकर किसी मामले के संबंध में निर्णय देना या इस तरह दिया गया निर्णय |
न्यायिक प्राधिकारी - पु० ( जुडीशल अथॉरिटी) न्यायविभागका प्राधिकारी ।
न्यायिक मुद्रांक - पु० ( जुडीशल स्टांप ) न्यायालयके कागज पत्रोंपर लगायी जानेवाली मुहर या मुद्राकी छाप । न्यायी (यिन) - वि० [सं०] न्यायके अनुसार आचरण करनेवाला, न्यायके पथपर चलनेवाला । न्यायोचित - वि० [सं०] जो न्यायतः ठीक या उचित हो, जो न्यायके विरुद्ध न हो ।
न्याय्य - वि० [सं०] न्यायसंगत, न्यायोचित । न्यार* - वि० दे० 'न्यारा' । पु० तिनी धान, निवार । न्यारा - वि० जो दूर हो, दूरस्थ, दूरका; जो अलग हो; दूसरे प्रकारका, भिन्न, दीगर; अद्भुत, विचित्र, अपूर्व । न्यारिया - ५० वह जो सुनारोंकी दूकानकी राख आदि में से सोना-चाँदी निकाले ।
न्यारे - अ० दूर; अलग |
न्याव - पु० उचित-अनुचितका विवेक, इंसाफ; विवाद या मामलेका निर्णय, फैसला; आचारकी रीति । न्यास - पु० [सं०] रखना, स्थापना; उचित स्थानपर रखना; धरोहर, निक्षेप, अमानत; अर्पण; छोड़ना, तजना, त्याग; चिह्न, निशान; अंकन; स्वर मंद करना; (ट्रस्ट) किसी विशेष कार्य में लगाने के लिए विश्वासपूर्वक सौंपी हुई संपत्ति या इस प्रकार सौंपनेका कार्य । - धारी (रिन्) - ५० (ट्रस्टी) वह व्यक्ति जिसे ऐसी संपत्ति सौंपी जाय; धरोहर रखनेवाला ।
न्यासी (सिन्) - पु० [सं०] (ट्रस्टी) वह व्यक्ति जिसे किसी धन या संपत्तिका न्यास (विशेष उद्देश्य से विश्वासपूर्वक समर्पण) कर दिया गया हो; दे० 'न्यासधारी' । न्यून - वि० [सं०] जो घटकर हो; कम, थोड़ा; विकारयुक्त,
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