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नीचट-नीराजना जानेवाली स्त्री।-गामी(मिन)-वि० दे० 'नीच'। नीति जाननेवाला। -विज्ञान-पु० दे० 'नीतिशास्त्र। नीचटी-वि० पक्का, दृढ़, मजबूत ।
-विद्-वि० दे० 'नीतिश'। -विद्या-स्त्री० राजनीतिनीचता-स्त्री०, नीचव-पु० [सं०] नीच होनेका भाव, शास्त्र; कर्तव्यशास्त्र । -शास्त्र-पु. राजनीति संबंधी ओछापन, खोटाई।
शास्त्र, वह शास्त्र जिसमें आचार संबंधी नियमोंका नीचा-वि० जिसकी सतह ऊँचाई में आसपासकी सतहसे | विधान हो। घटकर हो, जो ऊँचा न हो, निम्न, कम ऊँचाईवाला; | नीतिमान् (मत्)-वि० [सं०] नीतिके अनुसार आचनीचेकी ओर लटका हुआ, जो जमीनके अधिक समीप रण करनेवाला राजनीतिमें दक्ष चतुर, बुद्धिमान; आ गया हो; जो ऊँचाईपर न हो, झुका हुआ, जिसमें | सदाचारी। तीव्रता न हो, मंद, धीमा; जो ऊँचे दजेंका न हो, जो नीदना*-स० क्रि० निंदा करना। जाति, गुण, कर्म आदिकी दृष्टिसे न्यून हो (ऊँचाका | नीधना*-वि०निर्धन, दरिद्र । उलटा)। -ऊँचा-वि० दे० 'नीच-ऊँच'। (नीची) नीध्र-पु० [सं०] ओलती; वन; चंद्रमा पहियेका धेरा दृष्टि,-निगाह-स्त्री० लज्जासे झुकी हुई दृष्टि । मु०- रेवती नक्षत्र । खाना-अपमानित होना; पराजित होना।-दिखाना-नीप-पु० [सं०] कदमका पेड़ या फूल; बंधूक वृक्ष । अपमानित करना; पराजित करना; घमंड दूर करना । नीपजना*-अ० क्रि० उत्पन्न होना; बढ़ना, उन्नति करना। -देखना-दे० 'नीचा खाना'। (नीची) दृष्टि या नीपना*-स० क्रि० लीपना । निगाहसे देखना-घृणित या तुच्छ समझना। नीवरी-वि० दे० 'निर्बल'। नीचाशय-वि० [सं०] तुच्छ विचारवाला ।
नीबी-स्त्री० दे० 'नीवी' । नीचे-अ० नीचेकी तरफ, अधोभागमें, तलमें; घटकर नीबू-पु० खट्टे रसवाला एक प्रसिद्ध फल; इसका पेड़ । अधीनता ।-ऊपर-अ० ऐसे क्रमसे जिसमें एक दूसरेके | -निचोड़-वि० थोड़ा देकर बहुत लेनेवाला । पुनीबूको ऊपर हो ऐसी दशामें जिसमें नीचेका ऊपर और ऊपरका | दबाकर रस निकालनेका यंत्र । नीचे हो, व्यतिक्रांत रूपमें । मु०-गिरना-पतन होना, नीम-पु. एक प्रसिद्ध पेड़ जिसके सब अंग कड़वे होते अधोगतिको प्राप्त होना; पछाड़ा जाना। -गिराना- | है। मु०-की टहनी हिलाना-उपदंशसे पीडित होकर पतित बनाना, अधोगतिको प्राप्त कराना कुश्तीमें पछा- बैठना। इना, पटकना । -लाना-कुश्तीमें पटकना । -से ऊपर- |
-कश्ती में पटकना ।-से उपर- | नीम-वि० [फा०] आधा। -आस्तीन-स्त्री० आधी तक-सिरसे पाँवतक सभी अंगों या भागों में; एक सिरेसे | बाँहकी कुतीं। -चा-पु० छोटी तलवार, खाँड़ा। दूसरे सिरेतक।
-पुख्त,-पुख्ता-वि० आधा पका हुआ, अर्धपक्क । नीजन-वि० दे० 'निर्जन' । पु० एकांत स्थान ।
-रजा,-राज़ी-वि० आधा रजामंद । -हकीम-पु. नीझर*-पु० दे० 'निर्झर'।
अधकचरा हकीम, आयुर्विज्ञानकी बहुत कम जानकारी नीठ*-अ० दे० 'नीठि' । वि० दे० 'नीठा' ।
रखनेवाला चिकित्सक । मु०-हकीम खतरे जाननीठा*-वि० जो अच्छा न लगे, अप्रिय, अरुचिकर । अधकचरे वैद्यकी दवा करने में जान जानेका डर रहता है। नीठि-स्त्री० अरुचि । अ० किसी तरह, कठिनाईसे। नीमना-वि० उम्दा, बढ़िया; स्वस्थ जो खराब न हुआ हो।
-नीठि करके-किसी-किसी तरह, कठिनाईसे। नीमस्तीन, नीमास्तीन-स्त्री० दे० 'नीम के साथ । नीड-पु० [सं०] रहने या ठहरनेकी जगह, आश्रय नीयत-स्त्री० [अ०] इरादा, इच्छा, मंशा । मु०-डिगना,घोंसला; माँदा रथका एक अंग । -ज-पु० पक्षी । बद होना,-बिगड़ना, बुरी होना-विचार दूषित होना, नीडोनव-पु० [सं०] पक्षी, चिड़िया ।
मनमें बुरी बात पैदा होना, मनमें बेईमानीकी बात आना। नीत-वि० [सं०] ले जाया, पहुँचाया हुआ; बिताया हुआ।नीर-पु० [सं०] जल, पानी; फफोले आदिके अंदरका नीति-स्त्री० [सं०] ले जानेकी क्रिया; व्यवहारका ढंग, पानी; रस; नीमके पेड़से निकलनेवाला रस । -ज-वि० बर्तावका तरीका; वह आधारभूत सिद्धांत जिसके अनुसार जलीय, जलसे उत्पन्न होनेवाला । पु० ऊदबिलाव; उशीर; कोई कार्य संचालित किया जाय; लोकव्यवहारके निर्वाह- कमल; मोती। -द,-धर-पु. बादल |-धि,-निधिके लिए नियत किया गया आचार; लोकाचारकी वह पु० समुद्र । -पति-पु० वरुण । -रुह-पु. कमल । पद्धति जिससे अपना कल्याण हो और दूसरेको हानि न | नीरद-वि० [सं०] बिना दाँतका । पु० दे० 'नीर में । पहुँचे; किसी राज्य, राष्ट्र, संस्था या सरकार द्वारा अपने नीरना*-स० क्रि० बिखेरना । कार्यके संचालनके लिए नियत की गयी कार्य-पद्धति; कार्य- | नीरव-वि० [सं०] शब्दरहित, जिसमें ध्वनि न हो। विशेषकी सिद्धिके लिए काममें लायी जानेवाली युक्ति | नीरस-वि० [सं०] रसहीन; सूखा; वेस्वादका ।। चतुराईभरी चाल; राजनीति; औचित्य; योजना प्राप्तिः | नीराजन-पु० [सं०] देवताको दीप आदि दिखानेकी भेंट देना; संबंध; सहारा । -कुशल-वि० दे० 'नीतिज्ञ। पूजन विधि, आरती; विजययात्राके पहले हथियारोंकी -घोषणा-स्त्री० (मैनिफेस्टो) किसी दलके नेता या सफाई करनेका राजाओंका एक कृत्य जो आश्विन मासमें राज्यके प्रधान शासक आदि द्वारा अपनी नीति या लक्ष्य | हुआ करता था।
आदिके संबंध लिखित रूपमें की गयी सार्वजनिक | नीराजना-स्त्री० [सं०] दे० 'नीराजन' । * सक्रि० आरती 'घोषणा, लोक-घोषणा । -ज्ञ,-निपुण,-निष्ण-वि० । करना; हथियारोंकी सफाई करना।
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