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गुहारि-गृह गुहारि*-स्त्री० दे० 'गुहार'।
गूनी*-स्त्री० दे० 'गोनी'। गुहेरा-पु० गोह।
गूमडा-पु० सिरपर चोट लगनेसे होनेवाली गोल सूजन । गुहे।-स्त्री० बिलनी।
गूलर-पु० बरगद-पीपलकी जातिका एक पेड़, उदुंबर उसका गुह्य-वि० [सं०] छिपाने लायक; गुप्त गूढ, कठिनतासे फल । मु०-का कीड़ा-कूपमंडूक। -का फूल-ऐसी
समझमें आनेवाला । पु० भेद, रहस्य; गुप्त अंग । चीज जो कभी देखनेमें न आये, अलभ्य वस्तु । गूंगा-वि० जो बोल न सके, मूक; जो मौन साधे हो। गृह-पु० दे० 'गू'। मु. (गूंगे)का गुड़,-का सपना-वह बात जो अनुभव गृहन-पु० [सं०] छिपाना। की जाय पर कही न जा सके, अकथनीय अनुभव । गृध्र-पु० [सं०] गिद्ध । वि० लोभी।-राज-पु० जटायु । ज-स्त्री० प्रतिध्वनि, टकराकर लौटनेवाली आवाज; देर- गृह-पु० [सं०] धर, वासस्थान; पत्नी; गृहस्थाश्रम । - तक बनी रहनेवाली ध्वनि; गुंजारः बाली या नथकी मुड़ी उद्योग-पु० घरमें किया जानेवाला धंधा । कर्म(मन)हुई नोक; लटूकी कील ।
पुगृहकार्य गृहस्थके लिए विहित कर्म ।-कलह-पु०घरेलू गूंजना-अ० क्रि० आवाजका टकराकर लौटना, प्रतिध्व- झगड़ा, भाई-भाईकी लड़ाई । -गोधा,-गोधिका-स्त्री० नित हो जाना; किसी ध्वनिसे किसी स्थानका व्याप्त हो छिपकली । -जन-पु० कुटुंबी । -त्याग-पु० घर जाना; किसी ध्वनिका देरतक सुनाई देते रहना; भौरे या छोड़ना; गृहस्थाश्रमका त्याग। - त्यागी(गिन्)-पु० मधुमक्खीका गुंजार करना; गरजना।
संन्यासी । -देवता-पु० अग्निसे ब्रह्मातक ४५ देवता गूंथना-सक्रि० दे० 'गूथना'; दे० 'गूंधना' ।
जिनकी गृहके विविध अंगोंमें स्थिति मानी जाती है। गँधना-सक्रि० आटेमें पानी डालकर उसे हाथोंसे मस- -प-पु० गृहपति; गृहपाल; कुत्ता। -पति-पु० घरका लना, माँड़ना; चोटी करना; पिरोना।
मालिका गृहस्थ; यजमान; अग्नि; (वार्डन) दे० गू-पु० [सं०] मैला, पाखाना, विष्ठा ।-मूत-पु० [हिं०] | 'छात्राभिरक्षक' । - परिभाग-पु० (प्रेमिसेज) मकान मलमूत्र । मु०-उछालना-कलंककी शुहरत करना ।-में। और उसके चारों ओरकी सीमाके भीतरका क्षेत्र,गृहोपान्त, ढेला फेंकना-कमीनेको छेड़ना, नीचके मुँह लगना। परिसर । -पशु-पु० कुत्ता । -पाल-पु० घरकी रखगूगल, गूगुल-पु० दे० 'गुग्गुल'।
वाली करनेवाला; कुत्ता । -प्रवेश-पु० नये घरमें विधिगूजर-पु० अहीरोंका एक भेद: क्षत्रियोंका एक भेद । । पूर्वक प्रवेश करना । -भेदी(दिन)-वि० घरमें झगड़ा गूजरी-स्त्री० गूजर स्त्री; एक रागिनी; पैरका एक गहना। लगानेवाला; सेंध मारनेवाला। -मंत्री(त्रिन)-पु० गूझा-पु० बड़ी गुझिया + गूदा; फलोंके भीतरका रेशा। (होम मिनिस्टर ) राज्यके भीतरी मामलों ( शांतिरक्षा * वि० गुप्त ।
आदि) की व्यवस्था करनेवाला मंत्री । -मेध-पु० गूढ-वि० [सं०] छिपा हुआ, ढका हुआ, गुप्त; समझने में पंचयश पंचयश करनेवाला, गृहस्थ । -युद्ध-पु० घरका, कठिन; गहन जिसमें कोई छिपा अर्थ या व्यंग्य हो ।-पत्र- भाई-भाईका झगड़ा; किसी देशके निवासियों या विभिन्न पु० (बैलट) दे० 'शलाका', 'मतदान-पत्र'। -पुरुष- वर्गोंकी आपसकी लड़ाई, खानाजंगी । -रक्षक-पु० पु० जासूस, गुप्तचर । -मैथुन-पु० कौवा । -लेख- (होमगाड) युद्ध या व्यापक अशांतिके समय नगर, मुहल्ले पु० (साइफर) लिखने या संवाद भेजनेकी गुप्त लिपि- आदिकी रक्षा करनेवाली नागरिक सेनाका सदस्य । प्रणाली।-०संहिता-स्त्री० (साइफरकोड) गूढ़ लेख-संबंधी -लक्ष्मी-स्त्री० घरकी लक्ष्मी, सुशीला गृहिणी । नियमों, संकेतों आदिका संग्रह ।।
-वाटिका-स्त्री० घरसे सटा हुआ बाग, नजरबाग । गूढता-स्त्री०,गूढत्व-पु० [सं०] गूढ़ होना, गंभीर होना। -शास्त्र-पु० दे० 'गार्हस्थ्य विज्ञान'। -स्थ-पु० ब्रह्म
-की शपथ-स्त्री०(ओथ ऑफ सीक्रेसी) दे० गोपन-शपथ। चर्य पालनके बाद विवाह करके दूसरे आश्रममें प्रवेश करने गूढोक्ति-स्त्री० [सं०] एक अर्थालंकार जिसमें कोई गुप्त या रहनेवाला,गृही; घर-बारवाला; खेती-बारी करनेवाला, बात, जिससे उसका संबंध हो उसको छोड़कर किसी अन्य- | किसान । -स्वामिनी-स्त्री० धरकी मालकिन, पत्नी । के प्रति लक्ष्य कर कही जाय, जिससे समीपवाले अन्य लोग गृहस्थाश्रम-पु० [सं०] ब्रह्मचर्यके बादका आश्रम, गृहस्थउसे समझ न सकें।
का जीवन विवाहित जीवन । गूढोत्तर-पु० [सं०] एक अर्थालंकार जिसमें किसी प्रश्नका | गृहस्थी-स्त्री० गृहस्थका जीवन; गाईस्थ्य, घर-बार घरका उत्तर कोई गूढ अर्थ लिये हुए दिया जाता है।
काम-काजघरका माल असबाबा बाल-बच्चे, कुटुंब गूथना-स० क्रि० (मनका, फूल आदि ) धागेमें पिरोना; खेती।
लड़ी बनाना, गुंफना टाँकना; मोटी सिलाई करना । गृहागत-वि० [सं०] धर आया हुआ (अतिथि)। गूदा-पु० गूदा । स्त्री० गढ़ा; चिह्न ।
गृहिणी-स्त्री० [सं०] गृहस्वामिनी, पत्नी । गूदड़-पु० वीथड़ा। शाह,-साँई-पु०गुदड़ीपोश साधु । गृही(हिन्)-वि०, पु० [सं०] गृहस्थ, घर-बारवाला । गूदर*-पु० दे० 'गूदड़।
गृहीत-वि० [सं०] ग्रहण किया हुआ; पकड़ा हुआ; स्वीगूदा-पु० फलका छिलकेके नीचेका खाद्य भाग; मगज, कृत; प्राप्त; ज्ञात; संगृहीत; वादा किया हुआ। मांगी; मोटी रोटीका छिलकेके नीचेका नरम भाग; सार- गृहोद्यान-पु० [सं०] गृहवाटिका । भाग । (गुदे)दार-वि० जिसमें गूदा हो।
| गृह्य-वि० [सं०] गृह संबंधी; घरमें किया जानेवाला गून-स्त्री० वह रस्सी जिससे नाव खींची जाती है, गुण। । (कर्म)।
स्त्री० गदा माटी सिलाम पिरोना. कामाला गृहस्थ
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