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निरंतराभ्यास-निरर्गल अखंड, लगातार होनेवाला । अ०लगातार, बराबर, सर्वदा। निरपना*-वि० जो अपना न हो, परकीय, गैर । निरंतराभ्यास-पु० [सं०] सदा की जानेवाली (पाठकी) निरपराध-वि० [सं०] जिसने अपराध न किया हो,
आवृत्ति, बराबर किया जानेवाला अभ्यास; स्वाध्याय । वेकसूर । अ० बिना अपराध किये, बिना किसी कसूरके। निरंबर-वि० [सं०] नंगा, दिगंबर ।
निरपराधी*-वि० दे० 'निरपराध'। निरंश-वि० [सं०] जिसे अपना अंश प्राप्त न हुआ हो, जो निरपवाद-वि० [सं०] निर्दोष, अपकीर्तिसे रहित; कभी अपने भागसे वंचित रह गया हो।
अन्यथा न होनेवाला, जो ऐसा न हो कि कहीं लगे और निरकार* --वि०, पु० दे० 'निराकार' ।
कहीं न लगे, सर्वत्र एकसा लगनेवाला-जैसे निरपवाद . . निरक्ष-वि० [सं०] बिना पासेका; जो पृथ्वीके मध्य भागमें | नियम । हो। -देश-पु० विषुवत् रेखापरके देश ।
निरपेक्ष-वि० [सं०] किसी औरकी अपेक्षा न रखनेवाला; निरक्षन*-पु० दे० 'निरीक्षण'।
जिसे अपने अर्थका बोध करानेके लिए किसी दूसरे पद, निरक्षर-वि० [सं०] अपढ़ गँवार, मूर्ख ।
वाक्य आदिकी आवश्यकता न हो, जो स्वतः अपने अर्थनिरखना*-स० क्रि० देखना; निरीक्षण करना।
का सम्यक् बोध करा ले; जो अपने ही ऊपर अवलंबित निरग*-पु० दे० 'नृग'।
हो, केवल अपना भरोसा करनेवाला; आशा, तृष्णासे निरगुन-वि० दे० 'निर्गुण' । पु० एक पंथ ।
मुक्त, विरक्त; जो किसी बातकी परवा न करे, उदासीन । निरगुनिया-वि०, पु० 'निरगुन' पंथको माननेवाला। | निरपेक्षा-स्त्री० [सं०] उपेक्षा; उदासीनता। . निरगुनी*-वि० दे० 'निर्गुण' ।
| निरपेक्षित-वि० [सं०] जिसकी अपेक्षा न की गयी हो। निरग्नि-वि० [सं०] जिसने अग्निहोत्र त्याग दिया होनिरपेक्षी(क्षिन)-वि० [सं०] अपेक्षा करनेवाला; उदासीन । जो अग्निहोत्र न करता हो।
निरफल*-वि० दे० 'निष्फल' । निरच्छ*- वि० नेत्रहीन, अंधा ।
निरबंध-वि० बंधनरहित । पु० परमात्मा-'कर सेवा निरजर*-पु० देवता । वि. जो कभी जीर्ण न हो। निरबंधकी पलमें लेत छुड़ाय'-साखी । निरजोस-पु० निष्कर्प, सारांशा निर्णय ।
निरबंसी-वि० जिसे कोई संतान न हो, लावल्द । निरझर*-पु० दे० 'निझर'।
निरबर्ती*-वि०, पु० विरागी, त्यागी। निरझरनी*-स्त्री० दे० 'निर्झरिणी' ।
निरबल*-वि० दे० 'निर्बल'। निरझरी*-स्त्री० दे० 'निर्झरी'।
निरबहना-अ० कि० निर्वाह होना, निबहना । निरत-वि० [सं०] लगा हुआ, तत्पर, लीन । * पु० निरबान-पु० दे० 'निर्वाण' । नृत्य । * अ० निरंतर, लगातार ।
निरबाहना, निरवाहना-स० क्रि० 'निबाहना' । निरतना-अ० क्रि० नृत्य करना, नाचना ।
| निरबिसी*-स्त्री० दे० 'निर्विषी' । निरति-स्त्री० [सं०] विशेष रति या अनुराग; आसक्ति । | निरबेरा-पु० दे० 'निबेरा' । निरतिशय-वि० [सं०] जिससे बड़ा या बढ़कर दूसरा न | निरभय*-वि० दे० 'निर्भय'। हो, अद्वितीय । पु० परमेश्वर ।
| निरभर-वि० दे० निर्भर' । निरत्यय-वि० [सं०] बाधारहित, निरापदः निर्दोष । पु० निरभिमान-वि० [सं०] जिसमें अहंभाव न हो, गर्वरहित । बाधाका अभाव ।
निरभिलाष-वि० [सं०] जिसे किसी वस्तुकी चाह न हो, निरदई, निरदय*-वि० दे० 'निर्दय' ।
निरीह । निरदोषी-वि० दे० 'निर्दोष' ।
निरभ्र-वि० [सं०] जिसमें बादल न हों, मेघरहित । निरधातु-वि० दे० 'निर्धातु'।
निरमना*-स०क्रि० निर्माण करना, बनाना, रचना करना। निरधार*-पु० निश्चय करने या ठहरानेको क्रिया, निर्धा-निरमर, निरमल-वि० दे० 'निर्मल' । रण। वि० आधाररहित । अ० निश्चयपूर्वक-'ये रक्षा निरमली-स्त्री० दे० 'निर्मली'। करिहै सदा, यह जानौ निरधार'-छत्र ।
निरमान* -पु० दे० 'निर्माण' । निरधारना*-स० क्रि० निश्चय करना, तय करना; निरमाना*-स० क्रि० निर्माण करना, बनाना । सोचना, समझना।
निरमायल*-पु० दे० 'निर्माल्य' । निरध्व(न्)-वि० [सं०] जो रास्ता भूल गया हो। निरमित्र-वि० [सं०] जिसका कोई शत्रु न हो। निरनउ, निरनय-पु० दे० 'निर्णय' ।
निरमूल-वि० दे० 'निर्मूल' । निरनुनासिक-वि० [सं०] अनुनासिकसे भिन्न, जिसके निरमूलना*-स० क्रि० जड़से उखाड़ना, उन्मूलन करना; उच्चारणमें नाकका योग न हो (व्या०) ।
समूल नष्ट करना। निरनुमोदन करना-सक्रि० ( डिसऐप्रव) किसीके किये निरमोल-वि० दे० 'अनमोल'। हुए प्रस्ताव, कार्य या नीति आदिका समर्थन न करना, निरमोलिक, निरमोलिका-वि० अनमोल, बहुमूल्य ।
उसके संबंध अपनी सहमति या स्वीकृति न देना। निरमोही*-वि० दे० 'निर्मोही'। निरनै*-पु० दे० 'निर्णय'।
निरय-पु० [सं०] नरक । निरन्न-वि० [सं०] बिना अन्नका; जिसमें अन्नका सेवन निरयण-पु० [सं०] ज्योतिष में एक तरहकी गणना। न हो; जिसने अन्न न खाया हो, निराहार ।
निरर्गल-वि० [सं०] अर्गलारहित; जिसपर कोई रोक न
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